आने वाले विधानसभा चुनाव में शिवपुरी का नेतृत्व करेंगी यशोधरा!

राजनीति इन दिनों@अशोक कोचेटा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कल शिवपुरी दौरे में इस बात के साफ संकेत मिले कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा शिवपुरी की कमान यशोधरा राजे सिंधिया के हाथों में सौंपने जा रही है। मुख्यमंत्री की सभा में ऊर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के अलावा सिर्फ  यशोधरा राजे को ही बोलने का मौका मिला और अपने भाषण में यशोधरा राजे ने अपनी लीडरशिप का भी परिचय दिया और जिले के चारों विधायकों सहित वरिष्ठ भाजपा नेताओं का मंच से परिचय कराया। कार्यक्रम के हर एंगिल में यशोधरा राजे छाई रहीं और जिले का नेतृत्व करती नजर आईं।

मुख्यमंत्री ने भी उन्हें बहुत महत्व दिया और उनके नेतृत्व पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई। ऊर्जामंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने तो साफ-साफ कहा कि यशोधरा राजे सांसद ग्वालियर की हैं, लेकिन वह शिवपुरी की नेता हैं। जिले में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की प्रतिक्रिया थी कि न केवल वह शिवपुरी जिले में भाजपा का नेतृत्व करेंगी, बल्कि स्वयं भी शिवपुरी से चुनाव लडेंग़ी। इस अवसर पर यशोधरा राजे सिंधिया ने शिवपुरी में उन घरों में भी पहुंची जहां व्यस्तता के कारण वह शादी समारोह में नहीं पहुंच सकी थीं। इससे भी उनके चुनाव लडऩे की अटकलों को बल मिला।

शिवपुरी में यशोधरा राजे सिंधिया के जनाधार का कोई मुकाबला नहीं है। अनेक अवसरों पर वह इस बात के प्रमाण प्रस्तुत कर चुकी हैं। इतिहास गवाह है कि शिवपुरी में जिसके प्रचार में भी वह कूंदी हैं उसे पराजय हासिल नहीं हुई है। जब-जब भी भाजपा ने उनकी अंदेखी की है परिणाम प्रतिकूल ही रहे हैं। एक तरह से यशोधरा राजे सिंधिया की कम से कम शिवपुरी में चमत्कारिक छवि है और शहर में तो उनके इशारों को भी जनता ने समर्थन दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में यशोधरा राजे सिंधिया चुनाव नहीं लड़ीं थीं, लेकिन उनके कमान संभालने के बाद जिले की पांच सीटों में से चार पर भाजपा को विजयश्री हासिल हुई थी।

इसके बाद नगरपालिका चुनाव में भी यशोधरा राजे ने कमाल कर दिखाया था और उनकी तथा उनके सुपुत्र अक्षयराजे की मेहनत के कारण राजनीति से अंजान रिशिका अष्ठाना अध्यक्ष बनने में सफल रही थीं, लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलूं यह भी है कि जनता में मजबूत पकड़ के बावजूद स्थानीय भाजपा में उनका विरोध भी कम नहीं रहा। जैन बंधुओं के अलावा जिलाध्यक्ष रणवीर सिंह रावत, नगर अध्यक्ष ओमप्रकाश जैन ओमी तथा इनके समर्थक नेता यशोधरा राजे के विरोध में हर समय कमान संभाले रहे, लेकिन विधानसभा चुनाव की दस्तक के बाद स्थिति में परिवर्तन आया है।

जिलाध्यक्ष रणवीर सिंह रावत का विरोध हवा हो गया है और एक तरह से श्री रावत शरणागत् की मुद्रा में हैं। जैन बंधु भी विरोध के बावजूद उनका मुखर विरोध करने की स्थिति में नहीं है। अभी तो यशोधरा राजे सिंधिया स्थानीय भाजपा में गुटबाजी से ऊपर दिखाई दे रही हैं। इसका एक कारण शायद आसन्न विधानसभा चुनाव हैं। जिसे भाजपा को यशोधरा राजे के सहारे भुनाना है। मुख्यमंत्री के दौरे में यशोधरा राजे सिंधिया जिले की भाजपा का नेतृत्व करती हुईं दिखीं। यह तो तय है कि कमान उनके हाथों में है, लेकिन वह शिवपुरी से चुनाव लड़ेंगी अथवा नहीं लड़ेंगी इसका फैसला भाजपा को नहीं, बल्कि उन्हें खुद करना है।

कांग्रेस में भी है यशोधरा राजे से दहशत 

शिवपुरी में यशोधरा राजे सिंधिया के चुनाव लडऩे से कांग्रेस में भी दहशत का वातावरण है। टिकिट आकांक्षी कांग्रेस नेता कामना कर रहे हैं कि यशोधरा राजे चुनाव न लड़ें। वे हर पल भाजपा में यशोधरा राजे की भूमिका की टोह लेते हुए देखे जा रहे हैं। कांग्रेसियों का मानना है कि यदि यशोधरा राजे चुनाव नहीं लड़ीं तो उन्हें शिवपुरी से जीतने में कोई दिक्कत नहीं होगी। यशोधरा राजे के चुनाव लडऩे की स्थिति में जहां कांगे्रस के दावेदारों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से घट जाएगी। वहीं उनके चुनाव न लडऩे पर कांग्रेस का हर छोटा-बड़ा नेता और कार्यकर्ता टिकिट की मांग कर रहा है।