भक्तों की आंखें नम कर विहार कर गए आचार्य विशुद्धसागर

शिवपुरी- देश के ख्याति प्राप्त जैन आचार्य विशुद्धसागर महाराज 15 अन्य जैन संतों के साथ सोमवार को शिवपुरी आए, जहां उनके आगमन पर सोमवार को खुशियां मनाते श्रद्धालु देखे गए। वहीं मंगलवार को छत्री जैन मंदिर पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए जैसे ही उन्होंने शिवपुरी से पड़ौरा की ओर पदविहार करने की घोषणा की, वैसे ही सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं और आचार्य श्रीससंघ पदविहार करते हुए पड़ौरा की ओर रवाना हो गए।

खास बात यह रही कि छत्री जैन मंदिर पर आयोजित धर्मसभा में न केवल प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति रही वरन् आयोजन में जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए।

मंगलवार को छत्री जैन मंदिर में आचार्य विशुद्धसागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए जीवन जीने के कई सूत्र दिए। उन्होंने जो है सो है सूक्ति देते हुए कहा कि संसार में जितने भी प्राणी हैं सब दुख से बचना चाहते हैं और सुख को अपना साथी बनाना चाहते हैं लेकिन सुख के उपाय तलाश नहीं करते, भौतिक सुख सुविधाओं और आपाधापी में खोकर यह मनुष्य पर्याय यूं ही व्यर्थ गंवाते रहते हैं। ऐसे में हम अपनी आत्मा का कल्याण नहीं कर सकते और संसार में ही परिभ्रमण करते रहते हैं। 

इससे बचने का उपाय यह है कि हम अपनी आवश्यकताओं को कम करें, घर में रह रहें हैं तो उसे अपना स्थायी ठिकाना न मान लें। इस अवसर पर उन्होंने सद्राह पर चलकर जीवन को श्रेष्ठ बनाने की नसीहत श्रद्धालुओं को दी। धर्मसभा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू, जिला कलेक्टर आरके जैन ने आचार्यश्री विशुद्धसागर महाराज से शिवपुरी में चातुर्मास करने की विनती की। पुलिस अधीक्षक आरपी सिंह जिला पंचायत सीईओ संदीप माकिन तथा जिला न्यायालय के सिविल जज दीपक चौधरी के साथ अशोकनगर, शाढ़ौरा, गुना, विदिशा, भिण्ड, झांसी आदि स्थानों से आए आगन्तुक अतिथियों द्वारा श्रीफल भेंटकर आचार्य श्री से आशीष ग्रहण किया। कार्यक्रम का संचालन संजीव बांझल द्वारा किया गया।

विहार की घोषणा के साथ छलक उठे श्रद्धालुओं की आंखों में आंसू


जैसे ही मंच से घोषणा हुई कि दोपहर 1 बजे आचार्य विशुद्ध सागर महाराज शिवपुरी से पड़ौरा की ओर विहार करेंगे वैसे ही वातावरण में मौन छा गया और कई श्रद्धालुओं की आंखों से अश्रु छलक उठे। धर्मसभा के पूर्व मंगल गान चंचल जैन द्वारा किया गया तथा समाज के वरिष्ठ भजन गायक प्रेमचंद जैन, महावीर प्रसाद जैन, डॉ. एमपी जैन द्वारा भक्ति गीतों की विनयांजलि दी गई।