सीएम की घोषणा के साथ ही खुले बाजार, दिखी चहल पहल

शिवपुरी- बीती तीन दिनों से चल रही खाद्य सुरक्षा अधिनियम की लड़ाई को लेकर अब प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को राहत प्रदान की है। जहां तीन दिवसीय यह हड़ताल यदि निश्चित समयावधि में किसी उचित निष्कर्ष पर नहीं निकलती तो यह हड़ताल अनिश्चित होने जा रही थी लेकिन प्रदेश में इस तीन दिन की हड़ताल में दो दिन में ही जो परिस्थितियां सीएम ने देखी तो तत्काल हड़ताल के तीसरे दिन व्यापारियों के प्रतिनिधि मण्डल से चर्चा कर आश्वस्त किया कि मध्यप्रदेश में किसी भी प्रकार से खाद्य सुरक्षा अधिनियम कानून को लागू नहीं किया जाएगा।


इस आश्वासन के बाद हड़ताल समाप्त कर दी गई। अब प्रदेश में इस काले कानून को लागू नहीं किया जाएगा जिसे लेकर शहरवासी ही नहीं बल्कि प्रदेशवासी सड़कों पर उतर आए थे। इस फैसले से आमजन ने भी राहत की सांस ली है। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया। इस आश्वासन के साथ ही दोप.2 बजे के बाद बाजार पूर्णत: खुले गए जिससे सभी ओर चहल-पहल की आवाजें आती रही।

यहां बताना मुनासिब होगा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम कानून को लागू करने के पक्ष में केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका है। जिसके तहत व्यापारी व व्यवसाई सहित आमजन पर इसका प्रभाव पडऩा तय है। क्योंकि इस कानून के लागू होने से देश भर में कई प्रकार की समस्याओं का सामना नागरिकों को करना पड़ेगा। यही कारण रहा कि प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर में पहली बार लागू होने वाले इस कानून को काले कानून का नाम दिया गया। इस कानून के विरोध में देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया। जिसमें 9 से 11 तक तीन दिन चलने वाली हड़ताल के चलते जब शुरू के दो दिनों में आमजनों ने जिन विकट परिस्थितियों में चाय,नाश्ता, गृहस्थी का सामान सहित अन्य दैनिक उपयोगी सामान जो हर-घर में उपयोग होता है। इसके लिए काफी संघर्ष किया लेकिन दिन प्रतिदिन बढ़ती हड़ताल के कारण लोगों की समस्याऐं भी बढ़ती जा रही है। जहां इस तीन दिन की हड़ताल के आखिरी दिन 11 अप्रैल को पूरे देश भर में बंद का आह्वान किया। इन तीन दिनों की हड़ताल में मध्यप्रदेश के नागरिकों की सुध प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ली। जिसके तहत तुरंत व्यापारी, व्यवसाई व आमजनों को आश्वस्त किया कि प्रदेश में इस तरह के कानून को लागू नहीं किया जाएगा। इसलिए प्रदेश में खाद्य सुरक्षा अधिनियम प्रतिबंधित रहेगा। इस आश्वासन के बाद मुख्यमंत्री से मिलने गए व्यापारियों के प्रतिनिधि मण्डल ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही तीन दिन की हड़ताल आज खत्म कर दी गई।

हड़ताल से बढ़ी महंगाई ने दिखाया असर

केन्द्र सरकार के मनमानीपूर्ण रवैये के चलते जिस प्रकार से खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू करने की योजना थी उसे देखकर हर व्यक्ति पीडि़त जान पड़ रहा था। जिसका परिणाम यह हुआ कि इस तीन दिन की हड़ताल से प्रदेश में करोड़ों रूपये का कारोबार प्रभावित हुआ। इस हड़ताल ने इन तीन दिनों में महंगाई भी इतनी बढ़ा दी जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। जहां 20 रूपये किलो का दूध 48 रूपये में, 10 रूपये का चाय का पैकेट 30 रूपये में, खाने की दालें, नमक, चावल, शक्कर, आटा मैदा, चायपत्ती, हल्दी, धनिया, मिर्च पावडर, कचौड़ी, समौसा, पकौड़ी, ब्रेड टोस्ट, पेट्रीज, दूध पावडर, ब्रेड पकौड़ा, दही, दूध, घी, मावा, चक्का, छांछ, जूस, गेहॅूंू, चना व अन्य दालों सहित कोल्ड ड्रिंक्स की बिक्री पूर्णत: बंद रहने से यह दोगुने-तीन गुने दामों पर बिक रहे थे। जहां चोरी छुपे कई दुकानदार इस तरह अल्प समय में ही महंगाई को प्रदर्शित करते हुए स्वयं का मुनाफा कमाने में लगे हुए थे। यही यही रवैया आगे भी रहता तो और भयावह हालात निर्मित होते।

धरना प्रदर्शन कर किया विरोध प्रदर्शन

तीन दिन चलने वाली हड़ताल का समर्थन कर रहे व्यापारी, व्यवसाई व आमजन का जमघट माधवचौक चौराहे पर पाण्डाल के नीचे विरोध प्रदर्शन जारी रहा। जहां इस धरना प्रदर्शन में व्यापारी संघ के अध्यक्ष भरत  अग्रवाल के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा अधिनियम का विरोध करने के लिए शिवपुरी विधायक माखन लाल राठौर, पोहरी विधायक प्रहलाद भारती, जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू भी पहुंचे। और इन सभी खुले मंच से इस कानून के लागू होने से होने वाले नुकसानों से आमजनों को अवगत कराया साथ ही आश्वास्त किया कि यह कानून किसी भी प्रकार से लागू नहीं किया जाएगा। इस संदर्भ में व्यापारी व व्यवसाईयों के प्रतिनिधि मण्डल ने एक ज्ञापन सौंपकर इस कानून को लागू नहीं करने की मांग की। जिस पर तुरंत विधायकों व जिला पंचायत अध्यक्ष ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन की प्रति भेजी और इस कानून को लागू नहीं करने का आग्रह किया। जिसके परिणाम स्वरूप संपूर्ण प्रदेश भर में सैकड़ों ज्ञापन मुख्यमंत्री के पास पहुंचे। जहां इन दिनों जारी हड़ताल के दुष्परिणामों से भी अवगत कराया। जिस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस काले कानून को लागू नहीं होने के प्रति जनता को आश्वस्त किया।