डेडबॉडी तक नहीं मिली नाले में बहे स्टूडेंट की

शिवपुरी। जैसा की पहले ही अंदेशा लगाया जा रहा था कि यदि बरसात के समय पूर्व आपदा प्रबंधन एवं नदी-नालों की सफाई नहीं की गई तो इसके कई गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे। गत दिवस रामपौर दरवाजे से पानी के तेज बहाव में बहे बालक का सुराग ना लगना खुले तौर पर आपदा प्रबंधन की पोल खोलता नजर आ रहा है।

यहां ना तो नालों की सफाई की गई और ना ही तेज बारिश के समय आपदा प्रबंधन के ऐसे इंतजामात किए गए कि तेज बहाव में बहे लोगों को बचाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था हो। इस आपदा प्रबंधन की पोल तो उन दो होमगार्ड के जवानों ने भी खोल दी जिन्होनें साफतौर पर इस पानी के बहाव में जाने से मना कर दिया। इस तरह अपने कर्तव्य को तो वह भूल गए साथ ही विभाग की कमियों को खोलकर भी उन्होंने रख दिया। यही वजह है कि आज घटना के 24 घंटे बाद भी नीलगर चौराह निवासी अभिषेक का पता नहीं चल सका। इसके लिए भले ही पुलिस व आईटीबीपी के जवान बचाव में जुटे हों।

वाकई प्रशासन व नगर पालिका ने शुरू से अगर पारदर्शिता के साथ समय से पूर्व आपदा प्रबंधन की व्यवस्थाओं को चाकचौबंद किया होता तो एक मासूम बालक की यह हालत ना होती। 11 वर्षीय बालक अभिषेक गत दिवस रामपौर दरवाजे से पानी के तेज बहाव में बह गया। जिसका अभी तक पता नहीं चल सका है। वहीं घर के इकलौते चिराग की तलाश में पूरी रात अभिषेक की मॉं व परिजनों की नींद हराम हो गई और अलसुबह होने का इंतजार करते रहे।

जिस पर सभी सुबह होने पर फिर घटनास्थल पर पहुंचे लेकिन घटना के 24 घंटे बाद भी अभिषेक की तलाश पूरी नहीं हो सकी। पुलिस थाना देहात व आईटीबीपी के जवान तलाशी में जुटे हुए है। आपदा के समय ही आपदा प्रबंधन का पता चलता है और इसकी पोल खुली कल स्कूली छात्र अभिषेक जैन के नाले में डूबने से। इस धटना से जिला प्रशासन के आपदा प्रबंधन की पोल खुल गई। प्रशासन के पास बालक को ढूढऩे के लिए कोई गोताखोर नहीं थे और सीआरपीएफ तथा आईटीबीपी को बुलाने के लिए उन्होंने बहुत देर कर दी। यहां तक कि वोट जो कि शिवपुरी में उपलब्ध है उसे लाने में भी सात घंटे का वक्त लग गया। रही सही कसर शिवपुरी के तालाबों में निश्चिंत विचरण कर रहे मगरमच्छों ने पूरी कर दी।

जिनके भय से स्थानीय नागरिकों और कुशल गोताखोरों ने भी पानी मेंं जाने का साहस नहीं दिखाया। पानी उतरने के साथ बालक अभिषेक की साईकिल ओर बस्ता तो मिल गया , लेकिन उसका पता नहीं चला। यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि नाले से बहकर शायद अभिषेक का शरीर जाधव सागर तालाब या चांदपाटे में बह गया होगा। मगरमच्छों का ग्रास बनने की आशंका से भी मन कांप जाता है। (कामना तो यही है कि चमत्कार हो जाए और अभिषेक सकुशल जीवित वापिस आ जाए।) अब आगे ईश्वर की माया क्या वह क्या करते है। फिलहाल अभिषेक के परिजन और शहरवासी इस मासूम के सुरक्षित वापिसी की दुआ कर रहे है।

दो दिनी बारिश बनी अभिषेक की मॉं के लिए कहर


बीते दो दिनों से हो रही तेज रफ्तार की बारिश पानी के बहाव में बहे अभिषेक की मॉं के लिए कहर साबित हुई। यहीं कारण रहा है कि अभिषेक के पानी में बहने की खबर से अभिषेक की मॉं की हालत खराब है और वह सकुशल उसकी वापिसी की दुआ लगाए बैठी है। अभिषेक अपनी विधवा मां का एकमात्र सहारा था। पति अमर जैन की हृदयाघात से मौत हो गई थी। ससुर और जेठ भी चल बसे थे। परिवार के अन्य सदस्य दहेज प्रताडऩा के आरोप में न्यायालय से दण्डित हो गए थे। अभिषेक रंगड़ रेनवो स्कूल में कक्षा 7 का छात्र था। कल जब वह पानी बरसने के बाद स्कूल से घर आ रहा था उस दौरान रामपौर दरबाजे के पास वाला नाला ऊपर तक बह रहा था। साईकिल से जब अभिषेक ने वहां से निकलना चाहा उसी दौरान उसकी साईकिल स्लिप हुई और वह साईकिल सहित नाले में जा गिरा। प्रत्यक्षदर्शियों ने रस्सी फेंककर उसे बचाने का प्रयास किया, लेकिन रस्सी अभिषेक के हाथ से फिसल गई और फिर वह तेज रफ्तार से बहते नाले में समा गया। वहां मौजूद एक व्यक्ति ने नाले में कूदने की कोशिश की थी लेकिन जैसे ही उसे पानी में मगर दिखा उसने अपने कदम वापिस खींच लिए और मगरमच्छों के इसी भय से बचाव कार्य प्रारंभ नहीं हो पाए। मोटर वोट रात 8 बजे आई तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मोटरवोट से जाधव सागर और चांदपाटा तालाब में भी सर्चिंग की गई। लेकिन अभिषेक न तो जीवित और न ही मृत मिला।

मगरमच्छ भगाओ अभियान की आवश्यकता


शिवपुरी के तालाबों में घूमते मगर अब खलनायक बन चुके हैं। गड़रिया गैंग से भी ज्यादा दहशत शिवपुरी में मगरों की होने लगी है। शायद ही कोई दिन ऐसा हो जब खुलेआम घूमते मगर न पाए जाते हों। अब पूछा जाने लगा है कि वह शातिर कौन है जिसने चांदपाटे में मगर छोड़े और किस मकसद से छोड़े। अभिषेक के हादसे से सबक लेकर शहर के सभी गणमान्य नागरिकों को मगरमच्छ भगाओं अभियान जोरशोर से शुरू करना चाहिए। मगरमच्छों के बाहुल्य का इसी से अंदाजा लगाईए कि तलाशी अभियान में एसडीओपी संजय अग्रवाल ने एक नहीं दो नहीं बल्कि पूरे 13 मगरमच्छ देखे।

घटना स्थल पर लगे पुलिस मुर्दावाद के नारे


कल आक्रोशित भीड़ ने राहत कार्य शुरू न होने पर होमगार्ड की जीप पर पथराव कर उसके कांच फोड़ दिए थे। वहीं आज भी जब अभिषेक का सुराग नहीं लगा तो भीड़ ने पुलिस प्रशासन मुर्दावाद के नारे जोरशोर से लगाए। इस घटना ने पुलिस के लिए भी चुनौती ला खड़ी की है तो वहीं होमगार्ड के जवानों के सुस्त रवैये से उनके कार्यकुशलता की पोल भी खुलती नजर आई। जिसका परिणाम यह हुआ कि जनता के सब्र का बांध टूटा और उन्होनें तोडफ़ोड़ के साथ नारेबाजी शुरू कर दी।