प्रशासनिक गतिविधियों में तेजी लाने में नाकाम रहे कलेक्टर

शिवपुरी-शिवपुरी के कलेक्टर आर.के.जैन को जिलाधीश की कुर्सी संभाले कई महीने बीत गए है मगर प्रशासनिक गतिविधियों में जो कसावट और तेजी आनी चाहिए थी वह देखने को नहीं मिल रही है। जिला मुख्यालय के अलावा तहसील मुख्यालयों पर भी प्रशासनिक अधिकारियों का रवैया निष्क्रियता भरा है।

पूरे जिले में विकास योजनाऐं एवं अन्य प्रशासनिक कामकाज ठप्प पड़े हुए है। नए कलेक्टर आर के जैन से जो उम्मीदें क्षेत्र की जनता ने बांधी थी उनकी हवा निकल गई है। आर के जैन से पहले शिवपुरी के कलेक्टर जॉन किंग्सली थे उनके समय भी यही हाल था। कलेक्टर आर के जैन के वर्तमान कार्यकाल में भी कोई परिवर्तन व्यवस्थाओं में नहीं दिख रहा है।

जिले के सभी सरकारी दफ्तरों में हालात यह है कि आम आदमी के काम हो नहीं रहे हैं। सरकारी काम लटके पड़े है कोई भी व्यक्ति कार्यालय में जब अपने काम को लेकर जाता है तो वहां सीधे तौर पर रिश्वत की मांग होती है। व्यवस्थाऐं चारों खाने चित्त है। बीते कई महीनों से कलेक्टर की कुर्सी पर आर के जैन विराजमान है मगर यहां प्रशासनिक व्यवस्थाओं को गति देने में आर के जैन नाकाम साबित हुए है। 

ग्वालियर से शिवपुरी स्थानांतरित होकर आए आर के जैन से स्थानीय लोगों ने उम्मीद पाली थी कि यहां की प्रशासनिक गतिविधियों में कुछ तेजी आएगी मगर यह उम्मीद ना उम्मीद में बदल गई। जिला मुख्यालय पर अधिकतर सरकारी दफ्तर जैसे एसडीएम कार्यालय, तहसील कार्यालय, कृषि विभाग, पंचायत कार्यालय, जनपद कार्यालय, नगर पालिका, स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाऐं चारों खाने चित्त है। सरकारी कार्यालय समय पर खुल नहीं रहे हैं। अधिकारी तो कार्यालय में बैठते ही नहीं है। वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालयों में ना आने के कारण अधीनस्थ अमले को हाल तो और भी बुरा है।
 

बैठकों में गुजर रहा है समय


शिवपुरी के कलेक्टर आर के जैन जब से यहां आए है तो अधिकतर समय अधिकारियों का बैठकों में ही गुजर रहा है। सोमवार को टी.एल.बैठक के अलावा अन्य बैठकें भी घंटों चल रही है जिसमें विभागीय अधिकारियों को शामिल होना पड़ता है। बैठकों में ही अधिकारी विचार विमर्श करके घरों की ओर रवाना हो जाते है जबकि जमीनी तौर पर विकास योजनाऐं और प्रशासनिक कामकाज ठप्प पड़े है। कलेक्टर आर के जैन को बैठकों वाला कलेक्टर कहा जाने लगा है। एक अधिकारी नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि 5-5 घंटों की बैठकें चल रही है। सप्ताह के अधिकतर दिन बैठकों में ही गुजर जाते है।
 

तहसील मुख्यालयों पर भी हालत बुरी


जिला मुख्यालय के अलावा तहसील मुख्यालयों पर भी प्रशासनिक कामकाज की गति काफी बुरी है। जिले की पोहरी, करैरा, खनियाधाना, पिछोर,नरवर, बदरवास, कोलारस आदि  स्थानों पर लोगों के काम हो नहीं रहे है। यहां पर एसडीएम बैठते नहीं है इसलिए अन्य अमला भी मदमस्त तरीके से कामकाज कर रहा है। कलेक्टर को चाहिए कि इन तहसील मुख्यालयों पर आकस्मिक छापामार कार्यवाही कर शासकीय कार्यालयों का निरीक्षण करें मगर कलेक्टर आर के जैन ऐसा कर ही नहीं रहे है। कलेक्टर की सख्ती ना होने के कारण अधिकारियों का रवैया निरंकुश भरा है।