शिवपुरी जिले में स्वास्थ्य सेवायें चौपट 145 से ज्यादा नवजातों की मौत

शिवपुरी-शिवपुरी जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रमुख सचिव क्लीनचिट दे गये लेकिन संविदा कर्मचारियों व आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल के चलते स्वास्थ्य सेवायें चरमरा गयी हैं। सबसे ज्यादा संकट एम सी एच लेवल 1 व 2 पर हुआ है यहां प्रसूति गृह की सेवायें भगवान भरोसे हो गयी हैं। जिले भर में 11 दिनों में 145 से अधिक नवजात उचित देखभाल के बिना दम तोड़ चुके हैं। 6 मातृ मृत्यू हो चुकी हैं।

जिला अस्पताल अव्यवस्थाओं का शिकार हो गया है मरीजों को ढूंढने पर भी ए एन एम नहीं मिल रहीं हैं। नियमित कर्मचारियों पर कार्य का बोझ होने के कारण मरीजों को कोई भी दवा देकर अपना पीछा छुडा रहे हैं। पैथोलॉजी सेवायें ठप्प होने से प्रायवेट पैथॉलोजी वालों की मौज हो गयी है। शासन की पैथॉलॉजी सेवा ठप्प हो गयी है।

जननी एक्सप्रेस कॉल सेंटर यहां अप्रशिक्षित कर्मचारी संचालन कर रहे हैं जिसके कारण जननी एक्सप्रेस के वाहन चालकों की सही सूचना नहीं मिल रही है अधिकांश कॉल छूट रही हैं जिससे घर प्रसवों की संख्या बढ गयी है और प्रायवेट वाहनों से आने वाली प्रसूता रास्ते में ही बच्चों को जन्म दे रही हैं जिनकी कोई देखभाल नहीं हो रही है। संस्थागत मृत बच्चों की जानकारी प्रसव रजिस्टरों में अंकित है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एम सी एच 2, उपस्वास्थ्य केन्द्र एम सी एच 1 पर प्रसव सेवायें पूरी तरह से ठप्प हो गयी हैं। प्रसव कार्य आया व सफाई कर्मचारी के भरोसे चल रहे हैं। 

टीकाकरण अभियान फ्लॉप शो हो गया है तीसरे व चौथे मंगलवार व शुक्रवार के सत्र आयोजित नहीं हुये। 28 मई को चौथे मंगलवार को दोहपर 2 बजे से प्रमुख सचिव की मीटिंग होने से जिले भर में यह सत्र मात्र नाम के लिये आयोजित किया गया। 324 सत्र आयोजित नहीं हो पाये हैं। पोषण पुर्नवास केन्द्र खाली पडे है। अधिकांश स्टाफ ड्यूटी से नदारद है। जिसके चलते कुपोषित बच्चों का जीवन खतरे में पड गया है। जननी सुरक्षा योजना के चैक लंबित हो गये है। हितग्राहि पहले प्रसव पीडा उठा रहे हैं फिर प्रोत्साहन राशि का चैक लेने के लिये स्वास्थ्य केन्द्रों के चक्कर लगा रहे हैं। आशा मॉड्यूल 6 - 7 का प्रशिक्षण ठप्प पडा हुआ है कोई भी आशा प्रशिक्षण में नहीं गयी। क्षय रोगियों को दवा नहीं मिलने से 210 रोगी डिफाल्टर हो गये हैं। 810 रोगियों का परीक्षण होना था जो कि नहीं हो पाया है। 

हडताल से क्षय रोगी मौत के मुंह में जा रहे हैं किंतु शासन को इनकी परवाह नहीं है। के एम सी वार्ड में शांति छायी हुयी है यहां की सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ता हडताल पर हैं। एड्स की जांच बंद हैं। प्रत्येक गर्भवती महिला की एडस की जांच होना है किंतु हडताल के चलते यह जांच बंद हो गयी है। दिनांक 3 जून से विश्व टीकाकरण सप्ताह पर संविदा कर्मचारियों के पक्ष में अल्टरनेट वैक्सीन डिलेवरी कार्यकर्ता हडताल पर जा रहे हैं जिसके कारण टीकाकरण सप्ताह का आयोजन खटाई में पड गया है। प्रमुख सचिव की अकड के चलते सैकडों बच्चों व गर्भवती महिलाओं का जीवन संकट में पड गया है अभी एक माह और हडताल चलेगी तब तक स्वास्थ्य विभाग गहरे गडडे में समा चुका होगा।