ज्ञापन के साथ गोलाकोट कांड के विरोध की शुरूआत

शिवपुरी। जैसा कि अंदेशा जताया जा रहा था कि खनियाधाना के अति प्राचीन जैन मंदिर गोलाकोट में गत दिवस हुई लूट की घटना से जैन समाज में आक्रोश व्याप्त रहेगा और रहा भी। इस घटना के विरोध में कल ही पूरा खनियाधाना का बाजार बंद रहा है और आज शुक्रवार को जैन समाज एकत्रित होकर घटना के विरोध में उतर आया। यहां जैन समाज ने पुलिस व जिला प्रशासन से मांग की है कि गोलाकोट मंदिर के समीप अतिशीघ्र चौकी स्थापित की जाए। वहीं लूट की घटना के बाद विशेष टास्क फोर्स टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और मामले की जांच शुरू की। जैन मंदिर में चेारी की घटना से जैन समाज में रोष व्याप्त है और शीघ्र चोरों की गिरफ्तारी की मांग की गई है।

यहां बता दें कि अतिशय क्षेत्र खनियांधाना के गोलाकोट जैन मंदिर से गत दिवस चौकीदार और पुजारी को बंधक बनाकर भगवान पाश्र्वनाथ की दो वेशकीमती मूर्तियों और आरोपियों का कोई सुराग नहीं लगा है। आज विशेष टास्क फोर्स की टीम ने भी घटना स्थल का दौरा किया और पूछताछ की। पूछताछ में स्पष्ट हुआ कि लुटेरों जैसे हुलिए के लोग 2 अगस्त को भी गोलाकोट में देखे गए थे और शायद तभी उन्होंने रेकी की थी। पुलिस और मंदिर प्रशासन ने सुराग देने वाले को ईनाम देने की घोषणा की है। जैन समाज ने आज खनियांधाना में कलेक्टर के नाम ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा।

ज्ञापन में अतिशीघ्र मूूर्तियों की बरामदी और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की गई है। वहीं यह मांग भी की गई है कि गोलाकोट में अतिशीघ्र पुलिस चौकी की स्थापना की जाए। क्योंकि यहां पुरातत्व महत्व की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं। खनियाधाना में स्थित प्रसिद्ध गोलाकोट जैन मंदिर जैन संस्कृति और धरोहर का एक प्रमुख केन्द्र है। यहां पुरातत्व महत्व की हजारों वर्ष पुरानी प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं। कल लुटेरे जिन दो वेशकीमती 23 वें तीर्थंकर भगवान पाश्र्वनाथ की प्रतिमा को ले गए थे। वे भगवान महावीर के काल के पहले की हैं। जानकार बताते हैं कि अंतराष्ट्रीय बाजार में ऐसी एक प्रतिमा का मूल्य लगभग दो ढाई करोड़ रूपये है। यह मंदिर हमेशा से ही मूर्ति तस्करों के निशाने पर रहा है। सन् 98 में तो 42 प्रतिमाओं के सिर काटकर चोर ले गए थे।

लेकिन इसके बावजूद भी गोलाकोट की पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था न तो प्रशासन और पुलिस ने और न ही मंदिर प्रशासन और जैन समाज ने की। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस प्राचीन धरोहर को सुरक्षित रखने के  प्रयास के क्रम में मात्र दो हथियार रहित चौकीदार ही उपयुक्त माने गए। दूसरी बात यह है कि जब सुरक्षा कारणों से यहां रात में किसी को ठहरने नहीं दिया जाता तो फिर मंदिर स्टॉफ ने बाहर से आए अंजान 9 लोगों को रात में रूकने की इजाजत क्यों दी। लुटेरों ने उस दौरान यह भी पता लगा लिया कि चौकीदार निहत्थे हैं और इन्हें आसानी से काबू किया जा सकता है। लेकिन मूर्तियों की लूट से संभाग के समूचे जैन समाज में आक्रोश व्याप्त है और ईश्वर से कामना की जा रही है कि श्रृद्धा की केन्द्र बिंदु इन मूर्तियों का तत्काल पता लगे। कल छत्री जैन मंदिर में महाराज श्री के सानिध्य में एक-एक माला फेरकर मूर्तियों की बरामदगी के लिए प्रार्थना की गई।