सेन्ट्रल डेस्क
कैलाश विजयवर्गीय का इन्दौर के महाराज बनने का ख्वाब एक बार फिर टूट गया। हिन्दी दैनिक अखबार पत्रिका से पंगा लेकर इन्दौर की गली गली में पत्रिका प्रबंधन को परेशान कर देने वाले कैलाश विजयर्गीय के हौंसले बुलंद भले ही रहे हों, परंतु सिंधिया से टकराने का अंजाम कल उन्हें फिर पता चल गया। मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव तो वो बड़ी ही बेइज्जती के साथ हारे ही, साथ ही उनके समर्थकों को पुलिस के जूते भी खाने को मिले।
दिनभर कैलाश विजयर्गीय के नाम पर पुलिसवालों को धमकाते रहे कैलाश समर्थकों को कल पुलिसबल ने पेटभर जूते खिलाए, इस कदर दौड़ा दौड़ा कर पीटा कि सारी की सारी हैकड़ी ही निकल गई। मजेदार तो यह कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान खुद कैलाश विजयर्गीय सामने नहीं आए। उन्होंने अपने समर्थकों को लावारिस छोड़ दिया, पुलिस के हाथों पिटने के लिए। आते भी कैसे, सिंधिया के हाथों पराजय की पिटाई जो खा चुके थे। इस घटनाक्रम से इन्दौर के तमाम अखबार भरे पढ़े हैं परंतु हम जानते हैं कि आप पढ़ना चाहेंगे दैनिक भास्कर और पत्रिका में छपी रिपोर्ट।
तो लीजिए शुरूआत करते हैं दैनिक भास्कर से
तो लीजिए शुरूआत करते हैं दैनिक भास्कर से
इंदौर। म.प्र. क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) के चुनाव में
ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी पैनल ने एकतरफा जीत हासिल कर अपनी जीत की
परंपरा और सीनियरिटी बरकरार रखी। पूरी ताकत झोंकने के बावजूद कैलाश
विजयवर्गीय पैनल का एक भी उम्मीदवार नहीं जीत सका। विजयवर्गीय को सिंधिया
ने 77 वोटों से पटखनी दी। सिंधिया को 150 जबकि विजयवर्गीय को 73 मत ही
मिले। यही स्थिति उनके साथियों की भी रही।
रविवार को हाईकोर्ट की विशेष बैंच से राहत मिलने के बाद सिंधिया पैनल का पलड़ा भारी माना जा रहा था। कोर्ट में 20 बर्खास्त सदस्यों के मामले की सुनवाई तो सुबह 11 बजे से ही शुरू हो गई थी, लेकिन आदेश शाम होने तक आया। कोर्ट ने इन सभी को वोटिंग का अधिकार तो दे दिया लेकिन शर्त भी लगा दी कि अगर जीत का अंतर 20 वोट से कम का रहेगा तो परिणाम घोषित नहीं किए जाएं। हालांकि इसकी नौबत नहीं आई क्योंकि सभी पदों में हार-जीत का अंतर 50 वोटों से भी ज्यादा का रहा। इसी बीच चल रही वोटिंग में कुल 257 मतदाता में से 232 ने वोट डाले। अंदर मतदाताओं को लेकर गहमा-गहमी चल रही थी तो बाहर दोनों पैनलों के समर्थक आमने-सामने हो रहे थे। पुलिस ने भी जमकर लाठियां भांजी। विजयवर्गीय समर्थकों को पुलिस से बदसलूकी करने का खामियाजा भी भुगतना पड़ा।
ये खेल है, राजनीति नहीं -सिंधिया :
रविवार को हाईकोर्ट की विशेष बैंच से राहत मिलने के बाद सिंधिया पैनल का पलड़ा भारी माना जा रहा था। कोर्ट में 20 बर्खास्त सदस्यों के मामले की सुनवाई तो सुबह 11 बजे से ही शुरू हो गई थी, लेकिन आदेश शाम होने तक आया। कोर्ट ने इन सभी को वोटिंग का अधिकार तो दे दिया लेकिन शर्त भी लगा दी कि अगर जीत का अंतर 20 वोट से कम का रहेगा तो परिणाम घोषित नहीं किए जाएं। हालांकि इसकी नौबत नहीं आई क्योंकि सभी पदों में हार-जीत का अंतर 50 वोटों से भी ज्यादा का रहा। इसी बीच चल रही वोटिंग में कुल 257 मतदाता में से 232 ने वोट डाले। अंदर मतदाताओं को लेकर गहमा-गहमी चल रही थी तो बाहर दोनों पैनलों के समर्थक आमने-सामने हो रहे थे। पुलिस ने भी जमकर लाठियां भांजी। विजयवर्गीय समर्थकों को पुलिस से बदसलूकी करने का खामियाजा भी भुगतना पड़ा।
ये खेल है, राजनीति नहीं -सिंधिया :
जीत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने
कहा- ये छोटा परिवार है। यहां नकारात्मक सोच वालों के लिए जगह नहीं है।
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'एसपी साहब आप ज्यादा समझदारी मत दिखाओ...'
इंदौर। रात करीब 7.30 बजे मंत्री विजयवर्गीय गुट के खास के.के. गोयल व उनके पीए रवि विजयवर्गीय एसपी ईस्ट ओ.पी. त्रिपाठी व एडिशनल एसपी रामजी श्रीवास्तव से उलझ पड़े और अनाप-शनाप बकने लगे। श्री गोयल तो कहने लगे एसपी साहब आप ज्यादा समझदारी मत दिखाओ आपको लैंटर्न चौराहे पर कैलाशजी का पुतला जलते नहीं दिख रहा है।
आपने हमारे समर्थकों पर लाठी चलाई जिससे हमारे झाबुआ से आए एक कार्यकर्ता का हाथ टूट गया। एसपी भी झल्लाते हुए बोले आप कहो तो हम हट जाते हैं आप ही हमारा काम संभाल लो। श्री गोयल बोले हम तो यह काम करने में भी सक्षम हैं। एडिशनल एसपी ने बीच-बचाव कर बात संभाली।
आपको निवेदन रास नहीं आ रहा
पुलिस, प्रशासन दिनभर घोषणा करता रहा कि वोटिंग स्थल पर धारा 144 लागू है, यहां से हट जाएं। भाजपाई सुनने को तैयार नहीं थे। फिर घोषणा हुई कि आप लोगों को निवेदन रास नहीं आ रहा है, हट जाइए। रात करीब आठ बजे पुलिस ने हटाना शुरू किया तो किसी ने पत्थर फेंक दिया। इस पर पुलिस ने डंडे चलाना शुरू कर दिए। भगदड़ शुरू हो गई।
उनको भी मारूंगा चिंता मत करो
भाजपाइयों के पिटने की खबर लगते ही करीब 9.45 बजे एसएसपी भी रेसकोर्स रोड पहुंच गए। सीधे भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच गए। एक कार्यकर्ता बोला.. साहब हमको मारा, उनको (कांग्रेसियों) को भी तो मारो..। एसएसपी बोले आप चिंता मत करो, उनको भी मारूंगा। साहब मुड़े और पुलिस के खिलाफ अभद्र नारेबाजी शुरू हो गई। एसएसपी बोले अरे, रवि विजयवर्गीय कहां हैं.. सीएसपी राजेश रघुवंशी मंत्री के पीए को बुला लाए। एसएसपी ने पीए से कहा कि अरे ये नारे तो बंद करवाओ.. अच्छा नहीं लग रहा। आप मंत्रीजी को बता भी देना कि मैं खुद पिटाई की जांच करूंगा।
मंत्री के पुतले जल गए-
विजयवर्गीय की पैनल हारने के बाद लैंटर्न चौराहा पर प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा, राजेश चौकसे व अन्य कांग्रेसियों ने मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का पुतला भी फूंक दिया।
और अब पढ़िए पत्रिका में छपी लीड स्टोरी
कैलाश को फिर चटाई धूल
इंदौर। मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) के चुनाव में केंद्रीय राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की पेनल ने उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को एक बार फिर क्लीन बोल्ड कर दिया। उनकी पूरी पेनल भारी बहुमत से जीत गई। हारने के बाद कैलाश समर्थकों ने उत्पात मचाने की कोशिश की। इसके चलते पुलिस को बार-बार लाठीचार्ज करना पड़ा। सुबह से ही इंदौर के साथ ही पूरे प्रदेश की निगाह इस चुनाव पर टिकी थी। सिंधिया जीत के प्रति आश्वस्त थे जबकि कैलाश निराश। रात 11.15 बजे दूध का दूध, पानी का पानी हो गया।
होलकर स्टेडियम में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय अध्यक्ष पद की दावेदारी के साथ अपने गुटों के साथ एक-एक वोट डलवाने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे, तभी हाई कोर्ट का फैसला आ गया। कोर्ट ने 20 सदस्यों को वोट डालने का अधिकार दे दिया। वोटिंग के आखिरी समय में सिंधिया का पलड़ा और भारी हो गया। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हो रहे चुनाव के दौरान जमकर हंगामा हुआ।
जीत सात कदम आगे बढ़ी
सिंधिया ने पिछली बार इसी चुनाव में कैलाश को 70 वोटों से हराया था, और इस बार 77 वोटों से। पिछली बार उन्हें 142 वोट मिले थे, जबकि इस बार 150 मिले। भारी उठापटक के बाद कैलाश एक ही वोट बढ़ा सके, उन्हें पिछली बार 72 वोट मिले थे। पड़े वोटों की संख्या 232 थी।
35 मिनट पहले आया फैसला
चुनाव प्रक्रिया के साथ ही बाहर निकाले गए 20 सदस्यों के मताधिकार को लेकर हाई कोर्ट में छुट्टी के दिन जस्टिस शांतनु केमकर और पीके जायसवाल ने सुनवाई की। कोर्ट ने वोटिंग का समय समाप्त होने के 35 मिनट पहले सभी सदस्यों को वोट डालने की अनुमति दे दी।
नतीजे के मायने
सिंधिया : अगले चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रदेश की कमान संभालने की राह आसान हुई।
कैलाश : सियासी कद घटा, प्रदेश की राजनीति में हाशिए पर जाएंगे।
अब विधानसभा जीतेंगे
सही-गलत का फैसला हो गया। मैं पहले से कह रहा था, चुनाव परिणाम दूध का दूध, पानी का पानी कर देंगे। 2013 का विस चुनाव भी इसी तरह जीतेंगे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया,
केंद्रीय राज्य मंत्री
मैं इस बार छक्का लगाना चाह रहा था, जिसके चक्कर में क्लीन बोल्ड हो गया।
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