पूर्वमंत्री केपी सिंह ने किया कांग्रेस ​लीडर्स पर हमला

राजू (ग्वाल) यादव/ शिवपुरी/ पूर्व पशुपालन मंत्री और कांग्रेस के विधायक के.पी.सिंह के द्वारा दिया गया यह बयान कि सन् 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों का चयन और टिकिट आवंटन का काम गलत था। टिकिट आवंटन के दौरान प्रत्याशियों का चयन सही नहीं किया गया।
इस बयान के बाद कांग्रेस की गुटबाजी एक बार फिर से सामने आ गई है। दिग्विजय सिंह के खास माने जाने वाले कांग्रेस विधायक के.पी.सिंह का यह बयान तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुरेश पचौरी के खिलाफ माना जा रहा है। के.पी.सिंह की यह बयानी अघोषित तौर पर तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुरेश पचौरी की कार्य प्रणाली पर ऊंगली उठाना है। पूर्व मंत्री की इस बयानी के बाद कांग्रेस की खेमेबाजी व गुटबाजी एक बार फिर से सबके सामने आ गई है। 


के.पी. सिंह को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का खास माना जाता है। दिग्विजय सिंह की प्रदेश में अपने ही दल के नेता पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुरेश पचौरी से पटरी बैठती नहीं है। सन् 2008 में टिकिटों के आवंटन के दौरान दिग्विजय सिंह और सुरेश पचौरी के बीच मतभेद सामने आए थे। बताया जाता है कि सुरेश पचौरी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को प्रदेश की ही राजनीति में उस समय सक्रिय नहीं देखना चाहते थे और इसी कारण से सुरेश पचौरी ने अपने राजनैतिक चश्मे से टिकिटों का आवंटन किया था। 

सन् 2008 में टिकिटों के आवंटन के बाद परिणाम आने पर कांग्रेस की हार हुई और इसी हार पर अब पिछोर विधायक के.पी.सिंह ने नया वक्तव्य देकर नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। पिछोर विधायक केपी सिंह ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में साफ कहा कि सन् 2008 में ऐसे लोगों को टिकिट दिए गए थे जिन्होंने कभी पार्षद का भी चुनाव नहीं जीता था। कांग्रेस विधायक का कहना था कि पहली सूची जो 110 लोगों की जारी हुई थी उसमें 60 लोग जीते जबकि दूसरी सूची जो करीब 100 लोगों की थी उसमें मात्र 10 लोग ही जीत सके। इसका मतलब दूसरी सूची में कांग्रेस प्रत्याशियों का चयन सही नहीं था। 

सिंधिया पर भी साधा निशाना


पिछोर विधायक केपी सिंह ने सन् 2008 में टिकिट आवंटन में गलती करने की बात खुलेआम अपने बयान में कही। इसके अलावा प्रदेश में कांग्रेस की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिए जाने की बात जब पत्रकारों ने उनसे पूछी तो के.पी. सिंह ने साफ कहा कि वर्तमान में कांतिलाल भूरिया प्रदेशाध्यक्ष है और जिस प्रकार से केन्द्र सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया को ऊर्जा मंत्रालय की नई जिम्मेदारी दी गई है उससे उन्हें लगता नहीं कि सिंधिया को मध्यप्रदेश में कमान मिलेगी। केपी सिंह इस बात को टाल गए कि उनके लिहाज से ज्योतिरादित्य सिंधिया को मप्र में चुनाव की कमान दी जानी चाहिए कि नहीं। केपी सिंह पत्रकारों के प्रश्र का सीधे तौर पर जबाब देने से बचते नजर आए। 

राकेश गुप्ता की मौजूदगी रही चर्चा में


पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष और सिंधियानिष्ठ माने जाने वाले सांवलदास गुप्ता के पुत्र राकेश गुप्ता वनस्थली की केपी सिंह की कोठी पर मौजूदगी चर्चा का विषय बनी रही। शिवपुरी शहर कांग्रेस अध्यक्ष रहे राकेश गुप्ता को अभी हाल ही में इस पद से हटाया गया है। राकेश गुप्ता की जगह राकेश आमोल को शहर कांग्रेस अध्यक्ष की नई बागडोर सौंपी गई है। ज्योतिरादित्य सिंधिया से अनबन के कारण राकेश गुप्ता को शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया ऐसी चर्चाऐं है और इन्हीं चर्चाओं के बीच राकेश गुप्ता का दिग्गी खेमे के केपी सिंह से नजदीकियां बढ़ाना नए समीकरणों को बतलाता है। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि राकेश गुप्ता सिंधिया खेमा छोड़कर दिग्गी राजा से जुड़े नेताओं से अपनी नजदीकियां बढ़ाने में लगे हैं। इसी क्रम में वह गुरूवार को केपी सिंह से उनकी कोठी पर मिलने पहुंचे थे। केपी सिंह की कोठी पर राकेश गुप्ता का पहुंचना दिग्गी गुट के नेताओं के बीच ही चर्चा का विषय बना रहा।