शिवपुरी में भाजपा खाद्य माफियाओं का कहर, एक भी दाना नहीं छोड़ा

विशेष टिप्पणी/ ललित मुदगल/ शिवपुरी-कहने को कहा जाता है राजनीति समाजसेवा का माध्यम है आमतौर पर यह देखा जाता है कि पार्टी में एक आदमी को टिकिट दिया जाता है और वह विधायक बन जाता है चुनाव तो केवल एक ही आदमी लड़ता है लेकिन पूरा का पूरा पार्टी संगठन उसे जिताने के लिए जी-जान से रात दिन मेहनत करता है।

संगठन में जो कार्यकर्ता मेहनत करता है वह अपने अथक प्रयासों से पार्टी को विजयश्री दिलाकर पूरे पांच वर्षों तक कई माध्यमों से स्वयं के बारे न्यारे करने से भी पीछे नहीं हटता। कुछ ऐसा ही इन दिनों शिवपुरी में देखने को मिल रहा है जहां शिवपुरी में भाजपा खाद्य माफियाओं का कहर नजर आता है ऐसे में अब गरीबों के हक पर यही माफिया डांका डालकर इनके हिस्से का एक-एक दाना बेचकर समाजसेवा (राजनीति)के माध्यम से स्वयं सेवा कर रहा है। यहां पाठको को बताना मुनासिब होगा कि पिछले विधानसभा जो चुनाव हुए वहां जो अभी वर्तमान में जो भाजपा के विधायक है वह अपने स्वयं के बलबूते पर नहीं बल्कि शिवराज सिंह के जादू से वह विजयश्री हुए। जनता ने उन्हें वोट नहीं दिया बल्कि शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री बनाने के लिए इन विधायकों को वोट दिया परन्तु अब समाजसेवा के माध्यम से राजनीति करने वाले भाजपा संगठन के लोग शिवराज के वोटर्स के हक का एक-एक दाना खुद ही डकार रहे है। 

शिवपुरी जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की हालत बुरी तरह खराब है। रसद माफियाओं द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके राशन वितरण में लाखों रूपये के घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। शिवपुरी के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में राशन वितरण व्यवस्था में संलग्न अधिकतर लीड संस्थाऐं सत्ताधारी दल से जुड़े भाजपा नेताओं के द्वारा संचालित की जा रही है। इन लीड संस्थाओं पर भाजपा से जुड़े नेताओं का हाथ है और गरीबों का राशन यह सत्ताधारी दल से जुड़े नेता रसद माफियाओं को बेच रहे है।  शिवपुरी ग्रामीण क्षेत्र की लीड का संचालन करने वाले कर्ताधर्ताओं द्वारा मुख्यमंत्री और उनके परिजनों के नाम पर खाद्यान्न वितरण में जमकर सेंध लगाई जा रही है। अधिकारियों पर सत्ताधारी दल के नेताओं का दबाब इतना है कि चाहते हुए अधिकारी कार्यवाही नहीं कर पा रहे है।

शिवपुरी शहर और ग्रामीण क्षेत्र में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की बात करें तो इन जगह राशन वितरण व्यवस्था में संलग्न लीड संस्थाऐं सत्ताधारी दल से जुड़े भाजपा नेताओं के हाथों में है। शिवपुरी शहर और ग्रामीण में लीड के कर्ताधर्ता कंट्रोल दुकानों पर राशन पहुंचाने की बजाए माफियाओं के हाथों में राशन पहुंचा रहे हैं। कंट्रोल दुकानों की स्थिति यह है कि दुकानें खुल ही नहीं रही है और ना ही राशन बंट रहा है। शिवपुरी ग्रामीण क्षेत्र में हालात यह है कि यहां मुख्यमंत्री के साले का अपने आप को खास बताने वाले राठौर समाज के एक नेता के हाथ में लीड की बागडोर है। कागजों में जिस संस्था का नाम लीड संचालन में लिया गया है उस संस्था के मुख्य पदाधिकारी लीड संचालित करते नहीं है बल्कि राठौर समाज का यह रसद माफिया लीड का संचालन करता है। भाजपा से जुड़े होने की बात कहकर अधिकारियो पर दबाब डालता है। शिवपुरी ग्रामीण क्षेत्र में हालात यह है कि इस कथित भाजपा नेता के कारण वितरण व्यवस्था चारों खाने चित्त है। राशन की दुकानों पर गेहॅंू और कैरोसिन पहुंच ही नहीं रहा है। सूत्र बताते हैं कि यह राठौर समाज का नेता ऊपर तक रूपया भेजने की बात कहकर जिला प्रशासन के अधिकारियों पर दबाब डालता है और इसी दबाब के कारण गरीबों को बंटने वाला खाद्यान्न पात्र हितग्राहियों तक नहीं पहुंच पा रहा है। 

साले की बात कहकर दबाब


राठौर समाज के जिस नेता के हाथ में ग्रामीण क्षेत्र की लीड की बागडोर है वह सीएम के साले के पावर का दबाब बनाकर अधिकारियों पर रौब झाड़ता है। ग्रामीण क्षेत्र में स्थित राशन दुकानों पर उच्च स्तरीय जांच कराई जाए तो लीड से जुड़ी अनियमितताओं से संबंधित बातें साफ सामने आ जाऐंगी। जिन गांवों में लाखों क्विंटल गेहॅंू और लाखों लीटर कैरोसिन वितरण दिखाया गया है वहां यह वितरण ही नहीं हुआ है। खबर है कि राठौर समाज का यह नेता पहले साईकिल पर घूमता था और अब महंगी-महंगी गाडिय़ां लाकर अपना रौब और रूतबे का प्रदर्शन कर रहा है। राठौर समाज का यह नेता कल तक छोटे मोटे धंधे करके अपनी रोजी-रोटी चलाता था। ग्रामीण क्षेत्र की लीड चलाकर यह राठौर समाज का नेता आज करोड़ो में खेल रहा है। 

औद्योगिक क्षेत्र में पकड़े गए गेंहू का मामला दबा


पिछले दिनों जिला प्रशासन के जांच दल ने शिवपुरी शहर के औद्योगिक क्षेत्र में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का हजारों क्विंटल गेहूंॅ पकड़ा। पकड़े गए गेहॅंू के मामले में लीड संस्था का संचालनकर्ता वहां गोदाम होने के कागज छापामार दल को उपलब्ध नहीं करा सका था। बाद में इस पकड़े गए गेहॅंू को जब्त कर लिया गया मगर सूत्र बताते हैं कि भोपाल से आए दबाब के बाद औद्योगिक क्षेत्र में पकड़े गए हजारों क्विंटल गेहॅंू के मामले को दबा दिया गया। सूत्र बताते हैं कि ग्रामीण लीड के कुछ कर्ताधर्ताओं ने इस हजारों क्विंटल गेहॅंू को रसद माफियाओं को ठिकाने लगाने की योजना बनाई थी मगर सूचना लीक हो गई और बाद में यह गेहॅूं पकड़ा गया लेकिन पकड़े गए इस गेहॅंू के मामले को प्रशासनिक अधिकारियों ने ऊपरी दबाब के चलते दबा दिया। हर महीने लाखों क्विंटल गेहॅंू गरीबों में बंटने के लिए कागजों में जा रहा है मगर इस गेहॅंू को पात्र हितग्राहियों को नहीं बांटा जा रहा। दुकानों तक पहुंचने से पहले ही रास्ते से माल गायब हो रहा है।