विकास के लिए शिवराज सरकार को मिले 280000000000

गिनिए गिनिए ये जीरो गिनिए, आप ये जीरो नहीं गिन पाते तभी तो आपके अस्पताल में सिरिंज तक नहीं मिलती जबकि अनूप मिश्रा के मनपसंद और नरोत्तम मिश्रा के भी चहेते स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर अमरनाथ मित्तल सरकारी खजाने से 150 करोड़ डकार जाते हैं। ये हैं 28 हजार करोड़ जो केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार को दिए हैं, अगले पांच सालों में आपकी सेवा में खर्च करने के लिए, लेकिन यदि आप हिसाब नहीं मांगेगे तो पता नहीं कितना खर्च होगा और कितना ..? खैर यह तो प्रसंगवश निकली टिप्पणी थी, इधर 150 करोड़ की काली कमाई मिली और उधर अगले पांच सालों में ....। आप पढि़ए अगली पंचवर्षीय योजना के लिए स्वीकृत हुए बजट का समाचार
 भोपाल। मध्यप्रदेश के लिये 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) दो लाख एक हजार 862 करोड़ रुपये की स्वीकृत की गयी है। साथ ही वर्ष 2012-13 की वार्षिक योजना 28 हजार करोड़ रुपये की मंजूर की गई है। पंचवर्षीय योजना और वार्षिक योजना को आज यहाँ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. मोनटेक सिंह आहलूवालिया के बीच हुई बैठक में अंतिम रूप दिया गया।

प्रदेश की पिछली पंचवर्षीय योजना राशि (2007-12) 70 हजार 329 रुपये की थी, जबकि वर्ष 2011-12 की वार्षिक योजना राशि 23 हजार करोड़ रुपये थी। यह वृद्ध 21.5 प्रतिशत है। वार्षिक योजना इस वर्ष पिछली योजना की तुलना में 5 हजार करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। इस वर्ष की वार्षिक योजना की राशि में अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता के रूप में स्वीकृत की गई 4 हजार 917 करोड़ रुपये शामिल है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. आहलूवालिया ने मध्यप्रदेश की अनेक योजनाओं तथा विकास दर की सराहना की।

बैठक में मध्यप्रदेश योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री बाबूलाल जैन, मुख्य सचिव श्री आर. परशुराम, योजना सचिव श्री एस.आर. मोहन्ती  तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

ग्यारहवीं पंचवषीर्य योजना में राज्य सकल घरेलू उत्पाद मंे 10.02 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो देश की औसत वृद्धि से अधिक है। 12वीं पंचवषीर्य योजना के लिए राज्य सकल घरेलू उत्पाद में 12 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य तय किया गया है। 11वीं पंचवषीर्य योजना में कृषि क्षेत्र में वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रही जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। 12वीं पंचवषीर्य योजना के लिए 9 प्रतिशत का लक्ष्य रखा गया है। औद्योगिक क्षेत्र में 11वीं पंचवषीर्य योजना में 10 प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्त किया गया। 12वीं पंचवषीर्य योजना में इसका लक्ष्य 12 प्रतिशत रखा गया है। इसी प्रकार सेवा क्षेत्र में 11पंचवषीर्य योजना में वृद्धि 11.7 प्रतिशत रही है। 12वीं पंचवषीर्य योजना में वृद्धि दर 13.75 प्रतिशत रखी गयी है। 12वीं पंचवषीर्य योजना में कुल राज्य आयोजना दो लाख एक हजार 862 करोड़ रूपये रहेगी जबकि 11वीं पंचवषीर्य योजना में यह 70 हजार 329 करोड़ रूपये थी। 12वीं पंचवषीर्य योजना में कृषि उद्योग अधोसंरचना तथा सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं को विशेष प्राथमिकता दी गयी है।

कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र में 11वीं पंचवषीर्य योजना में राज्य आयोजना का 4.85 प्रतिशत निवेश किया गया है जिसको 12वीं पंचवषीर्य योजना में बढ़ाकर 8.40 प्रतिशत प्रस्तावित किया गया है। इसी प्रकार सामाजिक क्षेत्र में निवेश को 28.13 प्रतिशत से बढ़ाकर 39.54 प्रतिशत प्रस्तावित किया गया है।

राज्य की कुल राजस्व प्राप्तियों में राज्य सकल घरेलू उत्पाद से प्रतिशत के रूप में लगातार वृद्धि रही है। वर्ष 2012-13 के बजट में यह 20.79 प्रतिशत अनुमानित है जबकि वर्ष 2005-06 में यह 16.55 प्रतिशत थी । कुल राजस्व प्राप्तियों से प्रतिशत के रूप में ब्याज भुगतानों में लगातार कमी हो रही है। वर्ष 2005-06 में यह 16.16 प्रतिशत थी जो घटकर अब 8.98 प्रतिशत रह गयी है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बैठक में 12वीं पंचवषीर्य योजना के सम्बन्ध में चर्चा करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश जैसे राज्यों को छूट दी जाय कि वे अपनी समस्याओं/आवश्यकताओं के अनुरूप योजना क्रियान्वित करें। उन्होंने कहा कि राज्य के विन्ध्य एवं अन्य आदिवासी पिछड़े क्षेत्रों के लिए बुंदलेखंड पैकेज जैसी व्यवस्था की जाय।

श्री चौहान ने 11वीं पंचवषीर्य योजना की राज्य में प्राप्त प्रमुख उपलब्धियों की चर्चा की और बताया कि पांच वर्ष में प्रदेश में कुल 72 हजार किलोमीटर सड़कांे का निर्माण किया गया है। राष्ट्रीय राजमार्गो की स्थिति खराब है इनकी मरम्मत एवं रख-रखाव के अधिकार केन्द्र के पास हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनीं सड़कों की मरम्मत आदि के लिए भी केन्द्र स्तर से राशि की व्यवस्था की जाय।

श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2013 में 24 घंटे विद्युत आपूतिर् के लिए फीडर सेपरेशन का काम तेजी से किया जा रहा है। विद्युत पारेषण क्षति को कम किया है, और भी कम करेंगे। 12वीं पंचवषीर्य योजना में उत्पादन में 138 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश को 170 लाख मीट्रिक टन कोयले की आवश्यकता है। प्रदेश की क्षमता जितना आवंटन नहीं मिलता है। अभी ए और बी ग्रेड के कोयले की कीमतें बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में कोयला होता है वह उन्ही ंराज्यों को दिया जाय।

श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में पिछले वर्ष के सिंचित क्षेत्र 11 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर इस साल 22 लाख हेक्टयर किया गया है। लघु सिंचाई योजनाएं पूर्ण की हैं। उन्होंने कहा कि 12वीं पंचवषीर्य योजना को 'जल योजना' घोषित किया जाय और सिंचाई क्षेत्र बढ़ाने और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में पेयजल योजनाओं को प्राथमिकता दी जाय। उन्हांेंने बरगी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग भी की।

श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश मे मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना शुरू कर 37 शहरों के लिये 500 करोड़ रूपये की योजनाएं शुरू की गयी हैं। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में सुरक्षित पेयजल प्रदाय करने के लिए मध्यप्रदेश वाटर कारपोरेशन का गठन किया जा रहा है।

श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश में कृषि को लाभकारी बनाने के लिए कृषि केबिनेट बनायी गयी है। उन्होंने समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए की गयी व्यवस्थाओं की जानकारी भी दी और कहा कि जूट कन्ट्रोल आर्डर को शिथिल करना चाहिए। प्रदेश में उद्यानिकी के रकबे और उत्पादन में भी वृद्धि हुई है।

श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश मे 77 नये औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये जा रहे हैं। अभी 80 हजार करोड़ रूपये के उद्योगी की स्थापना निर्माणाधीन हैं। प्रदेश में तीन औद्योगिक कॉरीडोर विकसित किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के कौशल विकास केन्द्रों पर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि लघु कुटीर उद्योग क्लस्टर विकसित करने में सहयोग करें।

श्री चौहान ने सामाजिक सुरक्षा एवं विकास, बाल विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि क्षेत्रों में किये गये गये कार्यो और उपलब्धियों की जानकारी भी दी।