मांगा हक-मिली सीने पर गोली और गाल पर चांटा

अन्नदाता की कहानी, अन्नदाता की जुबानी 
राजू (ग्वाल)यादव
शिवपुरी. मप्र के मुख्यमंत्री की मंशानुरूप किसानों की भावनाओं को समझकर जिस प्रकर से अन्नदाता के लिए बोनस का लॉलीपॉप दिया है उसे देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर किसान इस लॉलीपॉप को पाने की चाह रखता है और यह उसका अधिकार भी है क्योंकि स्वयं मुख्यमंत्री भी किसानों की वास्तविक स्थिति से भलीभांति परिचित है यही कारण है कि उन्होंने किसानों को बोनस तो दिया ही है साथ ही साथ केन्द्र सरकार की लापरवाही से देरी से मिले वारदान की कमी को पूरा करने के लिए वारदाना उपलब्ध भी कराया।


इतना सब होने के बाद भी आए दिन गेहूं खरीदी केन्द्रों पर किसानों के शोषण को रोकने में प्रशासन कोई सार्थक पहल नहीं कर पा रहा है। अभी कुछ दिनों की बात करें तो जिले के पिछोर क्षेत्र में तो हद ही हो गई जहां स्थानीय प्रशासन ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए गेहूं खरीदी के समय एक कृषक को चांटा जड़कर अपनी मनमनी के बुलंद हौंसलों से किसानों को चेता दिया है कि यदि वह प्रशासन के निर्देशानुरूप नहीं चलेंगे तो उन्हें आगामी समय भी इस तरह की हरकतों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन क्या वास्तविक में यह सब करके प्रशासन किसानों को उनका वाजिब हक दिला पाऐंगे? यह सोचनीय प्रश्न है। फिलहाल तो शिवपुरी में इन हालातों को देखकर प्रशासन के कार्यों और उनकी सोच को बखूबी समझा जा सकता है।

यहां बता दे कि अभी कुछ दिनों पहले ही बरेली में किसानों के विरोध का प्रदर्शन जब पुलिस प्रशासन ने देखा तो उन्हें गोली चालान भी करना पड़ा और उस समय एक कृषक हरिसिंह प्रजापति की मौत भी हुई। यदि इस तरह के हालात हो तो पुलिस व प्रशासन को अपने स्तर पर व्यवस्थाओं में सुधार की जरूरत है। बीते रोज जिले के पिछोर क्षेत्र में एसडीएम उमेश शुक्ला द्वारा ग्राम भितरगुंवा के किसान बृजेश पुत्र मनीराम लोधी को चांटा मारने की घटना में भी कोई कमी नहीं थी लेकिन वह तो भला हो ईश्वर का कि किसानों ने इस अपमान को बर्दाश्त कर लिया अन्यथा किसी बड़े हादसे व आन्दोलन से इंकार नहीं किया जा सकता। प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान कृषकों के लिए वारदानें की व्यवस्था करवा रहे तो वहीं गेहूं खरीदी केन्द्रों पर अब प्रशासन अपनी मनमर्जी करने लगा है। किसान तो आऐंगे और वह भी हजारों क्विंटल गेहूं लेकर आऐंगे लेकिन क्या इस तरह के व्यवहार से किसानों को उनकी उपज का मूल्य दिया जाएगा। यह कतई उचित नहीं है। पिछोर में जब यह घटना घटी तो स्वयं भाजपा के ही सत्ताधारी दल के नेता कृषकों के पक्ष में खड़े नजर आए। वहीं प्रशासन का रवैया भी कुछ यूं देखने को मिला जहां शनिवार को खरीदी के समय एसडीएम उमेश शुक्ला का कहना था कि मत लाओ मंडी में गेहूं जाओ जाकर गेहूं में आग लगा दो। यह वक्तव्य सुन किसानो में भी प्रशासन के प्रति क्रोध भड़का और किसानों ने मौके पर ही प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए न केवल प्रशासन को कोसा बल्कि स्वयं प्रदेश के मुखिया के खिलाफ मुखलाफत की। 

इस दौरान पिछोर के कृषक सुरेश, राजेश, सुमेर सिंह, मनीराम निवासी ग्राम भितरगुंवा का कहना था कि गेहॅंू बेचने के एवज में चांटे खाने पड़े रहे है और गेहूं बेचने से रोककर उनमें आग लगाने की नसीहत दी जा रही है। ये प्रशासन का कैसा रवैया है इस मामले में स्वयं मुख्यमंत्री को अपने मातहतों को डांटना होगा अन्यथा किसी बडी घटना को ऐसे मौकों पर अंजाम दिया जा सकता है। वहीं अन्य किसान भगवान सिंह पुत्र सूरजभान लोधी निवासी गौचोनी, कैलाश पुत्र शोभराज सिंह यादव निवासी बड़ी दबिया, प्रभुदयाल लोधी आदि ने भी अपनी आपबीती सुनाई आर कहा कि हम कई दिनों से मण्डी प्रांगण में गेहूं लिए खड़े है तारीख निकलने के बाद भी आज तक हमें एसएमएस नहीं मिला और न ही हमारी खरीदी की गई। 

वहीं बोरा सिलाई के एवज में पांच रूपए प्रति बोरा अलग से वसूला जा रहा है तो कोई एसएमएस के लिए हजार-हजार रूपए भी दे चुके है उसके बाद भी हालातों में कोई सुधार नहीं है। जिसके चलते शिकायत करने पर एसडीएम एवं तहसीलदार जैसे जिम्मेदार अधिकारी भी किसानों से गाली-गलौज करने से परहेज नहीं कर रहे। ऐसे में प्रशासन को किसानों के साथ नरम व्यवहार तो अपनाना ही होगा साथ ही उन्हें उनकी खरीदी के प्रति निष्पक्षतापूर्ण कार्यवाही कर किसान हितों का ध्यान रखना होगा अन्यथा किसानों का पारा चढ़ गया तो बरेली जैसी घटना शिवपुरी में घटित हो इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता।
 

50 क्विंटल की खरीदी का किसानों ने किया विरोध

गेहूं खरीदी के लिए किसान अपनी सैकड़ों क्विंटलों की फसल को लेकर मण्डी प्रांगण व गेहॅंू खरीद केन्द्रों पर लेकर पहुंचता था तो वहां उसकी पूरी फसल की खरीद भी होती थी लेकिन बीते समय वारदाने की कमी से जूझ रहे किसानों पर अब नया नियम लागू कर दिया है। जहां बताया गया है कि कोई भी किसान हो उसका केवल 50 क्विंटल ही गेहॅंू खरीदा जाएगा इस तरह एक-एक किसान का प्रति 50 क्विंटल खरीदने के बाद शेष गेहॅंू बाद में खरीदा जाएगा जबकि खरीदी की समाप्ति दिनांक भी नजदीकहै। ऐसे में कोलारस, करैरा, पिछोर आदि क्षेत्रों में किसानों ने अपना विरोध प्रदर्शन किया है कि यह अडिय़ल रवैया हटाना होगा और बारी-बारी से कृषकों की जितनी फसल हो उतनी ही पूरी खरीद होना चाहिए।
 
खरीद केन्द्र पर बताया खराब गेहूं तो की शिकायत
जिले के नरवर तहसील के चिताहरी गेहूं खरीदी केन्द्र पर जा रही गड़बडिय़ों को लेकर दो दर्जन से अधिक किसान गत दिवस कलेक्ट्रेट पहुंचे और यहां कलेक्टर से शिकायत की। किसान कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष सगीर खान, दयाल सिंह, बलराज चतुर्वेदी, अरविन्द भार्गव, रवि भदौरिया, राजेन्द्र रावत, कोमल, अजयपाल रावत, वासुदेव, निर्मल सिंह, राजू आदि अपने साथ पॉलिथीन में गेहूं भरकर लाए थे, यहां किसानों का कहना था कि गेहूं खरीदी केन्द्र के प्रभारी किसानों के अच्छे भले गेहूं को खराब बता रहे है और यहां केन्द्र प्रभारी सरेआम रिश्वत लेकर गेहूं खरीदी कर रहे है प्रति क्विंटल के मान से 100 और 200 रूपये मांगे जा रहे है। इस पूरे मामले की शिकायत कृषको ने कलेक्टर से की है और जांच समिति गठित कर केन्द्र पर भेजने की मांग की।
 

तुलाई केन्द्रों पर लग रहे रिश्वत के आरोप

जिले के करैरा क्षेत्र में कृषि उपज मण्डी में तो किसानों को गेहूं तुलाई कार्य में तमाम तरह की अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ रहा है। मण्डी में उपार्जन के लिए आई ट्रॉलियों में से कुछ किसानों से कर्मचारी रिश्वत लेकर उनका गेहूं जल्दी तौल रहे है तो कुछ किसानों को वारदाना देने के नाम पर भी अतिरिक्त सुविधा शुल्क देना पड़ रहा है। यह आरोप कांग्रेस नेता के.एल.राय ने लगाए। यहां उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि करैरा में इन दिनों गेहूं उपार्जन केन्द्रों पर किसानों के साथ जमकर लूटखसोट की जा रही है जो किसान दो-दो दिन से मण्डी में खड़े है उन्हें वारदाना न देकर ऐसे दबंग किसानों को दिया जा रहा है जो कि उसी दिन मण्डी क्षेत्र में आते है और अपना माल तुलवाकर आराम से घर चले जाते है जबकि छोटे किसान इस तरह की परेशानियों से जूझते देखा जा सकता है।