शायद मर गई शिवपुरी के जनप्रतिनिधियों की आत्मा

त्वरित टिप्पणी/ ललित मुदगल/ शिवपुरी-तेरह दिन तक जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष करते हुए बलात्कार पीडि़ता दामिनी अंतत: चिरनिन्द्रा में सो गई और जगा गई चिरनिन्द्रा में सोए हुए करोड़ों भारतीयों को। इस घटना के विरोध में एक आम भारतीय सड़कों पर उतर आया, एक अंजाने से अपने के लिए पूरे भारत में इस मृत आत्मा की शांति के लिए शोक सभाऐं, श्रद्धांजलि अर्पित की जाने लगी। युवा इस घटना से संकल्प ले रहे है कि जब तक बलात्कार के मामले में सरकारें कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक ऐसे ही सड़कों पर निकलता रहेगा।


मेरा शहर शिवपुरी भी इस घटना के विरोध में पूरे देश के साथ कदमताल करते दिखा। कई समाजसेवी संस्थाओं, समाजसेवी संगठनों, कई समाजसेवी क्लबों ने इस बहादुर वीरांगना दामिनी की मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थनाऐं, दुआऐं की। इस हाड़ कंपा देने वाली शीतलहर पर शोक लहर ज्यादा भारी है। यह शोक लहर नव वर्ष के उत्सव की लहर पर भी भारी दिखी परन्तु लिखना नहीं चाह रहा, लेकिन मन नहीं मान रहा है। इन तीनों लहरों पर शिवपुरी के जनप्रतिनिधियों में चुनावी लहर ज्यादा दिखी। इस पूरे घटनाक्रम यदि नजर डाली जाए तो दामिनी को कोई नहीं जानता था, उससे कोई जान पहचान नहीं थी लेकिन मानवीय संवेदनाओं के चलते लोग घरों से निकले, ये घर से निकलने वाले वो लोग है जिन्होंने समाज की ठेकेदारी का चोला नहीं पहना। 

एक अंधेरी रात में जिस गैंग पीडि़ता ने अपनी अंतिम सांस तक उन आरोपियों को सजा की मांग रखकर अचेत होकर इस दुनिया को अलविदा तो कह दिया लेकिन यह संदेश कईओं को जगा भी गया, परन्तु शिवपुरी में जनसेवा के नाम का ढोंग रचने वाले जनप्रतिनिधियों पर इसका एक तिनका भर भी असर देखने को नहीं मिला। आखिर क्या यही जनसेवा होती है, यह राजनीति और जनसेवक की भूमिका होती है कि हमें अपनी आंखों के सामने एक संदेश दिया और हम अपने निजी स्वार्थों के चलते सब भूल गए। जी हां शिवपुरी में राजनीति का यही परिदृश्य आमजन को कचोट रहा है इसके बाबजूद भी यहां ना तो भाजपाईयों ने ना ही कांग्रेसियों अथवा ना ही किसी अन्य दल ने इस मामले में अपनी संवेदना या शोक प्रकट किया। पूरे देश को हिला देने वाली इस घटना से राजनीतिक रूप से जुड़े इन संगठनों ने अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया एक ओर जहां छात्र-छात्राओं, माता-बहिनें, समाजसेवी, दुकानदार, मीडिया जगत सभी लोग इस गैंगरेप की घटना से आहत है। यहां बता दें कि इस पूरे प्रकरण में शिवपुरी के इन नेताओं की मुख्य भूमिका मण्डी अध्यक्षों व आने वाले नगर पंचायत नरवर के चुनावों को लेकर काफी उत्सुकता है लेकिन इस घटना से तो जैसे इन्हें कोई वास्ता ही ना हो, हां इन्होंने नव वर्ष जरूर सेलिब्रेट किया है जिसमें इन नेताओं ने नव वर्ष की शुभकामनाओं को लेकर बड़े-बड़े होर्डिग्स बैनर चौराहें पर टांगकर अपने-अपने आकाओं को खुश कर दिया गया है और इसके लिए इन्होनें हजारों रूपयों खर्च भी कर दिए है। क्या लाखों-करोड़ों रूपया कमाने वाले इन जनप्रतिनिधियों की जेब में बलात्कारी पीडि़ता के फोटो पर फूल चढ़ाने के लिए 5० रूपये भी नहीं थे ? क्या इन जनप्रतिनिधियों के मन में इस बहादुर बेटी के प्रति कोई संवेदनाऐं नहीं है? इसे देखकर लगता है कि शायद शिवपुरी के जनप्रतिनिधियों की आत्माऐं मर चुकी है।