कुपोषण का कहर, 10 दिन में तीन कुपोषित बच्चों की मौत

शिवपुरी। एक बार फिर से कुपोषण में बरती जा रही लापरवाही की भेंट तीन मासूम चढ़ गए। महज 10 दिन के भीतर तीन मसूम कुपोषितों ने कुपोषण की बीमारी के चलते दम तोड़ दिया। जिले के कोलारस क्षेत्रांतर्गत आने वाले ग्राम बरखेड़ी एवं रामपुर चक्क में बीते लंबे समय से कुपोषण के बीमार बच्चों को उपचार की सख्त आवश्यकता था लेकिन इन मासूमों को समय रहते पर्याप्त इलाज नहीं मिल पाया और कुछ ही अंतराल में तीन बच्चों ने असमय दम तोड़ दिया। अब कुपोषण की इस बीमारी से ग्रसित अन्य कुपोषित बच्चे भी प्रशासन की ओर मुंंह ताकते नजर आ रहे है कि जिला स्वास्थ्य विभाग इस ओर शीघ्र कदम उठाऐं और यहां से कुपोषण मिटाऐं।

जानकारी के अनुसार यूं तो कुपोषण से निपटने के लिए प्रदेश सरकार व केन्द्र द्वारा करोडो रूपए की राशि खर्च कर योजनाएं संचालित की जा रही है। लेकिन ये सभी योजनाएं महज कागजों में सिमट कर रह गई हैं। यदि इसकी जमीनी हकीकत पर गौर करें तो जिले के पोहरी, बैराढ़ सहित अंचल के अन्य क्षेत्रों में कुपोषित की मौत से इस बात का आंकलन लगाया जा सकता है कि यहां कुपोषित मासूम बच्चों के प्रति जिला स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन कितना संवेदनशील है। 
 
यही वजह है कि कुपोषण की भेंट एक बार फिर से 3 मासूम चढ़ गए। जिसमें कमलेश आदिवासी की पुत्री, सीमाबाई आदिवासी की नाती सहित एक अन्य बालक शामिल है। यहां जिले के कोलारस क्षेत्रांतर्गत रामपुर-बेरखाडी में दर्जन से अधिक आदिवासी बच्चे आज भी कुपोषण का र्दद झेल रहे हैं। इसके बावजूद इन गांवों में न ही कोई स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई गई है और न ही आंगनबाडी कार्यकर्ता द्वारा इन इलाकों में पोषण आहार बांटा जा रहा है। रोचक पहलू यह है कि अगर कुपोषित बच्चों को पुनर्वास केन्द्र पर ले जाया जाता है तो वहां मौजूद स्टाफ  द्वारा पैसों की मांग की जाती है, जिसके कारण गरीब आदिवासी अपने बच्चों को लेकर गांव वापस आ जाते हैं। 
 
कुपोषण के नाम पर सर्वे कर कुपोषित बच्चों को सूचीबद्ध किया जाकर कागजी खेल  तो खेला जाता रहा है पर जब भी किसी बच्चे की कुपोषण के चलते मौत का मामला सामने आता है तो प्रशासन पूरी तरह से मामले में पर्देदारी करते हुए मौत का कारण अन्य बीमारियां होना दर्शाया जाता है। जिले में कुपोषण से मौत का यह पहला मामला नहीं है, इससे पूर्व भी जिले में कुपोषण से दर्जनों बच्चों के दम तोडने के मामले सामने आए हैं और हमेशा प्रशासन मौत के बाद ही चेता है।