शिवपुरी में PACL के कर्मचारी ने कंपनी को 657994 रूपए का लगाया चूना

शिवपुरी। पीएसीएल कंपनी के एक कर्मचारी विजय शर्मा पुत्र जीडी शर्मा निवासी श्रीराम कॉलोनी ने फर्जीवाड़े को अंजाम देकर कंपनी के 6 लाख 57 हजार 994 रूपये का चूना लगाया है।  कैशियर और एक कर्मचारी धर्मवीर की सुपुर्दगी में रखी चैकबुक को आरोपी ने चुराया और रामू कुशवाह पुत्र कल्लू कुशवाह के नाम से एचडीएफसी बैंक में फर्जी पहचान देकर खाता खुलवाया। इसके बाद एक्सिस बैंक से उक्त राशि 9 मार्च से 31 मार्च के बीच 29 चैकों के जरिये फर्जी खाता खोलकर निकाली गई है।

इस गबन से पीएसीएल कंपनी का प्रशासन भी कठघरे में हैं कि आखिर इस गड़बड़झाले की उसे जानकारी इतनी देर से कैसे मिली? पीएसीएल कंपनी के मैनेजर प्रमोद यादव ने पुलिस को इसकी जानकारी दी और पुलिस ने जांच के पश्चात आरोपी विजय शर्मा के विरूद्ध भादवि की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

लेकिन पुलिस सूत्रों ने बताया है कि इस मामले में और भी कई आरोपी गिरफ्त में आयेंगे। क्योंकि कई ऐसे सवाल हैं जिससे पीएसीएल कंपनी के कुछ कर्मचारियों पर संलिप्तता का शक जाहिर हो रहा है, वहीं बैंक पर मैनेजर के हस्ताक्षर तस्दीक न करने का आरोप है।

पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार विजय शर्मा पीएसीएल कंपनी के कर्मचारी हैं। आरोपी ने बैंक की चैकबुक चोरी की है और इसके बाद एचडीएफसी बैंक में वहां के एक एजेंट की मिलीभगत से रामू कुशवाह का खाता खुलवाया। जिसका नंबर 09071530000432 है।  इस खाते में खातेदार का पता झींगुरा और उसका मोबाइल नंबर 9755132809 बताया गया है जो कि फर्जी है।

इस चैकबुक  पर मैनेजर और कैशियर के फर्जी हस्ताक्षर कर आरोपी विजय शर्मा ने मार्च माह में 29 चैकों के द्वारा साढ़े 6 लाख से अधिक की रकम निकालने में सफलता प्राप्त की। जानकारी के अनुसार सबसे पहले 24050 रूपये दिनांक 24.11.2011 के चैक से निकाले थे।

इसके बाद अन्य 23500, 23300, 22672, 23980, 20500, 23300, 19650, 24050, 24150, 22700, 23650, 24050, 21747, 23970, 22500, 23800, 17650, 19650, 23800, 22500, 23650, 23500, 19740, 24050, 22780, 20500 रूपये नवम्बर और दिसम्बर 2011 की विभिन्न तारीखों के चैक के जरिये निकाले। पीएसीएल प्रशासन का कहना है कि उन्हें गड़बड़ी का पता 2 अप्रैल को तब लगा जब बैंक से स्टेटमेंट निकाला गया।

इस मामले में सबसे पहला सवाल यह है कि चैक जब नवम्बर और दिसम्बर माह की विभिन्न तारीखों के  हैं तो इतने बिलम्ब से मार्च 2012 में इनका आहरण क्यों हुआ। इस पर किसी ने भी सवाल नहीं उठाया। पीएसीएल प्रशासन को भी गड़बड़ी का पता इतनी देर से क्यों चला? जबकि 29 चैकों का पूरे मार्च माह में आहरण हो गया।