साधू बनकर आए डाकू और लूट ले गए भगवान पाश्र्वनाथ की तीन हजार वर्ष पुरानी प्रतिमा

शिवपुरी। जिले में इन दिनों चोरों के बढ़ते हौंसलों को पुलिस रोकने में कामया नहीं हो पा रही है कि वहीं अब चोरों के साथ-साथ लुटेरों ने भी अपनी आमद दर्ज करा दी है। जिले के खनियाधाना में आधा दर्जन से अधिक की संख्या में आए लुटेरों ने वर्षा पुराने अति प्राचीन गोलाकोट जैन मंदिर को अपना निशाना बनाया और हथियारों की नोंक पर मंदिर के पुजारी व अन्य दो मालियों को बंधक बनाकर वहां रखी तीन हजार वर्ष पुरानी जैन मंदिरों को लूटकर मौके से फरार हो गए।

इस घटना की जानकारी लगते ही बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबियों एवं पुलिस प्रशासन ने घटनास्थल की ओर रवानगी डाली और जांच पड़ताल शुरू की। इस घटना से जैन समाज में रोष व्याप्त है और उन्होंने शीघ्र ही आरोपित लुटेरों व लूटी गई जैन मूर्तियां वापिस दिलाने की पुलिस प्रशासन व जिला प्रशासन से मांग की।  लुटेरों की वेशभूषा के आधार पर पुलिस लुटेरों की जांच में जुट गई है। यहां बता दें कि छत्री में हुई चोरी की घटना को पुलिस अब तक सुराग नहीं लगा सकी है तो वहीं अब जैन समाज की धार्मिक भावनाओं को लुटेरों ने आहत किया है। निश्चित रूप से पुलिस को अब मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि यह दोनों ही प्रकरण जिले में सभी की आस्था के केन्द्र है। पुलिस प्रशासन इस मामले में एड़ी चोटी का जोर लगाने में जुट गया है।

जानकारी के अनुसार बता दें कि जिले के खनियांधाना के पास स्थित जैन संस्कृति के प्रमुख केन्द्र गोलाकोट जैन मंदिर से आधा दर्जन से अधिक लुटेरे 23 वें जैन तीर्थंकर भगवान पाश्र्वनाथ की तीन हजार वर्ष से अधिक पुरानी पुरातत्व महत्व की दो वेशकीमती प्रतिमाएं ले गये। मंदिर के  दर्शन करने के बहाने आये इन लुटेरों ने वहां मौजूद दो माली हरीसिंह कुशवाह एवं मोतीलाल कुशवाह तथा रतनचंद पुजारी के हाथ-पैर और मुंह बांधकर कमरे में बंद कर दिया। इसके बाद भी तीन से चार फीट लंबी श्यामवर्ण की भगवान की खडग़ासन प्रतिमा को लादकर ले गये। लुटेरे सफेद रंग की कार से कल रात ही मंदिर में पहुंचे थे और उन्होंने अपने आपको जैन बताया था। लुटेरों के भागने के बाद किसी तरह माली और पुजारी ने अपने आपको मुक्त किया और वे वहां से चार किमी दूर गूढर गांव पहुंचे और इसके बाद उन्होंने पुलिस को घटना की सूचना दी। मूर्ति लुटेरे इतने सजग थे कि उन्होंने पुजारी और माली के  मोबाइल की सिम निकालकर उन्हें फेंक दिया था। खासबात यह रही कि इसके अलावा लुटेरों ने अन्य प्रतिमाओं और मंदिर के गल्ले को हाथ भी नहीं लगाया जिससे स्पष्ट है कि उनकी नजर इन दो प्रतिमाओं पर ही थी। इस घटना से खनियांधाना और संपूर्ण जैन समाज में आक्रोश व्याप्त हो गया है। घटना के बाद एसपी आरपी सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमित सिंह और एसडीओपी राकेश शर्मा मौके पर पहुंचे, लेकिन अभी तक मूर्तियों का कोई सुराग नहीं लगा है और यह भी स्पष्ट नहीं हो सका कि लुटेरे कौन थे और कहां से आये थे।

साधू के भेष में आए लुटेरे


चूंकि गोलाकोट जैन मंदिर गूढर गांव से चार किमी और खनियांधाना कस्बे से लगभग 12 किमी दूर एक किमी ऊंची पहाड़ी पर है। कल शाम सफेद रंग की कार से बताया जाता है कि 9 लोग जो अपने आपको जैन बता रहे थे यहां आये और उन्होंने मंदिर के दर्शन किये। इसके पश्चात उन्होंने वहां मौजूद माली और पुजारी से मंदिर में रुकने की यह कहकर इच्छा व्यक्त की कि वे कल भगवान की सेवा पूजा कर जाएंगे। मंदिर स्टाफ ने असमर्थता व्यक्त करते हुए कहा कि यहां रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन उन्होंने अनुनय विनय कर स्टाफ को सहमत कर लिया। तीर्थयात्री के वेश में आये लुटेरों ने बताया जाता है कि बाहर से विस्कुट लाकर खाये और उनमें से कुछ के पास कट्टे भी थे। जिसकी नोंक पर लुटेरों ने माली और पुजारी को काबू किया। पुजारी के अनुसार रात 9 बजे के लगभग लुटेरे अपने असली रंग में आ गये और उन्होंने माली हरीसिंह और मोतीलाल तथा पुजारी रतनचंद जैन को दबोच लिया। इसके पश्चात अलग-अलग कमरों में उन्हें ले जाकर उनके हाथ-पैर और मुंह को बांध दिया। तत्पश्चात वे लगभग दो-ढाई क्ंिवटल बजनी पाषाण प्रतिमाओं को लादकर कार में ले गये। उनके पास कौन सी कार थी यह मंदिर स्टाफ नहीं बता पाया। ब्रह्मचारी विनय भैया ने बताया कि एक माली को कसकर नहीं बांधा था इस कारण उसने दांतों से बंधन को ढीलाकर खुद को मुक्त किया और फिर अपने साथियों को भी बंधनों से मुक्त कराया। मंदिर का ताला लगाकर पुजारी और माली रात 11 बजे के लगभग गूढर गांव आये जहां उन्होंने पुलिस को पूरी घटना से अवगत कराया।

मंदिर में लूट को लेकर बंद रहा खनियाधाना


गोालाकोट जैन मंदिर से वेशकीमती पुरातत्व महत्व की भगवान पाश्र्वनाथ की प्रतिमाओं की लूट के विरोध में जैन और अजैन समाज में आक्रोश रहा। नागरिकों ने आज खनियांधाना बंद रखकर अपने आक्रोश को अभिव्यक्त किया। पूरे जिले में लुटेरों का पता लगाने और मूर्तियों की बरामदगी के लिए जैन समाज आज ज्ञापन दे रहा है।

तस्करों के निशाने पर रहा है गोलाकोट जैन मंदिर


गोलाकोट जैन मंदिर मूर्ति तस्करों के निशाने पर रहा है। सन् 98 में इस जैन मंदिर की 42 प्रतिमाओं के सिर काटकर चोर ले गये थे। हालांकि बाद में इन सिरों को बरामद कर लिया गया था, लेकिन इससे संपूर्ण जैन समाज आहत हुआ था। लेकिन इसके बाद भी मूर्तियों की सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त न होना एक बड़ी चिंता का कारण है और इसी कारण कल लुटेरे बड़ी आसानी से मूर्तियों को ले जाने में सफल रहे। पचराई अतिशय क्षेत्र में भी पांच वर्ष पूर्व भगवान पाश्र्वनाथ की प्रतिमा चोरी हुई थीं।