वनरक्षक और वनसेवा कर्मचारियों में भेदभाव अन्याय की पराकाष्ठा


शिवपुरी- वन कर्मचारियों पर लगातार अत्याचार-अनाचार हो रहे है वन कर्मचारी जहां काम करता है वहां सभ्यता खत्म हो जाती है जहां रहने के लिए घर नहीं, पीने को पान नहीं, घास-फूस में काम करने वाले वन कर्मचारी को कोई सुविधा शासन/विभाग नहीं देना चाहता उसे उसके परिवार के भरण-पोषण हेतु पर्याप्त वेतन भी नहीं देना चाहता जबकि शासन वरिष्ठ अधिकारी को सबकुछ देने को आतुर रहता है
अच्छा वेतन, गाड़ी, बंगला एवं पदोन्नति परन्तु छोटे कर्मचारी को कुछ भी देने में सरकार को भारी दु:ख व कष्ट महसूस होता है आखिर यह भेदभाव क्यों, एक उदाहरण के माध्यम से बताता हॅंू जब सबसे निचले स्तर के कर्मचारी वनरक्षक वर्ष 1980 में शासन सेवा में भर्ती होता है दूसरी तरफ एक भारतीय वन सेवा के अधिकारी की भी 1980 में ही सेवा में आता है इन दोनों ने सेवा एक साथ प्रारंभ की, वन रक्षक 30 वर्ष की सेवा करने के पश्चात वन रक्षक पद से ही पद उपलब्ध ना होने से सेवानिवृत्त हो जाता है तो वहीं भारतीय वन सेवा का अधिकारी 04-05 प्रमोशन प्राप्त कर प्रधान मुख्य वन संरक्ष्क के पद से सेवानिवृत्त होता है यह विडम्बन नहीं तो क्या है यह अन्याय की पराकाष्ठा है। वन रक्षकों की इस पराकाष्ठा को बता रहे थे म.प्र.वन कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष निर्मल कुमार तिवारी जो स्थानीय वन विद्यालय शिवपुरी में वन कर्मचारी संघ की प्रांतीय महासभा की बैठक को संबोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथिगणों में सुरेश कुमार दुबे जिलाध्यक्ष मप्र तृतीय श्रेणी कर्मचारी संघ शिवपुरी भी मौजूद थे। म.प्र्र.वन कर्मचारी संघ के संभागीय अध्यक्ष नरेन्द्र गौतम, जिलाध्यक्ष राधेश्याम तिवारी, महामंत्री ओ.पी.शर्मा,संगठन मंत्री अजय त्रिपाठी, सचिव यतेन्द्र शर्मा, संभागीय सचिव प्रहलाद शर्मा, उपाध्यक्ष भजन सिंह राजपूत, नवल किशोर शर्मा, आनन्द श्रीवास्तव एवं राजकुमार सिंह सेंगर व बी.पी.तिवारी अध्यक्ष दैनिक वेतन भोगी प्रकोष्ठ आदि के संयुक्त प्रयासों से म.प्र.वन कर्मचारी संघ की प्रांतीय महासभा की बैठक शिवपुरी के वन विद्यालय में आयोजित की गई। वहीं 2008 में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की वनरक्षक के पद पर भर्ती हेतु परीक्षा आयोजित की गई जिसमें 3500 परीक्षा में सफल घोषित किए गए जिसमें से 2100 को तो वनरक्षक के पदों पर नियमित कर दिया गया वहीं 1400 अब भी अपनी नियुक्ति के लिए भटक रहे है जबकि विभाग द्वारा सफल उम्मीदवारों को छोड़कर वनरक्षक के रिक्त पदों पर व्यापम के द्वारा सीधी भर्ती कर ली गई विभाग की यह कार्यवाही दै.वे.भो.श्रमिकों के साथ अन्याय की पराकाष्ठा है। संघ ने शेष दै.वे.भो.कर्मचारियों को दीपावली से पूर्व नियमत की मांग की।आभार महामंत्री ओ.पी.शर्मा ने व्यक्त किया।