खाद्य सुरक्षा कानून के विरोध में शिवपुरी बाजार रहा बंद

शिवपुरी-सरकार की मंशा होती है कि देश का हर नागरिक समृद्ध हो विकासशील हो लेकिन इस सोच की परिणीति को बदलने के लिए केन्द्र सरकार ने कहीं न कहीं अपनी ओछी मानसिकता का परिचय दिया है। यही कारण है कि आज हर वर्ग चाहे वह व्यापारी हो या व्यवसाई सभी को हर प्रकार से दबाने का प्रयास किया है।


केन्द्र सरकार ने आम जनता पर एक और बोझ बढ़ाने के लिए खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने पर विचार किया लेकिन यह अगर यह कानून लागू हो गया तो इससे आमजन की कमर तो टूटेगी ही साथ गरीब परिवार जो दो वक्त की रोटी की जुगाड़-तुगाड़ यहां-वहां से कर लेता है उसका तो पूर्ण रूप से मरना ही हो जाएगा। केन्द्र सरकार द्वारा लागू किए गए इस नियम का विरोध समूचे प्रदेश भर देखने को मिल रहा है। जहां शिवपुरी में भी इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन करते हुए सभी खाद्यान्न से संबंधित दुकानें बंद रही। तीन दिनी हड़ताल से आमजन पर बोझ के साथ कई कामकाज प्रभावित होना तय है क्योंकि प्रतिदिन उपयोग में आने वाली सामग्री को लेकर हर उपभोक्ता यहां-यहां भटक रहा है। इस कानून का विरोध प्रदर्शन भी जायज है लेकिन तीन दिन विरोध करना कई समस्याओं को पैदा कर सकता है।

केन्द्र सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा कानून को लेकर व्यापारिक संगठन ने तीन दिनों का हड़ताल कर इस कानून का विरोध जताया है। वहीं व्यापारी वर्ग ने इस कानून को कालू कानून की संज्ञा भी दे डाली है। गत कुछ दिनों पूर्व देशव्यापी खाद्य सुरक्षा कानून के विरोध में हड़ताल करने का ऐलान किया गया था। जिसका परिणाम यह हुआ कि इसका असर 9 अपै्रल को प्रथम दिन से ही दिखना शुरू हो गया।  प्रदेश व्यापी इस तीन दिनी हड़ताल का वर्ग व्यापारिक व व्यावसायिक प्रतिष्ठान संचालकों ने समर्थन किया। शिवपुरी में भी अधिकांशत: सभी दुकानें नगर में बंद रही। चाय, हाथ ठेला, चाट-पकौड़ी, मिष्ठान, राशन की दुकान आदि सभी दुकानें प्रात: से ही बंद रही। तीन दिन की हड़ताल से आज करोड़ों रूपये का व्यवसाय प्रभावित हुआ है। निश्चित रूप से यदि यह हड़ताल तीन दिन रही तो इसका असर भी व्यापक दिखेगा। सुबह से ही घरेलू गृह सामान की जद्दोजहद के लिए जहां निम्न वर्ग परेशान रहा तो वहीं कुछ लोग दैनिक उपयोग का सामान लेने के लिए इधर-उधर खुली दुकानों की तलाश में फिरते रहे। 

शहर के माधवचौक से लेकर गुरूद्वारा रोड, राजेश्वरी रोड, कोर्ट रोड, कष्टमगेट,  आर्य समाज रोड, न्यू ब्लॉक चौराहा, कमलागंज, फिजीकल सहित शहर के इन तमाम व्यस्तम बाजार के अलावा ग्वालियर-गुना वायपास, ठकुरपुरा, घोसीपुरा, संजय कॉलोनी, इंदिरा कॉलोनी, पुरानी शिवपुरी रोड, श्रीराम कॉलोनी, नबाब साहब रोड आदि ऐसे वे स्थान जो किन्हीं गली-मोहल्लो में स्थित है। यहां भी छोटी- से छोटी दुकान चलाने वालों ने अपनी दुकानें बंद रखी। वहीं चौराहें पर चाय की चुस्कियों का आनंद लेने के लिए बैठे लोगों को आज दिन भर चाय नसीब नहीं हुई। मिष्ठान विक्रेताओं ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे जिससे कामकाज प्रभावित हुआ। 

मिष्ठान न मिलने से मंदिरों पर भगवान को प्रसाद नहीं चढ़ा तो कहीं किसी आयोजन में मिष्ठान की दुकान बंद रहने की चर्चा सबदूर बनी रही। कुल मिलाकर पूरे शिवपुरी नगर में बंद को अच्छा समर्थन मिला जिसका परिणाम यह है कि आमजन केन्द्र सरकार की नीतियों से परेशान है और वह अपना विरोध दर्ज करा रहा है। केन्द्र सरकार के खाद्य सुरक्षा कानून की हर तरह बुराई ही बुराई हो रही है और इस कानून को काला कानून कहकर इसे लागू नहीं करने के लिए हर दुकानदार प्रतिबद्ध है। इस प्रदर्शन में कई जगह व्यापारियों ने बैठकों के माध्यम से आगामी रणनीति पर भी विचार किया।

नहीं मिली ये सामग्री

खाद्य सुरक्षा कानून को लेकर हर वर्ग परेशान रहा। इस कानून का विरोध दर्ज कराने के साथ-साथ सभी दुकानें बंद रही। जिसमें तेल, दाल, चावल, शक्कर, आटा मैदा, चायपत्ती, हल्दी, धनिया, मिर्च पावडर, कचौड़ी, समौसा, पकौड़ी, ब्रेड टोस्ट, पेट्रीज, दूध पावडर, ब्रेड पकौड़ा, दही, दूध, घी, मावा, चक्का, छांछ, जूस, गेहॅूंू, चना व अन्य दालों सहित कोल्ड ड्रिंक्स की बिक्री पूर्णत: बंद रही। इस सामग्री का उपयोग वैसे तो हर घर में होता है लेकिन फिर भी कुछ जगह चोरी-छुपे सामान की बिक्री भी की गई।

क्यों पड़ी इस कानून की जरूरत

खाद्य सुरक्षा कानून के बारे में बताया गया है कि इस कानून के लिए वर्ष 2004 में कोल्ड ड्रिंक्स में मिलावट का मुद्दा गरमाने के बाद इस कानून की जरूरत समझी गई। वर्ष 2005 में लोकसभा में बिल पेश होने के बाद इसे कृषि संबंधी स्थायी समिति को सौंप दिया गया था। समिति ने उस समय लागू सात कानूनों खाद्य मिलावट निरोधक कानून 1954,फल उत्पादन आदेश 1955, मीट फूड ऑर्डर 1973, दूध और दूध से बनने वाले पदार्थ आदेश 1992 और खाद्य तेल ऑर्डर 1988 को मिलाकर एक कानून बनाने की सिफारिश की गई थी। जिसके तहत खाद्य सुरक्षा कानून नियम लागू करने पर विचार किया गया। लेकिन इस कानून से आमजन, व्यापारी और व्यवसायी वर्ग पर प्रभाव पड़ेगा इसलिए हर आमजन इस कानून का विरोध कर रहा है।