ये कैसा अभियान: भौर होते ही तोड़ डाले आदिवासियों के झोंपड़े


शिवपुरी। आज सूर्योदय शिवपुरी प्रशासन शमशान भूमि लेकर करबला तक की शासकीय भूमि पर आदिवासियों द्वारा किये गए अतिक्रमण को तोडऩे के लिये पहुंच गया। भारी पुलिस बल के साथ इस शासकीय जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करा लिया गया है। प्रशासन ने फिर शहर का अतिक्रमण छोड़ नगर के बोर्डर पर अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाते हुए गरीब आदिवासियों के झोंपड़ों पर  हिटैची मशीन चला डाली।

जानकारी के अनुसार पिछले कुछ समय से प्रशासन को शिकायत मिल रही थी कि कुछ आदिवासियों ने शमशान भूमि से लेकर करबला तक की बेशकीमती 95 बीघा शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर अपने अस्थाई झोंपड़े बना लिए हैं। इसी क्रम में कल जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और नपा ने मिलकर इस अतिक्रमण को हटाने की योजना बनाई और पुलिस विभाग द्वारा बाहर से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया और गुपचुप तरीके से आज सुबह 5:30 बजे यह अमला वहां पहुंच गया और लाउड स्पीकर से एनाउस करके झोंपडिय़ों में रह रहे आदिवासियों को बाहर निकलने की चेतावनी दी। 

इससे पहले भी इन अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर दिए गए थे। इसके बाद भी वह अतिक्रामक वहां से नहीं हटे। इस कारण आज सुबह पूरा अमला हिटैची सहित वहां पहुंचा और पूरे अतिक्रमण को देखते ही देखते ध्वस्त कर दिया। इसी समय घर से बेघर हुए आदिवासियों ने अतिक्रमण हटा रहे नपाकर्मियों सहित पुलिस पर पथराव करने का भी प्रयास किया और हाईवे जाम करने के लिए सड़क पर कुछ महिलाएं बैठ गईं। जिन्हें पुलिस ने बलपूर्वक हटाने का प्रयास किया। लेकिन कुछ महिलाएं वहां से हटने का नाम नहीं ले रहीं थी। जिन्हें बाद में पुलिस ने महिला पुलिसकर्मियों की सहायता से उन्हें कोतवाली ले आई। इसके बाद पुलिस ने वहां की स्थिति को काबू में रखा और पड़े सारे मलवे को नपा के डम्परों की सहायता से वहां से हटा दिया। यह मुहिम करीब 5 घंटे तक चली। 


भूमाफियाओं ने लालच देकर कराया था अतिक्रमण: तहसीलदार 


तहसीलदार आरए प्रजापति ने बताया कि शासन की इस भूमि पर पिछले काफी समय से भूमाफियाओं की नजर थी और उन्होंने इस भूमि को कब्जाने के लिए पहले तो वहां पर चूने से लाईनिंग कर खण्डे डालकर जमीन कब्जा ली और इसके बाद बाहर से आदिवासियों को प्रतिदिन 100 रूपये की मजदूरी और खाने का लालच देकर उनके झोंपड़े बनवा दिए। आज सुबह जब हम अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंचे तो वहां जब आदिवासियों से पूछताछ की तो कुछ आदिवासियों ने बताया कि हमें तो इस जमीन की सुराक्षा के लिए यहां रखा गया है और इसके ऐवज में कुछ लोगों द्वारा 100 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी और खाना दिया जाता है। जिसमें करीब 100 आदिवासी मोहना क्षेत्र के हैं। इसी के तहत आज हमने यह अतिक्रमण हटाया है। 


बेघर हुईं आदिवासी महिलाओं ने लगाए पुलिस पर बर्बरता के आरोप 


आज सुबह शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटाने पहुचा उस समय वहां मौजूद गणेशी आदिवासी, रामप्यारी, दानाबाई, मेहदा, रतनियां, कारी, सुमन और पूजा आदिवासी ने पुलिस पर निर्ममतापूर्वक मारपीट करने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जब पूरा प्रशासन अतिक्रमण हटाने पहुंचा और हमें चेतावनी दी तो हम लोग घबरा गए और झोंपड़ी में रखे सामान को जब हम निकाल रहे थे तभी कुछ पुलिसकर्मी वहां पहुंच गए और हम पर झोंपड़ी से बाहर निकलने का दवाब बनाने लगे जब हमने उनसे बिनती की और अपने सामान को निकालने के लिए समय मांगा तो उन्होंने हम पर लाठियां भांज दी और बाद में हमें कोतवाली ले आए। जब इस संबंध में एडी. एसपी अमित सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है। यह महिलाएं अतिक्रमण हटाने के दौरान हाईवे पर आ गईं और इन्होंने हाईवे पर चक्काजाम करने का प्रयास किया इस कारण हमने इनको पकड़ लिया और कोतवाली ले आए। यह आरोप निराधार है।