छल, कपट और मायाचारी से मिलेगी पशुगति : मुनि सुरत्न सागर

शिवपुरी। यदि हम मायाचारी और छल-कपट करेंगे तो इससे तिर्यंचगति अर्थात् पशु गति को प्राप्त करेंगे और यदि जीवन में सरलता धारण करेंगे तो यह हमें परम पद में भी पहुंचा सकती है। अब हमें कैसे कार्य करना है और मन में किस तरह के विचारों को लाना है यह हम पर निर्भर करता है और जैसी हमारी प्रवृत्ति और सोच होगी हमारी अंतिम गति भी उसी पर निर्भर करेगी। यह विचार जैन संत मुनि चिन्मय सागर महाराज द्वारा छत्री जैन मंदिर प्रांगण में उत्तम आर्जव धर्म पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि गतियां चार प्रकार की मानी गईं हैं जिनमें देवगति, मनुष्य गति, तिर्यंचगति और नरकगति शामिल हैं, ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में छल-कपट कर लोगों को परेशान करता है और उन्हें ठगने का प्रयास करता है ऐसे जीवों का अंत समय बुरा गुजरता है और मरणोपरांत उनका जन्म तिर्यंचगति में होता है। तिर्यंचगति में पशु-पक्षी की यौनी के जीव आते हैं और पशु-पक्षी बनकर बोझा ढोना और भूख-प्यास के साथ सर्दी-गर्मी की वेदना को सहन करना ये सब पशु योनी में होता है और छल-कपट करने वालों को यही गति मिलती है। उन्होंने आचार्य उमा स्वामी द्वारा रचित तत्वार्थ सूत्र के सूत्र का हवाला देते हुए कहा कि मायातिर्यगयौनयस्य अर्थात् मायाचारी से तिर्यंचगति का बंध होता है। इस सूत्र को हमें हमेशा याद रखना चाहिए और हम ठगे जाएं तो इसमें हमारा कुछ बिगडऩे वाला नहीं है, लेकिन यदि हम किसी को ठगेंगे तो निश्चित रूप से तिर्यंचगति के पात्र बनेंगे। अत: तिर्यंचगति से बचने के लिए हमें उत्तम आर्जव धर्म की शरण लेनी होगी और जितने-जितने हम सरल होते जाएंगे, उतने-उतने उत्तम मार्दव धर्म के निकट आते जाएंगे। धर्मसभा को आचार्य सौभाग्य सागर महाराज एवं आर्यिका भाग्यमति माताजी ने भी संबोधित किया और जीवन को सरल बनाकर सद्राह पर चलने की उन्होंने जनसमुदाय से अपील की। इस अवसर पर सैंकड़ों धर्माबलंबी विशेष रूप से उपस्थित थे।

यूथ क्लब ने लगाई कमठ उपसर्ग की झांकी


दिगंबर जैन यूथ क्लब शिवपुरी द्वारा रात्रिकालीन धार्मिक झांकियों का आयोजन छत्री जैन मंदिर पर किया जा रहा है, जिसके प्रथम चरण में क्लब के सदस्यों द्वारा जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर भगवान पाश्र्वनाथ पर उपसर्ग करने वाले कमठ और धर्णेन्द्र-पदमावती द्वारा फण फैलाकर उनकी रक्षा करने वाला दृश्य जनसमूह को दिखा है। भगवान पाश्र्वनाथ पर आए इस उपसर्ग से जनसमूह को प्रेरणा मिलती है कि कोई भी प्राणी कितना ही उपसर्ग क्यूं न करें हमें क्षमाभाव के साथ उसे धारण करना चाहिए तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है। यूथ क्लब द्वारा लगाई गई इस झांकी के दौरान पाठशाला परिवार की छात्राओं द्वारा भक्ति नृत्यों की आकर्षक प्रस्तुति भी दी गई जिसे जनसमूह ने जमकर सराहा।