अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझी, पिता-पुत्र निकले हत्यारे

शिवपुरी- जिले के खनियांधाना के  ग्राम अमुआ के जंगल में बीते दो दिन पहले महेश केवट की लाश मिली थी। हत्या के आरोप में पिता पुत्र को गिरफ्तार कर लिया है और उनका एक साथी अभी फरार है। पुलिस ने हत्या एवं हत्या के साक्ष्य मिटाने का मामला पंजीबद्ध कर लिया है। 

पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते 3 नवंबर को महेश केवट की लाश अमुआ के जंगल में पड़ी मिली थी। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी थी। पुलिस को 48 घंटे की कड़ी मशक्त के बाद हत्या के मामले का पर्दाफाश करते हुए खनियांधाना टीआई कैलाशबाबू आर्य ने बताया कि मृतक महेश तंत्र-मंत्र का काम करता था और साथ ही राजघाट कॉलोनी में चपरासी के पद पर पदस्थ था। ग्राम पौठियाई में रहने वाली रानी (बदला हुआ नाम)नामक महिला की दो साल से पति दयाराम पुत्र भूपचंद्र प्रजापति से बोलचाल बंद था। रानी को किसी से मालूम पड़ा कि खनियंाधाना में रहने वाला महेश केवट जो कि एक तांत्रिक है और वह पति पत्नि के झगड़े को शांत कर सकता है। 

रानी तांत्रिक महेश से मिली और उसने अपनी समस्या उसके सामने रखी। तांत्रिक महेश ने रानी को दवा की दो पुडिय़ा बनाकर दे दी और कहा कि पानी में मिलाकर एक पुडिय़ा वह और एक पति को पिला दे। तांत्रिक द्वारा दी गई दवा पर पति पर कोई असर नहीं हुआ लेकिन वह उसके संमोहन में फंस गई। इसका फायदा उठाते हुए तांत्रिक महेश ने रानी के साथ डेढ़ साल तक शारीरिक शोषण किया। घटना के 15 दिन पहले जब रानी के पति दयाराम को पत्नि के महेश के साथ अवैध संबंध होने की जानकारी लगी तो वह क्रोधित हो गया और दयाराम ने पत्नि की मारपीट कर डाली। इससे क्षुब्ध होकर पीडि़त पत्नि ने कीटनाशक दवा का सेवन कर लिया। उपचार के बाद वह स्वस्थ्य हो गई। लेकिन पिटाई से क्षुब्ध होकर रानी 23 अक्टूबर को अपनी ससुराल छोड़कर मायके में रहने लगी। जब दयाराम रानी को मनाने के लिए उसके मायके गया तो उसने उसके साथ आने से इंकार कर दिया। इसके बाद दयाराम निराश होकर अपने घर लौट आया। 

लेकिन दयाराम अपनी पत्नि के बगैर नहीं रह सका और 1 नवंबर को वह फिर से रानी को मनाने के लिए उसके मायके पहुंच गया। लेकिन रानी ने उसको बेईज्जत करके वहां से भगा दिया। जब बेईज्जत होकर दयाराम अपने गांव पौठियाई आया तो उसके घर पर तांत्रिक महेश केवट जो कि रानी के  घर छोडऩे से अनभिज्ञ था। वह उसे मिल गया जो कि रानी  के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए वहां आया हुआ था। इसके बाद दयाराम ने अपने पिता भूपचंद्र और एक अन्य साथी के साथ मिलकर महेश की मारपीट कर दी और मोटरसाईकिल पर बैठाकर यह तीनों महेश को अमुआ के जंगल में ले गये जहां उसकी गला दबाकर हत्या कर दी और साक्ष्य मिटाने की कोशिश की। लेकिन उनकी यह चालाकी ज्यादा दिनों तक नहीं चली और वह लाश मिलने के दो दिन के भीतर ही पुलिस के हत्थे चढ़ गए।