शिवपुरी में वैश्य महासम्मेलन सुपर फ्लॉप

शिवपुरी। उमाशंकर गुप्ता को मुख्यमंत्री, केएल अग्रवाल को ग्रहमंत्री और भरत अग्रवाल को विधायक बनाने की रणनीति के साथ आयोजित किया गया अखिल भारतीय वैश्य महासम्मैलन शिवपुरी में सुपर फ्लॉप रहा। सबसे ज्यादा वैश्य मतदाताओं वाली विधानसभा शिवपुरी के वैश्यों ने ही इस रणनीति को अस्वीकार कर दिया। बौखलाए ग्रहमंत्री पुलिस अधिकारियों को डांटपीटकर वापस रवाना हो गए।
बीते पखवाड़े भर से वैश्य को संगठित कर अपनी शक्ति के रूप में निरूपित करने वाले भाजपा के नेता व वैश्य समाज के जिलाध्यक्ष भरत अग्रवाल को उनके ही द्वारा आयोजित किए गए कार्यक्रम ने चारों खाने चित्त पटक दिया है। आयोजित कार्यक्रम को सफल बनाने का स्वांग रचने वाले श्री अग्रवाल ने भी नहीं सोचा था कि वह जिस कार्यक्रम को लेकर अपना निजी ध्येय साधे है उसमें समाज उनका साथ देगा। 

यही हुआ अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन की संभागीय मीटिंग एवं वैश्य एकता रैली में जहां समाज के आधे लोगों ने ही कार्यक्रम में शिरकत कर इस पूरे कार्यक्रम को फ्लॉप कर दिया। स्थानीय होटल सोनचिरैया में इस दिवसीय कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर कई समितियां बनाई गई लेकिन महज कागजी समितियां और घर में होने वाली बैठकों से आयोजन सफल नहीं होते। यह बात अच्छी तरत से भाजपा नेता और वैश्य समाज के जिलाध्यक्ष भरत अग्रवाल नारियल वालों को भली भांति समझ आ गई होगी। वैसे भी यह पूरा कार्यक्रम एक तरह से वैश्य महासभा कम भाजपाई वैश्य महासभा अधिक नजर आया। पूरे नगर में तोरणद्वारों से समेटी जाने वाली भीड़ भी आज रैली में ना के बराबर देखने को मिली।

अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन की संभागीय बैठक व वैश्य समाज की एकता रैली के रूप में संगठित करने के लिए जो कार्यक्रम संभाग स्तर पर शिवपुरी में आयोजित किए गए। उस कार्यक्रम को देखकर कहा जा सकता है कि आने वाले भविष्य में वैश्यों की इस एकता में दो फाड़ जब अभी से होने लगे है। अपने राजनैतिक भविष्य को उजियारा समझकर भाजपा के नेता व वैश्य समाज के जिलाध्यक्ष भरत अग्रवाल नारियल वालों ने जिस सोच के साथ इस कार्यक्रम को आयोजित करने का सोचा। वह पूरी तरह से फैल नजर आया। क्योंकि दो दिनी के इस आयोजन से जहां प्रभारी मंत्री के.एल.अग्रवाल, कोलारस विधायक देवेन्द्र जैन व जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू ने दूरी बनाए रखी। उससे लगता है कि यहां इस सामाजिक कार्यक्रम को राजनैतिक स्वरूप दिए जाने का पूरी तरह से ताना-बाना बुना गया था। जिसका परिणाम यह हुआ कि केवल बैनर, होर्डिंग्स, तोरण द्वारों से ही यह कार्यक्रम होता नजर आया। 

वास्तविक हकीकत में कार्यक्रम की सफलता के लिए वैश्य समाज के जिलाध्यक्ष भरत अग्रवाल ने अपने निवास पर आयोजित प्रेसवार्ता में भी आश्वस्त किया था यह सामाजिक कार्यक्रम समाज के लोगों के द्वारा ही सफल होगा लेकिन इसमें समाज के लोगों ने ही दूरी बनाई और महज गिने-चुने लोगो की कमेटी बनाकर इस कार्यक्रम को आयोजित करा डाला। सोनचिरैया होटल में जब गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता पहुंचे तो उन्होंने भी कार्यक्रम में लोगों की कम भीड़ को देखकर नाराजगी व्यक्त की। श्री गुप्ता ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए जब वैश्य एकता रैली सोनचिरैया पहुंची तो उन्होंने इशारों-इशारो में कह दिया कि 10 वर्ष पूर्व जब वैश्यों की शक्ति प्रदर्शित हुई उस समय भीड़ 10 हजार के लगभग थी। इस तरह बयानबाजी के बाद भी समाज के लोगों ने भी इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। 
 
देखा जाए तो पूरी तरह से शिवपुरी मे आयोजित संभागीय कार्यक्रम फ्लॉप नजर आया। वहीं बुद्घिजीवी वर्ग का कहना है कि राष्टï्रवाद की बात करने वाली भाजपा अब समाजवाद की बातें करने लगी है।

मीडिया भी था नाराज 

यदि पूरे कार्यक्रम पर नजर डाली जाए तो यहां वैश्य चूंकि एक संपन्न समाज के रूप में जाना जाता है यदि इस दौरान वैश्य समाज मीडिया को साथ में लेता तो आज बात ही अलग होती और कार्यक्रम भी सफल होता। मीडिया से बनाई जाने वाली दूरी ने भी इस कार्यक्रम को फ्लॉप करने मे महती भूमिका निभाई। जहां ना तो उन्हें आमंत्रित किया गया और ना ही प्रचार-प्रसार हेतु सहयोग प्रदान किया। महज प्रेसवार्ता में कार्यक्रम की जानकारी देकर कार्यक्रम में आमंत्रित करना कहीं से कहीं तक उचित नहीं समझा जा सकता। यही वजह रही मीडिया में ना तो वैश्य समाज का यह कार्यक्रम प्रकाशित हुआ और ना ही कार्यक्रम जन-जन तक पहुंचकर वैश्य एकता का संदेश पहुंच पाया।

...आखिर क्या औचित्य था शक्ति प्रदर्शन का


जिस प्रकार से वैश्य समाज ने समाज को संगठित होकर शक्ति प्रदर्शित करने के लिए वैश्य एकत रैली का आयोजन किया गया। उस रैली से आमजन में भी यही चर्चा रही कि आखिर वैश्य समाज को इस तरह एकता शक्ति प्रदर्शित करने का क्या औचित्य रहा? यह बात सरगर्मी से लोगों की जुबान पर देखने को मिली कहीं किसी ने कहा कि इससे भरत अग्रवाल स्वयं को भाजपा में आगामी समय के लिए विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटे है तो किसी ने कहा कि स्वयं की राजनीति चमकाने के लिए यह एकता रैली आयोजित की गई। वैसे इस रैली में समाज के वह वरिष्ठजन व सम्मानीय नागरिक भी दूर रहे जिनसे समाज का गौरव चहुंओर फैलता है। आखिर कुछ न कुछ कारण तो ऐसे रहे होंगे जिससे समाज के ऐसे सम्मानीय समाजजनों ने दूरी बनाई तो वहीं दूसरी ओर इस आयोजन के औचित्य पर ही सवाल खड़े नजर आए।