हर्षोल्लास के साथ मना दीपों का पर्व दीपावली

शिवपुरी -दीपों के पर्व दीपावली को शहरवासियों ने बड़े ही उत्साह के साथ मनाया एक ओर जहां शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी माता की पूजा अर्चना की वहीं अपने-अपने प्रतिष्ठानों व दुकानों की दुकानदारों द्वारा सजावट कर भव्यता प्रदान करते हुए दीप जलाकर दीपावली पर्व की शोभा बढ़ाई।

पांच दिनों के इस त्यौहार में पहली बार बाजार की रंगत देखने को मिली जहां देर रात तक बाजार खुला रहा और शहरवासियों ने जमकर खरीददारी की। । शहर में फूलमालाओं के लिए चिह्नित किया गया स्थान भी कम पड़ता दिखाई दिए और अल सुबह से लेकर देर रात्रि तक शहर के विभिन्न स्थानों पर फूल माला वाले बिक्री करते नजर आए। कुल मिलाकर दीपावली का यह त्यौहार बड़े हर्षोउल्लास और उत्साह के साथ मनाता हुआ शहरवासियों में नजर आया। 

हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहार दीपावली पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। दीपावली के त्यौहार की तैयारी नागरिकों द्वारा कई सप्ताह पूर्व से प्रारंभ की जाती है। या यूं कहा जा सकता है कि दीपावली के लिए बच्चों, युवतियां महिलाओं तथा पुरूषों एक अलग ही उत्साह नजर आता है। दीपावली के अवसर पर गत रोज घर-घर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ लक्ष्मी पूजन किया गया नये-नये परिधानों से सजे धजे बच्चों द्वारा शहर के गली कूचों से लेकर शहर के प्रमुख बाजारों में जमकर आतिशबाजी चलाई गई लोगों द्वारा दीपावली की एक दूसरे को बधाईयां दी गई। शहर भर देर रात तक आतिशबाजी की आवाजें सुनाई देती रही। शहर के प्रमुख चौराहों तथा मार्गो के निवासियों द्वारा अपने अपने भवनों को बड़े आकर्षक ढंग से विद्युत उपकरणों द्वारा सजाया गया रंग बिरंगी लहराती झालरों का दृश्य बड़ी ही मनोहारी दिख रहा था। 

दीपावली पर नहीं दिखा मंहगाई का असर


व्यापारियों द्वारा जैसा अनुमान लगाया जा रहा था कि मंहगाई के कारण कम दुकानदारी होगी, लेकिन व्यापारियों के अनुमान के विपरीत लोगों ने बाजार में जमकर खरीददारी की, फिर चाहे वह सोना चांदी, कपड़े, मिठाईयां, खाद्य सामग्री, अतिशबाजी हो या फिर डेकोरेशन की सामग्री लोगों द्वारा अपनी आवश्यकता अनुसार खरीददारी कर दीपावली के त्यौहार का जमकर लुफ्त उठाया। बढ़ती मंहगाई का दीपावली के अवसर पर कोर्ई खास असर दिखाई नहीं दिया। 

ग्वाल समाज ने उत्साह के साथ मनाई दीपावली व की गोवर्धन पूजा


शिवपुरी- प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी ग्वाल समाज शिवपुरी द्वारा बड़े ही उत्साह के साथ दीपों का पर्व दीपावली मनाया गया जहां घर-घर लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ गौपूजन भी किया गया तत्पश्चात गोवर्धन पूजन के अवसर पर ग्वाल समाज की तीनों बस्तियों लुधावली, घोसीपुरा, ठकुरापुरा में ग्वाल बन्धु एकत्रित होकर घर-घर पहुंचकर परंपरानुसार गोवर्धन पूजन कराया। 

इस अवसर पर ग्वाल समाज के युवा वर्ग व छोटे बच्चे में बड़ा उत्साह देखने को मिला। ग्वाल समाज के ग्वाल प्रचारक राजू ग्वाल ने बताया कि ग्वाल समाज शिवपुरी में ही नहीं बल्कि झांसी, इटारसी, गुना, जबलपुर, आगर, बजरंगगढ़, सागर, ललितपुर, करैरा, बदरवास सहित अन्य छावनियों में प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा सामूहिक व कई स्थानों पर घर-घर पहुंचकर किया जाता है। शिवपुरी में तो ठकुरपुरा बस्ती के ग्वाल बन्धुओं द्वारा कई प्रकार के करतबों का भी प्रदर्शन किया जाता है जिसमें लेजम चलाना, नाल उठाना, लाठी चलाना व कन्हैया गायन के साथ समाज बन्धु एकत्रित होकर इन आयोजनों में शामिल होकर त्यौहार की बधाई व शुभकामनाऐं देते हुए स्वादिष्ट पकवानें का लुत्फ उठाते है। यहां बता दें कि ग्वाल समाज प्रतिवर्ष सामाजिक परंपरानुसार ही हर त्यौहार को मनाता आया है और दीपावली, होली, जन्माष्टमी, रामनवमीं ऐसे सभी त्यौहार पर समाज बन्ध्ुा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर आयोजनों की गरिमा को बढ़ाते है जिसमें सभी समाज बन्धुओं का विशेष सहयोग प्राप्त रहता है इसी दौरान मिलन समारोह के आयोजन समाज के आपसी भेदभाव को दूर कर समन्वय की भावना को व्यक्त किया जाता है। 

भरत प्रिया माण्डवी की समीक्षा गोष्ठी संपन्न


शिवपुरी- गत दिवस साहित्य अकादमी म.प्र. के निर्देशन में संचालित पाठक मंच शिवपुरी की एक विचार गोष्ठी केन्द्र संयोजक पुरूषोत्तम गौतम के आवास पर संपन्न हुई गोष्ठी में शिवशंकर कटारे की रचना का भरत प्रिया माण्डवी की समीक्षा विद्वान साहित्यकारों, कवियों तथा पत्रकारों द्वारा की गई। 

गीतकार तथा रंगकर्मी अरूण अपेक्षित ने कहा कि इतिहास या पुराण कथाओं के अपेक्षित पात्रों को प्रकाश में लाने का कार्य राष्ट्र कवि गुप्त जी ने उर्मिला, यशोधरा आदि के चित्रण द्वारा किया है। कल्याणी कैकेई रत्नावाली जैसे खण्ड काव्यों की परम्परा में ही कविवर शिशंकर कटारे ने माण्डवी खण्डकाव्य की रचना की है। यह कृति साकेत की उर्मिला या यशोधरा जैसी प्रभाव पूर्ण नहीं बन सकी है। कहीं-कहीं छंद दोष भी है और लय में भी अवरोध दिखाई देता है। रचना में कल्पना का अधिक समावेश है, जबकि उसका आधार दुर्बल है। 

सुधीर बाबू पाण्डेय ने रचना को बहुत संक्षिप्त बताते हुए उनके विस्तार की आवश्यकता प्रतिपादित की। रचना पाठकों को बांधकर रखने में भी समर्थ नहीं है।  प्रसिद्ध गीतकार हरिशचन्द्र भार्गव ने कहा कि माण्डवी पर किसी भी ग्रंथ में नहीं लिखा गया है। अत: पूरी रचना कल्पना द्वारा ही उद्भूत है। यह कवि का एक सफल प्रयोग है। हम किसी भी रचना  की तुलना किसी अन्य रचना से करते समय न्याय नहीं कर पाते। प्रत्येक संवेदनशील साहित्यकार की मन स्थिति अलग होती है और वह उसी के आधर पर अपने भाव प्रकट करता है।