अहं के विसर्जन से प्रगटेगा उत्तम मार्दव धर्म: आचार्य सौभाग्य सागर

शिवपुरी। उत्तम मार्दव धर्म को अपने अंदर प्रकट कराने के लिए आवश्यक है कि हम अंतरंग से मान कषाय को छोड़ें। जब तक हम अहं का विसर्जन नहीं करेंगे तब तक मार्दव धर्म का प्रगटिकरण हमारे अंदर नहीं हो सकता। यह विचार छत्री जैन मंदिर पर चातुर्मास कर रहे आचार्य सौभाग्य सागर महाराज ने पर्युषण पर्व के अवसर पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि अभिमान पतन का कारण है जिसके चलते बड़े-बड़े राजा और महाराजाओं को ग्लानी झेलनी पड़ी है। इतिहास में इसके सैंकड़ों उदाहरण भरे पड़े हैं, हमें अभिमानी और दंभी नहीं बनना है वरन् अहं का विसर्जन करना है तब कहीं जाकर हम अपने अंदर उत्तम मार्दव धर्म को प्रगटा सकेंगे। धर्मसभा को संबोधित करते हुए जैन मुनि सुरत्न सागर महाराज ने कहा कि क्षमाभाव धारण करने के साथ-साथ हमें अपने अंदर मार्दवगुण प्रकट करने के लिए मान कषाय का शमन करना होगा और यदि क्रोध और मान कषाय को हम जीतना चाहते हैं तो उसे जीतने के हथियार क्षमा और मार्दवगुण हैं जिसके चलते हम अपने अंतरंग को पवित्र कर सकते हैं। धर्मसभा के पूर्व आचार्य सनमति सागर महाराज के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्जवलन बैंक अधिकारी हीरालाल जैन द्वारा किया गया जबकि मंगलाचरण डॉ. एम.के. बांझल ने किया।

रात्रि में धार्मिक प्रतियोगिताओं का हुआ आयोजन


छत्री जैन मंदिर पर अकलंक-निकलंक युवा मंडल एवं दिगंबर जैन यूथ क्लब के पदाधिकारी व सदस्यों द्वारा ज्ञानवर्धक व आध्यात्मिक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। 19 सितम्बर से 30 सितम्बर तक आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम के दौरान चित्र पहचानों प्रतियोगिता कम्प्यूटर के माध्यम से प्रोजेक्टर लगा प्रदर्शित की गई जिसमें शिवपुरी शहर के विभिन्न जिनालयों के साथ-साथ देश और विदेश के विभिन्न चित्रों को प्रदर्शित किया गया और क्रम से उन्हें भरवाया गया। 21 सितम्बर को क्रिकेट मैच प्रतियोगिता का आयोजन इस संगठन द्वारा कराया जाएगा।