ये पीआरओ है या भ्रष्ट्र अधिकारियों का ऐजेन्ट

सेन्ट्रल डेस्क। ये कैसा खेल चल रहा है शिवपुरी में, पीआरओ भ्रष्ट व्यवस्था के ऐजेन्ट का रोल प्ले कर रहा है, खबनवीसों को भी पता नहीं क्या रोग हो गया है। उपयोग के लिए उपलब्ध हैं बस, न सवाल न तर्क और न विश्लेषण। पीआरओ कुछ भी अनाप शनाप प्रेसनोट भेजता है और वो छपते भी हैं। ऐसा ही एक प्रेसनोट देखिए, कितनी शांति के साथ रिश्वतखोरी प्लान की गई है और धमकी देने के लिए अखबार का उपयोग। 

शिवपुरी में प्रशासनिक अधिकारियों ने रिश्वत वसूलने और लोगों को धमकाने के लिए जनसंपर्क कार्यालय का उपयोग करना शुरू कर दिया है। यह लगातार दिखाई दे रहा है। शेष चर्चा बाद में करेंगे, पहले आप खुद पढ़िए यह प्रेसनोट

उचित मूल्य की दुकानों का आकस्मिक निरीक्षण 


शिवपुरी-कलेक्टर आर.के.जैन के निर्देशानुसार अपर तहसीलदार शिवपुरी के द्वारा शिवपुरी जनपद के सतनबाड़ा व अन्य ग्रामों के आसपास की कुछ उचित मूल्य की दुकानों का आकस्मिक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान सभी स्थानों पर दुकानें बंद पायी गयी। कहीं बोर्ड टूटा पाया गया तो अधिकांश दुकानों पर भाव सूची नहीं थी। 

विक्रेता का नाम वह पता भी अंकित नहीं पाया गया। दुकानों पर माल पहुंचने के बाद वितरण पूर्व स्टोक का सत्यापन नहीं कराया जाता और सरपंच के द्वारा प्रमाणीकरण भी नहीं दिया गया है। जिला आपूर्ति अधिकारी ने जांच रिर्पोट अनुविभागीय अधिकारी शिवपुरी को सौपकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2009 के तहत आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। 

कुछ समझ आया, इस प्रेसनोट में, अपनेराम को तो कुछ समझ नहीं आया, बल्कि रिश्वतखोरी प्लांट करने की बू आई:— 

1.  यह तो बड़ी शिद्दत के साथ बताया गया कि अपर तहसीलदार ने कलेक्टर के निर्देशानुसार उचित मूल्य की दुकानों का आकस्मिक निरीक्षण किया परंतु यह नहीं बताया गया कि दुकानों की कुल संख्या क्या थी..? कुछ दुकानों से क्या तात्पर्य निकाला जाए ?

2. पीआरओ ने यह तो तसल्ली के साथ लिखा कि दुकानों में क्या क्या कमियां पाई गईं ? परंतु यह नहीं बताया कि किन किन दुकानों में, वहां कौन मिला और दुकान किसके नाम आवंटित है। 

बड़ी ही सफाई के साथ पूरी जानकारी छिपा ली गई, और यह भी बताया कि सतनवाड़ा और आसपास के इलाके में छापामार कार्रवाई हुई है। यहां पीआरओ अपर तहसीलदार का ऐजेन्ट प्रतीत हो रहा है। 

संभव है, संबंधित अधिकारी ने 15 दुकानों पर छापामार कार्रवाई की हो और कलेक्टर को केवल 5 ही बताइ हों, बाकी सबसे दीपावली का चंदा वसूला जा रहा हो। यदि ऐसा है तो इस कालेकारोबार का एक शेयर पीआरओ के पास भी जा रहा होगा। 

संभव है, कलेक्टर सहित पूरा का पूरा तंत्र ही इस खेल में शामिल हो और योजनाबद्ध तरीके से लोगों को धमकाने के लिए यह प्रेसनोट रिलीज किया गया हो, अभी कोई कागजी कार्रवाई की ही नहीं गई हो, जैसी डील होगी वैसी कार्रवाई की जाएगी, ताकि आरटीआई में हाथपैर बचे रहें। 

सरकारी कागज है पैदा तो किया जा सकता है, लेकिन मारा नहीं जा सकता और फिर आरटीआई तो गड़े मुर्दों को जिंदा करने वाला शुक्रचार्य हो गया है। 

कुल मिलाकर सरेआम रिश्वतखोरी और धमकियों के लिए शिवपुरी में एक पूरा का पूरा गिरोह सक्रिय हो गया है। हम दावा करना चाहते हैं कि यह प्रेसनोट केवल और केवल रिश्वतखोरी के लिए दबाव बनाने के लिए जारी किया गया है। 

यदि यह गलत है तो हम उम्मीद करते हैं कि रविवार शाम से पहले इस जांच प्रक्रिया के सभी दस्तावेज जिसमें पंचनामा भी शामिल है, सार्वजनिक किए जाएंगे। हम समझते हैं कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय नहीं है एवं अपनी पारदर्शिता साबित करने के लिए प्रशासन को इसमें कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। 

हम उम्मीद करते हैं कि रविवार का बहाना नहीं बनाया जाएगा, क्योंकि रविवार को अब कई जरूरी प्रशासनिक मीटिंग भी होतीं हैं और दफ्तर भी खुलते हैं। 

यदि प्रशासन यह दस्तावेज सार्वजनिक करता है तो हम सार्वजनिक क्षमायाचना करेंगे, परंतु यदि नहीं करता तो जनता की इस अदालत में यह साबित हो जाएगा कि पूरे के पूरे कुएं में ही भांग घुली हुई है और अब मीडिया भी शिवपुरी की अवाम की रक्षा करने में सक्षम नहीं रही।