नरवर में कांग्रेस के खिलाफ बागी हुआ कुशवाह समाज, शुक्रवार को मीटिंग

शिवपुरी-जिले की नरवर नगर पंचायत में होने वाले चुनावों में हर बार कुशवाह समाज की महती निर्णायक भूमिका रहती है क्योंकि यहां सर्वाधिक कुशवाह समाज के लोग रहते है लगभग 3500 मतदाताओं के साथ कुशवाह समाज हमेशा से जिस पार्टी के पक्ष में एक साथ होकर मतदान करता है वहां स्थिति ही अलग नजर आती है लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी ने कुशवाह समाज से बगावत कर भाजपा का दलबदलू डॉ.मनोज माहेश्वरी को टिकिट देकर कुशवाह की मंशाओं पर पानी फेर दिया है। 

कुशवाह समाज में कांग्रेस पार्टी के प्रति रोष व्याप्त है और इस रोष को वह कल शुक्रवार केा स्थानीय मारकपुर हनुमान मंदिर पर कुशवाह समाज की बैठक में प्रदर्शित करेगा। जहां समाज के सभी बन्धु एक राय होकर समाज के ही किसी व्यक्ति को इस बार नगर पंचायत का चुनाव लड़ाऐंगे अन्यथा वह क्या रणनीति बनाते है यह कल होने वाली बैठक पर तय होगा। 

यहां बता दें कि नपं अध्यक्ष पद हेतु कांग्रेस द्वारा कुशवाह समाज के उम्मीदवार को टिकिट न दिए जाने से इस समाज में आक्रोश पनपा है। नरवर में नपं चुनाव हेतु लगभग 25 प्रतिशत कुशवाह मतदाता हैं और इस समाज की एकजुटता चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की स्थिति में रहती है। सूत्रों के अनुसार कुशवाह समाज नपं अध्यक्ष पद हेतु समाज के व्यक्ति को समर्थन देने पर गंभीरता से विचार कर रहा है और कल मारकपुर हनुमान मंदिर पर होने वाली बैठक में इस संबंध में फैसला हो सकता है। सूत्र यह भी कहते हंै कि कुशवाह समाज बसपा द्वारा घोषित प्रत्याशी गोविंद सिंह और कांग्रेस टिकिट से वंचित रामजीलाल कुशवाह में से किसी एक को समर्थन देने का ऐलान कर सकता है। यदि किसी एक नाम पर फैसला हो गया तो नपं अध्यक्ष पद का चुनाव काफी रोचक हो जाएगा। 

नपं नरवर में जहां अध्यक्ष पद हेतु जहां भाजपा ने जिनेन्द्र जैन बल्लो की उम्मीदवारी घोषित की है वहीं कांग्रेस ने भाजपा से पाला बदलकर आए डॉ. मनोज माहेश्वरी को उम्मीदवार बनाया है। यदि मनोज कांगे्रस में शामिल नहीं होते तो पार्टी बादाम सिंह कुशवाह, कैलाश कुशवाह या रामजीलाल में से किसी एक को टिकिट देती, लेकिन मनोज माहेश्वरी के कांग्रेस में आने के बाद कांगे्रस के सभी संभावित दावेदारों में निराशा छा गई। कुशवाह समाज में भी आक्रोश पनप गया। लगभग 14 हजार मतदाताओं वाले नपं क्षेत्र में लगभग 35०० कुशवाह मतदाता, 15०० मुस्लिम मतदाता और 8०० वैश्य मतदाता हैं। 

नपं का इतिहास बताता है कि यहां अध्यक्ष पद की आसंदी पर कुशवाह या वैश्य समाज का प्रतिनिधि ही काबिज हुआ है। जब-जब भी कुशवाह समाज एकजुट हुआ है तब अध्यक्ष पद पर कुशवाह उम्मीदवार विजयी रहा है। इसी गणित को ध्यान में रखकर कुशवाह समाज की एकजुटता का प्रयास किया जा रहा है। मारकपुर हनुमान मंदिर पर आयोजित बैठक में किसी एक नाम पर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश की जाएगी। यदि ऐसा हुआ तो एक कुशवाह उम्मीदवार को छोड़कर शेष कुशवाह उम्मीदवार नाम वापिस ले लेंगे। सूत्र बताते हैं कि मुख्य तौर पर गोविंद सिंह या रामजीलाल कुशवाह में से किसी एक को समर्थन मिलने की उम्मीद है। हालांकि रामजीलाल कुशवाह अपने आप को कांग्रेस का वफादार बताते हैं और कहते हैं कि यदि उनके नाम पर सहमति बनी तो भी वह पार्टी से विद्रोह कर चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन उनके नजदीकी सूत्रों का कथन है कि वह पार्टी को अलविदा कभी भी कर सकते हैं। एक जमाने में रामजीलाल कट्टर सिंधिया भक्त के रूप चर्चित थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से उनकी सिंधिया निष्ठा विचलित है।