कांग्रेस में स्फूर्ति लाने में नाकाम रहे रामसिंह यादव

शिवपुरी-शिवपुरी कांग्रेस जिलाध्यक्ष की कमान रामसिंह यादव को सौंपे एक साल से ज्यादा समय हो गया है मगर बुजुर्ग कांग्रेसी रामसिंह यादव जिलाध्यक्ष बनने के बाद अपनी ही पार्टी में स्फूर्ति लाने में नाकाम रहे है। आज कांग्रेस की जिले में स्थिति यह है कि इस पुरानी पार्टी पर सक्रिय कार्यकर्ताओं का टोटा पड़ चुका है।

गुटबाजी और खेमेबाजी का आलम यह है कि सभी नेता अलग-अलग दिशाओं में चल रहे हैं। प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस की हालत जिले में बहुत ही खराब है। रामसिंह यादव को जिन उम्मीदों के साथ कांग्रेस का जिलाध्यक्ष बनाया गया था उन अपेक्षाओं को पूरा करने में रामसिंह यादव नाकाम रहे। उनके पिछले कार्यकाल का लेखा जोखा देखा जाए तो उनके खाते में कोई खास कामयाबी हाथ में नहीं है।

पूरे जिले में कांग्रेस की स्थिति यह है कि पार्टी में शून्यता की स्थिति है। पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह खेमे में पहले से ही बंटी थी मगर सिंधियानिष्ठ रामसिंह यादव को जिलाध्यक्ष की कमान सौंपे जाने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक कांग्रेस नेता ही कई गुटों में बंट चुके है। रामसिंह यादव की कई नेताओं से पटरी नहीं बैठती है। पटरी ना बैठ पाने के कारण रामसिंह यादव को अपने ही खेमे के कई सिंधिया समर्थक नेताओं का सहयोग नहीं मिल रहा है।

आन्दोलन व धरने में कार्यकर्ताओं का टोटा


जब से रामसिंह यादव को कांग्रेस की कमान शिवपुरी में सौंपी गई है। तब से जो भी धरना आन्दोलन पार्टी के आह्वान पर हुए है उनमें पार्टी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी अपेक्षानुरूप नहीं रही। इसके पीछे कारण यह बताया जाता है कि रामसिंह यादव का प्रभाव कोलारस विधानसभा क्षेत्र में है इसके अलावा जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्र जैसे पोहरी, पिछोर, करैरा और शिवपुरी में उनका खासा प्रभाव नहीं है। पिछले दिनों  प्रदेशाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया के द्वारा भोपाल में बुलाई गई रैली में भी शिवपुरी के कार्यकर्ताओं की मौजूदगी काफी कम रही। इसके पीछे रामसिंह यादव की एकला चलो नीति को प्रमुख कारण बताया गया। बिजली, पानी, सड़क ऐसे मुद्दे है जिस पर कांग्रेस जनता की समस्या उठाकर जिले में आन्दोलन कर सकती है मगर शून्यता की स्थिति से गुजर रही कांग्रेस जिले में सक्रिय नहीं हो पा रहे हैं। इसकी प्रमुख बजह रामसिंह यादव की निष्क्रियता है।

आपस में बंटा सिंधिया खेमा


जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रह चुके रामसिंह यादव को सिंधिया खेमे में गुटबाजी कम करने व सामंजस्य बिठाने के लिए कांग्रेस की कमान जिले में सौंपी गई थी मगर इन उम्मीदारों पर रामसिंह यादव खरे नहीं उतरे। जिले में स्थिति यह है कि आज सिंधिया खेमा कई गुटों में बंट चुका है। रामसिंह यादव की कोलारस क्षेत्र के ही अपने नजदीकी बैजनाथ सिंह यादव, रामवीर सिंह यादव, केशव सिंह तोमर, रामकुमार शर्मा, लक्ष्मीनारायण धाकड़, विजय शर्मा से पटरी नहीं बैठती है। बीच में तो पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी और हरिबल्लभ शुक्ला से भी कलेक्टे्रट में लाठी चार्ज मामले में मतभेद उभर आए थे मगर बाद में इनमें सामंजस्य बना मगर आज वो संबंध इन नेताओं के बीच नहीं है जो होने चाहिए थे। सिंधिया खेमे के कई नेता अलग-अलग गुट बनाकर अपनी-अपनी राजनीति कर रहे है जिसके कारण पार्टी को नुकसान हो रहा है।