क्या खुद चलकर थाने आऐंगे विशाल के हत्यारे?

राजू (ग्वाल) यादव
शिवपुरी-माह मार्च दिनांक 31, घटना मझैरा खदान, हत्या वनपाल विशाल प्रभाकर, वर्तमान स्थिति घटना का मुआयना कर जांच रिपोर्ट अभी भी जारी है, दिन हुए 59, घंटे 1416, 84960 मिनिट और 5074600 सेकेण्ड, आखिर इतने दिन, इतने घंटे, इतने मिनिट और इतने ही सेकेण्ड फिर हत्यारा कौन?


 पुलिस को भी नहीं पता, परिजन न्याय की आस में, कब मिलेगा न्याय, पता नहीं, ये कैसा पुलिसिया काम कि हत्यारा बेखौफ दुनिया में घूम रहा है और मृतक की आत्मा को भी रास नहीं आ रहा पुसिल का यह रवैया,आखिर ऐसी क्या वजह और परिस्थितियां है कि पुलिस वनपाल विशाल प्रभाकर की मौत का मामला आज तलक सुलझा नहीं पाई। अब क्या पुलिस को यही इंतजार है कि यह रिपोर्ट यहीं दब जाए या क्या खुद चलकर थाने आऐंगे वनपाल के हत्यारे? यह सवाल हर आमजन और मृतक वनपाल के परिजनों में समाया हुआ और वह इंतजार कर रहे है पुलिस की सक्रियता की वह शीघ्र से शीघ्र इस मामले का खुलासा करें, लेकिन पुलिसिया कार्यप्रणाली से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यहां ऐस कुछ होना तो अभी रहा बस इंतजार है और इंतजार ही रहेगा।

खदान, माफिया, अपराधी, बदमाश और लुटेरे ये वह तत्व है जिनसे ना केवल आमजन बल्कि पुलिस भी परेशान है। क्योंकि दिन बढ़ते, समय बढ़ता और बढ़ती परिस्थितयों ने हमेशा से पुलिस की ही कार्यप्रणाली को उजागर किया है। आखिर क्या वजह है कि आधुनिकता के इस युग में भी पुलिस का सूचना तंत्र और खुले में घूम रहे अपराधियों पर अंकुश नहीं लग पा रहा। बीते 31 मार्च की घटना जो मझेरा की खदानों से निकलने वाले अवैध कारोबार को रोकने के लिए अपनी जान गंवा बैठा वनपाल विशाल प्रभाकर की हत्या को भी आज 59 दिन होने को है। इस मामले में शुरू से ही पुलिस की शिथिलता के कारण जांच का मामला जांच में ही चल रहा है। इस मामले में विभागीय मौन स्वीकृति भी कहीं न कहीं इस वनपाल की मौत को कठघरे में खड़ा कर रही है। 

घटना के बाद न्याय की आस में बैठी मृतक की विधवा ने भी कभी नहीं सोचा था कि उसके सुहाग को वीर का दर्जा तो मिल गया लेकिन उसके हत्यारों का आज घटना के इतने बाद भी सुराग नहीं लग पा रहा। इस घटना ने उसी वक्त कुछ समय पूर्व खदान माफियाओं के शिकार बने मुरैना आईपीएस नरेन्द्र कुमार की मौत के मामले में को भी उठाया था लेकिन यहां भी पुलिस ने महज कागजी कार्यवाही कर पूरे मामले को जांच की जद में लिया है और वर्तमान समय में भी पुलिस का यही कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। 

अपराधी कौन है,कहां का है, कैसा है, क्यों मारा, क्या वजह रही आदि ऐसे कई सवाल स्वयं मृतक वनपाल विशाल प्रभाकर के परिजनों और आमजन में भी है कि आखिर घटना के इतने बाद भी इस मामले में कोई कार्यवाहीं अब तक क्यों नहीं हुई? जांच प्रभारी बने देहात थाना टीआई विजय काले ने भी घटना के बाद मौका मुआयना किया लेकिन उन्हें भी वहां तस्दीक के दौरान ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला कि वह इस मामले का पर्दाफाश करें। यह तो एक वनपाल की मौत का मामला है जबकि ऐसे ही अन्य कई प्रकरण अभी भी शेष है जिसमें पुलिस को खुलासे करना है चाहे वह रेलवे ट्रेक पर मिली महिला की लाश का मामला हो या अन्य कोई और जिससे इन मामलों का पुलिस खुलासा कर सके।

आखिर कब मिलेगा न्याय?

जिस समय वनपाल विशाल प्रभाकर की मौत हुई उस समय काफी हो-हंगामा न केवल परिजनों ने बल्कि स्थानीय निवासियो ने भी किया था। जहां ग्वालियर वायपास पर जाम भी लगा दिया और इस जाम को भी तभी खोला जब मौके पर पहुंचे वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों व पुलिस विभाग के पुलिस अधीक्षक ने मृतक के परिजनों को आश्वस्त किया था कि मृतक वनपाल के हत्यारों को शीघ्र पकड़ लिया जाएगा? लेकिन आज घटना को पूरे लगभग दो माह होने को है परन्तु हत्यारे पुलिस के हाथ नहीं लगे। जिससे पुलिस पर से भी न केवल परिजन बल्कि आम जनता का भी विश्वास उठने लगा है। आखिर मृतक के परिजन इस मामले का खुलासा होने का इंतजार कर रहे है और यह न्याय कब उन्हे मिलेगा, शायद कभी नहीं.... लेकिन फिर भी न्याय की आस वे लगाए ही है अब देखते है पुलिस इस मामले में क्या कार्यवाही करती है या फिर वही पुराना रवैया जांच, जांच और केवल जांच...!