...आखिर क्या मिल जाएगा एसपी रमन सिंह सिकरवार और सीईओ संदीप माकिन के तबादले से

प्रसंगवश/ ललित मुदगल/ शिवपुरी/ आखिर ऐसा क्यों होता है कि एक ईमानदार छवि, कर्तव्यनिष्ठता और अपने कार्य को सदैव तत्परता से कार्य करने वाले अधिकारियों  के साथ ऐसा क्यों होता है कि वह अपने कार्य को अपनी कार्यशैली अनुरूप नहीं कर पाते है या यूं कहे कि जब वह इस तरह का कार्य करते है तो कई जनप्रतिनिधि उन्हें अपने क्षेत्र से हटाने का मन बना लेते है।

कुछ इसी तरह का मामला है शिवपुरी के पुलिस अधीक्षक डॉ.रमन सिंह सिकरवार और जिला पंचायत सीईओ संदीप माकिन का। जिन्होंने अपने कार्य के प्रति हमेशा वफादारी बरती और उन्हें परिणाम में क्या मिला, सिर्फ विदाई, लेकिन यह विदाई नहीं इसे उनकी कर्तव्य निष्ठा ही कहा जाएगा कि वे राज्य शासन के आदेशों के पालन अनुरूप अपने कार्य को सजगता से कर रहे है। क्योंकि ये वे अफसर है जिन्होंने कभी दूसरों के आगे जी-हुजूरी करना जरूरी नहीं समझा और आज भी ऐसे ही अधिकारी डंके की चोट पर अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी से कर रहे है।

हमने देखा है उन हालातों को जब शिवपुरी में उत्सव हत्याकाण्ड के दौरान पूरा शहर असामाजिक तत्वों की जकड़ में था लेकिन हालातों पर काबू पाने के लिए एसपी आर पी सिंह की रवानगी हुई तो नए एसपी डॉ.रमन सिंह सिकरवार ने रतलाम से शिवपुरी आते ही अपने तेवरें से सभी को जता दिया कि वह किसी भी प्रकार से कार्य में लापरवाही बर्दाश्त नहीं करते।

समय रहते शहर में स्थितियां सामान्य हुई और एसपी श्री सिकरवार ने अपने कार्यों के चलते ना केवल पुलिसिया रवैया सुधरवाया वरन् उन्होंने रेड लाईट एरिया जो बीते वर्षेां से संचालित है उसमें ताला डलवा दिया, जो अपराधी बीते कई वर्षों से शहर में छिटपुट और बड़ी वारदातें करते उन्हें एनएसए और जिला बदर तक की कार्यवाही की गई। कार्य में लापरवाही के रूप में इंदार और मगरौनी थाना प्रभारी सहित दो एसआई और दो आरक्षकों को लाईन हाजिर किया।

तीन चोर पकड़कर दर्जन भर चोरी गई बाईकों को बरामद किया। पुलिस और आमजनता के बीच बन रहे समन्वय को एसपी साहब बिठ ही रहे थे कि तभी उन्हें शिवपुरी से रवानगी दे डाली गई। आखिर क्या मंशा थी उन लोगों की जो शिवपुरी को संवारने और सहेजने वाले एक ऐसे अधिकारी जो यहां शांति, सौहाद्र्र और सामंजस्य की परिपाटी बिठाना चाह रहे थे उन्हें सत्ता के गलियारे की दुमदुमी बजाने वाले जनप्रतिनिधि कहें या नेता, वह इन्हें बर्दाश्त नहीं कर पाए और अपने स्तर से एसपी श्री सिकरवार का स्थानांतरण करवा दिया।

दूसरी ओर जिला पंचायत में शासन की योजनाओं के प्रति फलस्वरूप मिलने वाले परिणामों से जन-जन के लाभ दिला रहे जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संदीप माकिन का स्थानांतरण भी किन परिस्थितियों में हुआ। यह किसी से छुपा नहीं। जैन बंधुओं ने अपने मन मुताबिक कार्य ना करने वाले अधिकारी को कभी बर्दाश्त नहीं किया और यही वजह है कि सीधे आरोप-प्रत्यारोपों के माध्यम से सीईओ श्री माकिन का भी शिवपुरी से तबादल श्योपुर करा दिया।

यह तो ठीक था लेकिन जनता की सेवा का दंभ भरने वाले जनप्रतिनिधि अगर ऐसे ईमानदार अधिकारियों के तबादले पर नगाड़े और मिठाई बांटे तो आश्चर्य होगा ही कि जनसेवा का दंभ नहीं केवल मुखौटा चढ़ाकर जनता की सेवा के नाम पर स्वयं के बारे-न्यारे करना ही इन जनप्रतिनिधियों की सोच रह गई है। आखिर ऐसे कर्मठ ईमानदार अधिकारी यदि अपनी कार्यशैली का प्रयोग करें तो निश्चित रूप से शिवपुरी संवर सकता है। खैर जो हुआ सो हुआ, यह तो आने वाला समय बताएगा कि शिवपुरी में आगामी भविष्य क्या नई इबारतें लिखेगा।