स्कूलों के खिलाफ पेरेन्ट्स लामबंद, कार्रवाई की मांग

शिवपुरी। यातायात विभाग द्वारा पकड़ी गई सभी स्कूलबसों में मिली खामियों से परेशान होकर स्कूल प्रबंधन ने इन बसों के नियमित संचालन की मांग जिला प्रशासन से की थी जब प्रशासन ने इनकी नहीं सुनी तो सभी विद्यालय संचालकों ने  बच्चों का भार स्वयं पर झेलने के बजाए अभिभावकों की झोली में डाल दिया। मंगलवार से निजी विद्यालयों की बसें ना चलने से आज अभिभावकों को खासी परेशानी का सामना तो करना पड़ा लेकिन उन्होनें प्रशासन द्वारा की जा रही कार्यवाही की प्रशंसा की और उनके पक्ष में होते नजर आए।
स्कूल प्रबंधन की मनमनी के चलते आज मंगलवार को स्थानीय वीर सावरकर पार्क में पालक संघ की बैठक आयोजित की गई। जिसमें सभी ने एक स्वर में विद्यालय प्रबंधनों के खिलाफ ही कार्यवाही कराने की आवाज उठाई। जिसका परिणाम यह हुआ कि पालक संघ ने सभी की सहमति से एक ज्ञापन तैयार किया और यहां विद्यालय प्रबंधनों के खिलाफ कार्यवाही के लिए प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।

यहां बता दें कि यातायात विभाग द्वारा अवैध रूप से और अमानवीय ढंग से बच्चों को ढोने वाली स्कूल बसों के खिलाफ की गई कार्रवाई के विरोध में आज से सभी प्राईवेट स्कूलों ने अपनी बसें अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी हैं। वहीं स्कूल संचालकों ने बसों की फीस बढ़ाने की घोषणा कर पालकों पर अतिरिक्त अनावश्यक आर्थिक दबाब डालने की पहल की है। इसके विरोध में प्राईवेट स्कूलों में अपने बच्चों को भेजने वाले पालकों ने स्कूल संचालकों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

सेंट चाल्र्स स्कूल, सेंट वेनेडिक्ट स्कूल, गीता पब्लिक स्कूल में पालकों ने पहुंचकर स्कूल प्रशासन के खिलाफ जमकर नारे लगाए और बस भाड़े में वृद्वि को अनुचित ठहराया। स्कूल संचालकों ने अतिशीघ्र बिना शुल्क बढ़ाए बसों का परिचालन शुरू करने की भी मांग की। सावरकर उद्यान में पालकों की हुई बैठक में भी स्कूल संचालकों के रवैइए पर नाराजगी जाहिर की गई और नारेबाजी करते हुए स्कूल संचालक कलेक्टर आरके जैन से मिलने पहुंचे।

पिछले कुछ दिनों से यातायात विभाग बच्चों को स्कूल छोडऩे वाली बसों की जांच पड़ताल में लगा है। इस दौरान यातायात विभाग को कई खामियां नजर आईं। स्कूली बसों में फीस के बाबजूद बच्चों को भेड़ बकरियों की तरह ढोया जा रहा था और जितने बच्चे सीट पर बैठते हैं उससे कहीं अधिक बच्चे बस में खड़े होकर स्कूल पहुंचते हैं। बसों की हालत काफी कन्डम थी और कुछ बसों के पास तो फिटनेस सर्टीफिकेट नहीं था। कुछ बसों में फस्टऐड बॉक्स नहीं था। इस मुहिम का उद्देश्य यह था कि शहर के विभिन्न विद्यालयों में लगे वाहनों, ऑटो , मैजिक, मिनी बसों और अन्य गाडिय़ों को तय सुरक्षा मापदण्ड एवं परिवहन विभाग द्वारा जारी परमिट की शर्तो के अनुरूप चलाया जाए। जिसका अधिकांश अशासकीय विद्यालय पालन नहीं कर रहे।

इस पर विद्यालय संचालकों ने पहले तो प्रशासन पर दबाब डालकर इस मुहिम को बंद कराने की कोशिश की लेकिन जब सफलता हासिल नहीं हुई तो एकतरफा रूप से स्कूलों ने 17 जुलाई से बसें बंद करने की घोषणा कर दी और पालकों से कहा कि वह अपने अपने साधनों से बच्चों को स्कूल भेजे और यदि वह बस से ही बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं तो उन्हें बढ़ी हुई फीस देनी होगी जो कि 30 रूपये से लेकर 100 रूपये तक की हो सकती है। स्कूल संचालकों की इस मनमानी के विरोध में पालक आज सड़क पर उतर आए और उन्होंने पहले तो सैकड़ों की संख्या में उपस्थित होकर स्कूलों में जाकर जोर शोर से नारेबाजी की और बाद में सावरकर उद्यान में एकत्रित होकर प्रशासन के समक्ष अपनी आवाज बुलंद करने का निर्णय लिया।

यह रही पालक संघ की मांगे

पालक संघ ने स्कूल प्रबंधनों के खिलाफ कार्यवाही की मांग करते हुए अपनी कुछ मांगें जिला प्रशासन से सहयोग कर पूरी कराने का आग्रह किया है। इन मांगों में अभिभावकों की मांग है कि बसें कल यानि 18 जुलाई से प्रारंभ की जाए तथा किराया 350 रूपये से अधिक ना हो। वर्तमान फीस को 25 प्रतिशत कम किया जाए, मई-जून की ली गई फीस वापिस कराई जाए। कम्प्यूटर फीस अलग से ना ली जाए, खटारा तथा अनफिट बसों को शीघ्र हटाया जाए। बसों में निर्धारित सीट अनुसार ही बच्चों को बिठाया जाए, विद्यालय में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी सार्वजनिक की जाए, खेल मैदान तथा उपयुक्त सुविधाओं के बिना चल रहे विद्यालयों को बंद किया जाए, विद्यालय तथा संचालकों की संपत्ति की जांच लोकायुक्त अथवा उच्च स्तरीय कमेटी से कराई जाए, शासन के निर्देश पर 25 प्रतिशत गरीब बच्चों की भर्ती की गई है उसे सार्वजनिक किया जाए, एडमिशन के नाम पर ली गई फीस वापिस हो, पालक शिक्षक संघ का गठन किया गया है तो उसका 5वर्ष का हिसाब दिया जाए, एनसीईआरटी की पुस्तकें ही चलाई जाए तथा समस्त निजी विद्यालयों पर आर.टी.आई. एक्ट लागू हो। इन मांगों को पूर्ण कराने के  अभिभावकगण सत्येन्द्र श्रीवास्तपव, मनोज जैन, महेन्द्र जैन, घनश्याम,  गोपालजी, नरेश जैन,शैलेन्द्र, मनोज गौतम आदि सहित तमाम पालकगण शामिल है जो विद्यालय प्रबंधन के खिलाफ कार्यवाही की मांग कर रहे है।

क्या कहते है अभिभावक


सेंट चाल्र्स स्कूल: बालकृष्ण बाथम का कहना है कि प्रशासन के द्वारा उठाया गया कदम सराहनीय है हां इससे हमें परेशानी जरूरी होगी अगर हड़ताल ज्यादा दिन चली तो हम टैम्पो लगाऐंगे, आजकल स्कूल संचालक लुटेरे हो गए है इस लड़ाई में अभिभावकों को मिलकर लडऩा चाहिए तब स्कूल प्रबंधनों को अपनी कमियां नजर आऐंगी।

ग्राम सिंहनिवास में निवासरत महेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि उनके बच्चे गुरूनानक स्कूल में पढ़ते है और बसों का किराया प्रतिमाह 350 रूपये देते है हम और बोझ नहीं झेल सकते, सुबह-सुबह तो बच्चों को स्कूल छोड़ सकते है लेकिन दिन की परेशानी है ऐसे में जिला प्रशासन का हमारा सहयोग कर उचित रास्ता निकालना चाहिए।

गीता पब्लिक स्कूल: नीरज गुप्ता का कहना है कि यदि प्रति बच्चे का किराया 800 रूपये हो गया तो हम कैसे दे सकेंगे, यह तो स्कूल संचालकों की मनमानी है जो बर्दाश्त नहीं की जाएगी, इतने में तो हम अपनी बाईक से बच्चों को स्कूल छोड़ आऐंगे और ज्यादा ही हुई तो स्कूल से बच्चों की टी.सी. कटाकर किसी शासकीय स्कूल में पढ़ा लेंगे। प्रबंधन की अपनी कमियां दूर करनी चाहिए ना कि अभिभावकों पर अपना बोझ डालना चाहिए।

संजीव जैन कहते है कि प्रशासन द्वारा की जा रही है कार्यवाही की प्रशंसा की जानी चाहिए क्योंकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के भी निर्देश है बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है हम इस कार्यवाही के साथ है क्योंकि अक्सर बसों में बच्चों के बीच भी भेदभाव होता है जहां सीनियर स्टूडेंट के बैठने के बाद जूनियर को पूरी बस में रास्ते भर खड़ा रहना पड़ता है ऐसे में जितने बच्चे उतनी सीट हो तो यह अच्छा है। कलेक्टर से अनुरोध है कि वह जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर माह की स्कूली बस की फीस जमा होने पर कम से कम तीन माह तो और बसें चलानी चाहिए इसके बाद भले ही बसें बंद हो जाए।  


स्कूल बस का किराया चुकाने के बावजूद कुछ इस तरह स्कूल पहुंचे स्टूडेंट्स