करवा चौथ पर आज मांगेंगी सुहागिनें अखण्ड सुहाग का वरदान

राजू (ग्वाल) यादव/ शिवपुरी- मांग में सुहाग का प्रतीक सिंदूर, रंग बिरंगी चूडिय़ों से सजी हाथ की कलाईयां, मेंहदी से रचे सुर्ख लाल हाथ, पैरों में आलता महावर सहित विविध प्रकार के सोलह श्रृंगार से सजी धजी सुहागिन स्त्रियों के रूप सौन्दर्य को देख आज करवा चौथ की रात को बादलों की ओट से निहारता चांद भी शरमा जाएगा। हर किसी के घर आंगन में आज शाम ढलने के बाद 'आज है करवा चौथ सखी री मांगो-मांगो पिया जी का दानÓ जैसे गीत गूंजते सुनाई देंगे।  

जी हां! अचल सुहाग और पति के सुखद भविष्य की कामना को लेकर आज लाल सुर्ख जोड़े में लिपटी सुहागिन स्त्रियां सूर्यास्त के बाद छत पर चढ़कर जब चांद के निकलने का इंतजार करेगीं तब उनका रूप और सौन्दर्य देखते ही बनेगा। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को मनाया जाने वाला करवा चौथ का पर्व सुहागिन स्त्रियों के लिए अनमोल पर्व है। क्योंकि इस पर्व से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। 

भारतीय नारी के आदर्शों और संस्कृति को सहेजने वाला करवा चौथ पर्व को लेकर आज सुहागिन स्त्रियों में, खास कर नई नवेली दुल्हनों में खासा उत्साह रहता है। इस व्रत का पालन करने वाली युवतियों ने पिछले कई दिनों से तैयारियां शुरू कर दी हैं। व्रत धारण करने वाली स्त्रियों ने पूजा करने से पूर्व दीवालों पर चावल एवं हल्दी पीस कर करवा चौथ का चित्र बनाएंगी जिसे 'वरÓ का प्रतीक कहा जाता है। 

इसके अलावा सुहाग के अनेक रूपों की परिकल्पनाएं जैसे नाईन, सात भाई, एक बहिन, सूरज, चांद, पार्वती, गांय, मेंहदी एवं कहार आदि के चित्र बनाएंगी। तत्पश्चात मिट्टी, तावा, चांदी, शक्कर से बने करवा में गेहूं भर कर ऊपर रखे ढक्कन में मिठाई, फल, बस्त्र, पैसे एवं सुहाग सामग्री रखी जाएगी तथा मिट्टïी के ढेले पर मौली धागा लपेट कर गणपति का चित्र बनाया जाएगा। तत्पश्चात स्त्रियों ने आपस में सात बार करवा बदलने के बाद भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय एवं माता महालक्ष्मी का विधिवत पूजन करेंगी। इसके बाद शुरू होगा चांद निकलने का बेसब्री से भरा इंतजार।

करवाचौथ के चलते बाजारों खूब हुई खरीददारी


भारतीय संस्कृति में पति और पत्नि का पवित्र त्यौहार करवाचौथ आज शुक्रवार 2 नवंबर को मनाया जाएगा। जिसके चलते महिलाओं में खरीददारी करने के लिए भारी उत्साह देखा गया और बाजारों में रौनक नजर आई। वहीं बड़ी संख्या में महिलाएं साड़ी, चूडिय़ां, छलनी, करवा एवं सुहाग सामग्री सहित पूजा की अन्य सामिग्री खरीदती नजर आई। बाजारों में प्रमुख रूप से करवा चौथ पूजन सामग्री की दुकाने सजी हुईं थी। खासकर जिन महिलाओं के  हाल ही में विवाह हुए हैं और उनका यह पहला करवाचौथ व्रत है उन महिलाओं में इस त्यौहार को लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है और उन महिलाओं में मार्केट से महंगी-महंगी साडिय़ां, ज्वैलरी खरीदने के लिए होड़ लगी है और वे अपने पति के सामने करवाचौथ वाले दिन सुंदर दिखने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। 

व्रत को लेकर देखा गया उत्साह


महिलाओं में खरीददारी को लेकर जो उत्साह देखा जा रहा है। उससे दुकानदारों में भी खुशी का माहौल निर्मित हो गया है। दुकानदारों ने महिलाओं को रिझाने के लिए अच्छे-अच्छे फैन्सी कपड़े ,ज्वैलरी की विशाल श्रृखंला दुकानों पर पर लगा रखी है। जिससे महिलाओं में खरीददारी के लिए और भी उत्साह देखा जा रहा है इस बार मार्केट में टीबी सीरियलों में प्रयुक्त किए जाने वाले कपड़ों और ज्वैलरी का क्रेज देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही करवाचौथ के दिन परंपरागत रूप से मिट्टी के करवे का उपयोग किया जाता है। वह भी मार्केेट में उपलब्ध हैं और उनके साथ करवाचौथ के व्रत में प्रयुक्त किए जाने वाला पन्ने भी जगह-जगह बेचे जा रहे हैं। हर कोई इस त्यौहार की तैयारी में जुटा हुआ है। उल्लेखनीय है कि करवाचौथ के दिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखकर चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही जल ग्रहण करती हैं। इस बार 2 नवंबर को 7:52 बजे चंद्रोय होगा। मान्यता है कि अब माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश को विशेष दर्जा दिलाने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की थी। भगवान शिव ने माता पार्वती की प्रार्थना स्वीकार कर श्री गणेश को गणों में प्रथम पूजन का बरदान दिया। तब से शुभ कार्य होने से पहले भगवान श्री गणेश का पूजन किया जाने लगा। इस गणेश चतुर्थी के दिन ही करवाचौथ का व्रत पड़ता है।

कोलारस व बदरवास में भी दिखा दिखेगी करवाचौथ व्रत की छठा


नगर के चहुंओर करवाचौथ को लेकर आज बदरवास व नगर पंचायत कोलारस में आमजन व ग्रामीणों की अच्छीखासी भीड़ देखने को मिली। इस व्रत को लेकर जहां नगर की महिलाओं में उत्साह दिखा तो वहीं ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने भी इस बार करवाचौथ की जमकर खरीददारी की। पति की दीर्घायु के लिए किया जाने वाला यह व्रत नवविवाहिता के खासे उत्साह का केन्द्र बना। जहां युवतियां इस व्रत को लेकर कथाओं और अन्य सामग्री की तैयारियों में जुटी रही। देर शाम को यह व्रत पति के हाथों से जलामृत होने के बाद खुलेगा। कई जगह तो पतियों द्वारा भी अपनी पत्नी की दीर्घायु के लिए भी किया जाएगा।