सरकार के पिंजरे में कैद है शिवपुरी का विकास

राजू (ग्वाल) यादव/ शिवपुरी/ भगवान शिव के नाम से जाने जानी वाली शिवपुरी नगर की ख्याति अब केवल अंचल भर तक ही नहीं बल्कि संभाग,प्रदेश और देश के बाद अब विदेशों में भी होने लगी है। बस आवश्यकता है तो उसे सहेजने और संवारने की, लेकिन बीते कई वर्षों से बंद पड़ी खदानों से शिवपुरी का विकास अछूता रह गया है यदि इन खदानों को खोल दिया जाए तो शिवपुरी में विकास की नई बयार बहने लगेगी।

अंचल में खदान का व्यवसाय ही एक ऐसा व्यवसाय के रूप में उभरकर सामने आया कि इसकी पहचान विदेशों तक हो गई। कई खनिज संपदाओं को स्वयं में समेटे शिवपुरी आज भी विकास की नई-ऊंॅचाईयों को छूने के लिए बेताब है। इसके लिए केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अथक प्रयासों के चलते करोड़ों के प्रोजेक्टों को भी हम साहसिक परिणाम मानेंगे कि आज करोड़ों की लागत से जहां फोरलेन बनेगा तो वहीं सीवर प्रोजेक्ट, जलावर्धन योजना, राजीव गांधी विद्युतीकरण सहित तमाम योजनाऐं शिवपुरी के विकास को नइ गति प्रदान करेंगें। बस सरकार के पिंजरे से कैद शिवपुरी का विकास (बंद खदानें शुरू हो जाए)बाहर निकल आए तो निश्चित रूप से शिवपुरीमें विकास की नई इबारत लिखी जा सकती है।

मुख्यत: ग्वालियर-इंदौर के बीच हाईवे पर बसे शिवपुरी नगर का व्यापारीकरण भी इन दो बड़े नगरों से हुआ है। शहर विकास हो अथवा व्यापार हरेक व्यापारी ने अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए इंदौर व ग्वालियर को मुख्यत: चुना और इसके लिए आए दिन वीडियोकोच व ट्रेनों के माध्यम से व्यापार को नई गति मिली। शिवपुरी में पत्थर व्यवसाय से लाखों घर-परिवार अपना भरण-पोषण् आसनी से करते थे लेकिन जब से खदानें बंद हुई तब से शिवपुरी को जैसे ग्रहण सा लग गया। 

हालांकि तत्कालीन पर्यटन मंत्री रही यशोधरा राजे सिंधिया ने अपनी सरकार में पहल करते हुए मप्र में शिवपुरी का पहला पर्यटन नगर घोषित करने की सार्थक पहल की और यह सराहनीय भी रहीं। प्रतिवर्ष पर्यटन की असीम संभावनाओं को अपने में समेटे शिवपुरी ने अच्छी खासी आवक पर्यटन क्षेत्र से की और इसके पर्यटन केन्द्र भदैया कुण्ड, बाणगंगा, छत्री, भूरा खो, सुल्तानगढ़, पवा, टपकेश्वर महादेव सहित अन्य स्थान जिनसे पर्यटन को बढ़ावा मिला, यहां पर्यटक आए और उन्होंने यहां हरियाली व सुन्दरता से मोहित होकर इसे नए स्वरूप में पहचान दिलाई। 

शिवपुरी के विकास में अमिट योगदान के लिए केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रयासों की भी प्रशंसा करनी होगी कि  उनके कै.पिता माधवराव सिंधिया ने अंचल को रेलवे से जोड़ा और उसके बाद उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिवपुरी को मुम्बई से जोड़ दिया, जिसके लिए झांसी-बान्द्रा ट्रेन शिवपुरी को सौगात के रूप में मिली, इसके साथ ही 3900 करोड़ की फोरलेन सड़क ग्वालियर से देवास वाया शिवपुरी होते हुए स्वीकृत हुई जिसका निर्माण कार्य भी तीव्र गति पर है। जलावर्धन योजना से जहां पेयजल समस्या खत्म होगी तो वहीं सीवर प्रोजेक्ट से भी शहर को संवारा जाएगा। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अंचल के विकास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और यही कारण है कि उनके करोड़ों के प्रोजेक्टों ने जनता का विश्वास जीता।

विदेशों तक फैला शिवपुरी की खनिजों का कारोबार

प्राकृतिक धरोहरों को अपने में समेटे शिवपुरी जिले की खनिज संपदा में पाये जाने वाले खनिजो में प्रमुखत: पायरोफिलाईट, डायस्पोर, फर्शी पत्थर, स्टोन क्रेशर हेतु पत्थर, रेत, लेटेराइट तथा ग्रेनाइट आदि खनिजों का विदेशों में कारोबार निरंतर जारी है जिससे शिवपुरी की पहचान को विदेशों में भी खासी ख्याति मिली है। यही वजह है कि आज प्रदेश भर में शिवपुरी की खनिज संपदा श्रेष्ठ बताई गई है और इसके लिए खनिज विभाग निरंतर यही प्रयास करता है कि शिवपुरी की खनिज संपदा चहुंओर चर्चित रहे ओर इसके लिए अवैध कारोबारियों पर जहां सख्त कार्यवाही की जाती है तो वहीं खनिजों के विस्तार के लिए भी विभाग द्वारा कई योजनाऐं तैयार कर इसका फैलाव बढ़ाया जा रहा है।

ये खदानें विकास में सहायक

शिवपुरी के विकास में मुख्यत: वर्तमान में पायरोफिलाइट की 1, फर्शी पत्थर की 63, गिट्टी पत्थर की 25, मुरम-रेत की 18 खदानें संचालित है जो विकास में सहायक साबित हो रही है। इसके अतिरिक्त फर्शी पत्थर की 24 कटिंग-पॉलिशिंग फैक्ट्रियों को खनिज व्यापारी अनुज्ञप्ति जारी की गई है तथा 328 वाहनों का खनिज परिवहन हेतु ई-खनिज में ऑनलाईन पंजीयन किया जा चुका है। खनिज विभाग द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में खनिज राजस्व लक्ष्य शिवपुरी जिले को 850 लाख दिया था जिसके विरूद्ध 916 लख राशि वसूली गई तथा 113 अवैध परिवहन के प्रकरण दर्ज कर 20,77,759 रूपये की वसूली की गई इस हेतु कलेक्टर शिवपुरी तथा खनिज विभाग के अधिकारी-कर्मचारी प्रशंसा के पात्र है। जिला शिवपुरी का फर्शी पत्थर निर्यात किया जताा है इसकी मांग यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड तथा सऊदी अरब आदि देशों में है।

निवेशकों को किया जाता है प्रोत्साहित

जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश और देश भर व विदेशों में फर्शी पत्थर उद्योग को बढ़ावा/प्रोत्साहित करने तथा बाहर के निवेशकों को निवेश करने के उद्देश्य से इसे सरकार के प्रयासों से 13 अक्टूबर 2008 को वन अधिनियम 1980 अंतर्गत केन्द्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से अनुमति लेने के पश्चात वन भूमि के 217 हैक्टेय रकवा में, 5 खदानें क्रमश:खांडा, बुधोनराजापुर, लोहरछा, भिलारी तथा टैंहटा म.प्र.राज्य खनिज निगम को स्वीकृत कर उनके द्वारा निविदा प्रक्रिया से ठेके पर दी गई है। इन खदानों से खनिज निगम द्वारा आगामी 10 वर्षों में लगभग 7,60,000 घन मीटर फर्शी पत्थर खनिज का खनन-विक्रय किया जावेगा, इस खनन से म.प्र. शासन खनिज साधन विभाग को रॉयल्टी के रूप में लगभग 18,24,00,000 रूपये की राशि प्राप्त होगी तथा म.प्र. राज्य खनिज निगम को 10 वर्षों में 1,08,12,05,000 रूपये की राशि प्राप्त होना संभावित है।

इनका कहना है-

वैसे तो शिवपुरी अंचल में विकास की अपार संभावनाऐं है लेकिन यहां वन संरक्षण अधिनियम के कारण कोई उद्योग स्थापित करना असंभव है ऐसे में मगरौनी-करैरा-नरवर में मोहनी सागर डैम और खनियाधाना-पिछोर में राजघाट नहर में पानी की उपलब्धता है तो यहां शुगर मील खोली जाए क्योंकि डबरा की शुगर मील बंद होने की कगार पर है ऐसे में यहां शुगर मील खुलेगी तो विकास भी बढ़ेगा साथ ही रन्नौद में कई खदानों में ऐेसे पत्थर पाए गए है जिनसे मूर्ति बनाई जा सकती है लेकिन यहां अकुशल कारीगर है जिन्हें प्रशिक्षण की आवश्यकता है यह भी विकास की दृष्टि से अच्छा व्यवसाय है। विकास के लिए समाज के हर व्यक्ति को साथ लेकर उसे काम मिले तो वह विकास में सहभागी है।

के.पी. सिंह कक्काजू
पूर्व मंत्री मप्र शासन एवं
विधायक पिछोर


मैंने 198८ से खदानों का व्यापार किया और विकास की बात यदि की जाए तो खदानों से बढ़ा कोई व्यवसाय नहीं रहा इसमें मजदूर, खनिबरियां, फैक्ट्री, कारीगर सभी को काम मिलता था और  शिवपुरी का विकास तभी संभव है जब हर हाथ में काम हो, यदि शासन बंद खदानों को खोल दे तो शिवपुरी में इन खदानों से सोना बरसेगा और अग्रणीय जिलों में शिवपुरी सबसे समृद्ध प्रथम पंक्ति में शामिल होगा। यहां प्रतिवर्ष मैंने बम्हारी, बेदमऊ, झिरिन्या, सेंवढ़ा और मझेरा खदानों से करोड़ों का व्यापार किया है मझेरा के पत्थर तो विदेशों तक अपनी पकड़ बना चुका है जबकि अन्य खदानों का लाल पत्थर प्रदेश भर में अपनी पकड़ बनाए हुए है। विकास के लिए इन खदानों को खोला जाना आवश्यक है तभी हम रूप से विकास की दृष्टि पर खरे उतर सकते है।

आलोक सिंह चौहान
खदान व्यावसायी व वरिष्ठ समाजसेवी एवं कांग्रेस नेता शिवपुरी