हत्यारे बेटे को आजीवन कारावास

शिवपुरी। सत्र न्यायाधीश ए.एस. तोमर ने पिता की हत्या के आरोपी पुत्र नरेन्द्र पुत्र गोपाल आदिवासी निवासी सतनवाड़ा को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और 2 हजार रूपए के अर्थ दण्ड से दण्डित किया है। हालांकि अभियोजन ने न्यायालय से इस मामले को बिरलतम मानते हुए आरोपी को फांसी दिए जाने की पैरवी की थी,
लेकिन न्यायाधीश महोदय ने इस मामले को बिरलतम नहीं माना और भादवि की धारा 302 के तहत न्यूनतम दण्ड से आरोपी को दण्डित किया है। खास बात यह भी रही कि सत्र न्यायाधीश महोदय ने महज साढे चार माह में इस मामले का फैंसला सुना दिया। इस प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी शासकीय अभिभाषक मदन बिहारी श्रीवास्तव ने की।

अभियोजन की कहानी के अनुसार फरियादिया मुन्नी बाई आदिवासी ग्राम रूधियापुर में निवास करती हैं और बारा में आशा कार्यकर्ता के पद पर पदस्थ है। उसके पति रामजीलाल की मृत्यु हो गई थी वहीं मृतक गोपी की पत्नि रामबती की मृत्यु होने पर मुन्नी बाई और गोपी तीन साल से पति पत्नि की तरह रह रहे थे। रामवती के बच्चे बड़े थे और उसके तीन पुत्र थे। आरोपी नरेन्द्र बीच का लड़का था। वह मृतक की गांव खुरैरा की जमीन बेचना चाहता था जिसका विरोध मृतक गोपी करता था।

27 मई की रात्रि को नरेन्द्र, फरियादी मुन्नी बाई और मृतक गोपी सैटेलाईट शाला भवन में रात को सोए। सुबह 4 बजे फरियादी मुन्नी बाई ने देखा कि आरोपी नरेन्द्र गोपी के शरीर पर कुल्हाड़ी से प्रहार कर रहा है। इस पर वह चिल्लाई तो उसका लड़का पंचम, मृतक गोपी का बहनोई राजेन्द्र और जगना खंगार मौके पर आए जिन्हें देखकर नरेन्द्र भाग गया। मुन्नी बाई ने देखा कि गोपी के शरीर पर कुल्हाड़ी के कई बार थे और उसकी वहीं मृत्यु हो गई। पुलिस ने इस मामले में आरोपी नरेन्द्र के विरूद्ध भादवि की धारा 302 के तहत प्रकरण दर्ज कर चालान न्यायालय में पेश किया।