हड़ताल: शिवपुरी में दूध को तरसे दुधमुहें मासूम, हाहाकार, 48 रुपए किलो बिका दूध

राजू (ग्वाल)यादव
शिवपुरी- भाई साहब! दूध चाहिए मिलेगा क्या, अरे नहीं दूध नहीं मिलेगा तुम्हें पता है हड़ताल चल रही है, हां भाई साहब पता है लेकिन मेरे घर में छोटा सा बच्चा है जो बिना मॉं का है कृप्या थोड़ा सा दूध दे दीजिए आपकी बड़ी मेहरबानी होगी। अरे नहीं भाई दूध नहीं दे पाऐंगे यह लड़ाई हमारी नहीं सबकी है जैसे आप परेशान हो रहे है वैसे ही इस केन्द्र सरकार को परेशान होना पड़ेगा तब समझ आएगा। हम यहां कोई कहानी या किस्सा नहीं बल्कि वह हकीकत बयां कर रहे है जो इन दिनों तीन दिनी हड़ताल से हालात निर्मित हुए है।


खाद्य सुरक्षा अधिनियम कानून को लेकर देश व्यापी हड़ताल ने आम-जनजीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है। आम नागरिकों के जीवन से खिलवाड़ होना यह कानून अपने आप में दर्शा रहा है। जहां एक बाप अपने बेटे को दूध के लिए तरसते देखा गया। सनद रहे कि यहां सांची या किसी भी दूसरी डेयरी का बंद पैकेट दूध भी नहीं आता। हालात यह रहे कि अस्पतालों में मरीजों को भी दूध नहीं दिया जा सका।

आखिर ऐसे कानून से किसका भला होगा यहां तो स्वयं केन्द्र सरकार के वे नुमांईदे ही बता पाऐंगे। जो इस कानून को लागू करने के पक्ष में है। लेकिन जनता से बढ़कर कुछ नहीं होता यही कारण है कि शिवपुरी अंचल में एक दिन में ही लगभग 17 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ। वहीं व्यापारी, व्यवसाई व आमजन ने भी जमकर अपनी भड़ास केन्द्र सरकसर के ऊपर निकाली। देखा जाए तो तीन दिनी हड़ताल को हर वर्ग का समर्थन प्राप्त हुआ। निश्चित रूप ये यह काला कानून लागू नहीं होना चाहिए अन्यथा इसके कई गंभीर परिणाम सामने आऐंगे।

केन्द्र सरकार द्वारा लागू किए जाने वाले खाद्य सुरक्षा अधिनियम कानून का विरोध संपूर्ण देश भर में हो रहा है। यही कारण है कि इस कानून का विरोध करने वाले व्यापारी व व्यावसाईयों ने इसे काले कानून की संज्ञा दी है। कुछ लोगों का तो कहना है कि इस कानून के लागू होने से इंस्पेक्टर राज चलने लगेगा। केन्द्र सरकार द्वारा लागू किए जाने वाले इस खाद्य सुरक्षा अधिनियम के विरोध में आयोजित प्रदर्शन स्थल पर प्रेम स्वीट्स के संचालक राकेश जैन का कहना है कि यह कानून शिवपुरीवासी ही नहीं बल्कि संपूर्ण देशवासियों को गुलामी की जंजीरों में जकड़ेगा। केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने बड़ी-बड़ी कंपनियों में अपनी भागीदारी व हिस्सेदारी कर इस कानून को लागू करने पर विचार करके उस मानसिका का परिचय दिया है जब पूर्व में अंग्रेजों का भारत देश गुलाम था अब भारत के यही नागरिक इन बड़े-बड़े मॉल  में सामान बेचने वालों के आधीन हो जाऐंगे और इससे इंस्पेक्टर राज भी चलेगा। आए दिन भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा।

इस मौके पर व्यापारी संघ के अध्यक्ष भरत अग्रवाल का कहना था कि खाद्य सुरक्षा कानून पूरे देश की कमर तोड़ देगा इस कानून के लागू होने से गरीब परिवार तो जैसे मर ही जाऐंगे। आज तो वह अपने परिवार का पालन पोषण कर लेता है लेकिन इस कानून के लागू होने से वह अपनी दिनचर्या को कैसे व्यवस्थित कर सकेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। कार्यक्रम में अन्य व्यापारियों ने भी अपनी आवाज बुलंद करते हुए जमकर केन्द्र सरकार को कोसा और तीखे बाण छोड़कर इस कानून का विरोध किया। खाद्य सुरक्षा कानून को लेकर बंद का असर संपूर्ण जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश और देश भर में देखने को मिला।

जहां लोग खाद्यान्न वस्तुओं के साथ-साथ गृहस्थी के सामान को लेने के लिए इधर-उधर भटकते नजर आए। सुबह-सुबह चाय-नाश्ता के लिए लगने वाले ठेले भी नजर नहीं आए। वहीं मण्डी प्रांगण में भी ना के बराबर ही काम हुआ। व्यापारियों के संगठन ने पूरे नगर में भ्रमण करते हुए जो-जो प्रतिष्ठान खुले हुए थे। उन्हें आग्रह पूर्वक बंद कराया। तीन दिन की इस हड़ताल का प्रभाव सभी वर्गों पर पड़ा है। जहां छोटे-छोटे बच्चों के माता-पिता को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा। स्कूली बच्चों को टॉफी नहीं मिली तो काम करने वाले मजदूरों को नाश्ता व भोजन के लिए तरसते देखा गया। करोड़ों रूपये के कारोबार को प्रभावित करने वाले इस कानून का विरोध दर्ज आवश्यक भी है तभी केन्द्र सरकार की समझा आएगा कि ये भारत देश संस्कृति का देश है यहां इंसानियत सबसे बड़ा काम है। आज विभिन्न संगठनों की एकता से यह प्रदर्शित होता नजर आ रहा है कि इस कानून को लागू नहीं किया जा सकता फिर भी आने वाले समय का फैसला गर्त में छिपा है।

खुलेआम मिली शराब, ब्लेक में बिका दूध, 48 रूपये किलो

ऐसी हड़ताल शिवपुरीवासियों को पहली बार देखने को मिली। जब स्थानीय शिवपुरीवासियेंा को न केवल दूध जो 20-21 रूपये प्रति किलो मिलता था आज हड़ताल होने के कारण इसके भाव दोगुने हो गए। शिवपुरी निवासी सत्येन्द्र उपाध्याय ने बताया कि हमारे यहां तो रोज ही दूध वाला देने आता है लेकिन हड़ताल के कारण वह नहीं आ रहा तो जब मैं यहां-वहां दूध तलाशने पहुंचा तो मुझे दोगुने भाव पर दूध मिला जहां मैंने 48 रूपये प्रति किलो दूध लिया, वह भी ठीक नहीं था।

मजदूरी करने वाले राकेश और बहादुर का कहना है कि वह रोज घर से काम पर जाने के लिए निकलते थे तो बाजार में नाश्ता करके काम करते थे लेकिन आज दो दिन हो गए हड़ताल के कारण नाश्ते की दुकानें भी नहीं खुली और होटल भी बंद है तो हमें भूखे पेट ही काम करना पड़ रहा है। किराने की दुकान चलाने वाले अशोक यादव कहते है कि हमारी दुकान हमें रोज 400 से 500 रूपये की आमदनी दे देती थी लेकिन आज दो दिन हो गए दुकान से एक धेला भी नहीं कमाया। जो कानून दूसरों लोगों को इस तरह की परेशानियों दे। ऐसे कानून की क्या जरूरत। ऐसे ही अमर, नरेश, दीवान, मानसिंह, रामरतन, कल्लू, चरण सिंह और अरविन्द यह वे नागरिक है जो प्रतिदिन घर में उपयोग होने वाला सामान लेकर घर-परिवार चलाते थे आज पूरे बाजार में तेल, दाल, चावल, शक्कर, आटा मैदा, चायपत्ती, हल्दी, धनिया, मिर्च पावडर, कचौड़ी, समौसा, पकौड़ी, ब्रेड टोस्ट, पेट्रीज, दूध पावडर, ब्रेड पकौड़ा, दही, दूध, घी, मावा, चक्का, छांछ, जूस, गेहॅूंू, चना व अन्य दालों सहित कोल्ड ड्रिंक्स की बिक्री पूर्णत: बंद रही। यह सब सामग्री न मिलने से इसी तरह हजारों लोगों की दिनचर्या में परिवर्तन आया और जैसे-तैसे करके यह लोग अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे है।

BLP विधायकों ने भी किया हड़ताल का समर्थन 


खाद्य सुरक्षा कानून अधिनियम को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन में शिवपुरी विधायक माखन लाल राठौर व पोहरी विधायक प्रहलाद भारती भी पहुंचे। जहां इन विधायकों ने भी आमजन की पीड़ा को समझा और ऐसे कानून का विरोध करते हुए व्यापारियों का समर्थन किया। क्योंकि  एक जनसेवक के नाते विधायकों का भी दायित्व है कि वह नगर के हर नागरिक का ख्याल रखें। इसीलिए सुबह ही शिवपुरी विधायक माखन लाल राठौर विरोध प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे और व्यापारियों की आवाज को प्रदेश और केन्द्र सरकार तक पहुंचाने की बात कही। वहीं कुछ समय बाद पोहरी विधायक प्रहलाद भारती भी व्यापारियों के बीच पहुंचे और व्यापारियों को आश्वस्त किया कि वह भी किसी भी प्रकार से इस प्रकार के कानून को लागू नहीं होने देंगे जो आम जनजीवन से खिलवाड़ करे। विधायकों के मिले समर्थन से व्यापारियों में भी उत्साह है निश्चित रूप से संभावना जताई जा रही है कि इस विरोध प्रदर्शन का असर केन्द्र सरकार पर भी होगा।

क्या कहते है लोग
रशीद खान
हमारे घर में दूध, चाय, पत्ती नहीं है तो हम कैसे चाय पीऐंगे, जबकि हमारी शुरूआत ही चाय से होती है ऐसे कानून को लागू करने की क्या आवश्यकता जो दूसरों को दु:ख दर्द और परेशानी दें। ऐसी सरकार को तो हटा देना चाहिए।
रशीद खान
जागरूक नागरिक
निवासी पुरानी शिवपुरी



अनिल पाराशर
हम विरोध करते है ऐसे कानून की जो दूसरों के जीवन से खिलवाड़ करें, खाद्य सुरक्षा कानून को लेकर जो भ्रांतियां सामने आ रही है उससे आभास होता है कि इसके परिणाम भी गंभीर नजर आऐंगे। इस कानून को लागू नहीं किया जाना चाहिए।
अनिल पाराशरइन्कम टैक्स अभिकर्ता
विष्णु मंदिर शिवपुरी

कुं.श्रद्धा काले
मैं नहीं समझती कि इस भारत देश में ऐसे किसी कानून को लागू किया जाए जो स्वयं का लाभ दर्शााये और दूसरों को नुकसान पहुंचाए। व्यापारियों की हड़ताल भी सही है और खाद्य सुरक्षा अधिनियम कानून का विरोध हर तरफ नजर आ रहा है इसे लागू नहीं बल्कि ऐसे कानून को तो हटा देना चाहिए, मैं अपना पूरा समर्थन इस हड़ताल को देती हॅंू।

कुं. श्रद्धा काले
छात्रा, बी.ए.द्वितीय वर्ष
निवासी वीर सावरकर कॉलोनी, शिवपुरी


 यह कानून भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा, राष्ट्रीय भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति हमेशा से भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध रही है अभी तो हमारा संघर्ष शिवपुरी में फैल रहे भ्रष्टाचार को दूर करने का था लेकिन यदि यह कानून लागू होता है तो हमारी जिम्मेदारियां बढ़ेंगी और फिर यहां होने वाले भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए समिति द्वारा आन्दोलन छेड़ा जाएगा। इसलिए यह कानून लागू नहीं किया जाना चाहिए अन्यथा गंभीर परिणाम भी सामने आऐंगे।
अशोक सम्राट
अध्यक्ष: राष्ट्रीय भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति शिवपुरी
राकेश डागौर
हम तो इतना जानते है कि जनता के दर्द को छोड़ उस पर बोझ डाले ऐसी सरकार का फायदा क्या, इन दिनों हो रही हड़ताल से तो ऐसा ही प्रतीत हो रहा है कि यह हड़ताल आम जन की कमर तोड़ेगी और आज जब यह हालात है तो आगे और ना जाने कैसे हालातों का सामना करना पड़ेगा। इसका अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है। यह कानून लागू नहीं होना चाहिए।
राकेश डागौर
जागरूक नागरिक पुरानी शिवपुरी



फोटो-प्रियंका अग्रवाल

देश भर में भ्रष्टाचार की जड़े मजबूत हो चुकी है और इस खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लागू होने से जो भ्रष्टाचार फैलेगा तो इसका आंकलन करना मुश्किल होगा ऐसे में इस कानून की आवश्यकता है क्या, आज कई जगह गरीब अपना भरण पोषण जैसे-तैसे कर भी लेता है लेकिन यह कानून लागू हुआ तो उसे दो वक्त के भेाजन की व्यवस्था करने में पूरा दिन लग जाएगा फिर भी उसे भोजन नसीब नहीं हो पाएगा।
प्रियंका अग्रवाल
छात्रा
बी.ए.द्वितीय वर्ष

 खाद्य सुरक्षा कानून से ऐसा लगेगा जैसे हम फिर से कैद हो रहे है क्योकि पहले जहां अंग्रेजों के गुलाम थे तो अब इस कानून के लागू होने से बड़ी-बड़ी मॉल वाले ही छोटे-छोटे दुकानदारों पर अपना दबाब बनाऐेंगे और गली-कुचों में चलने वाली दुकानें तो बंद ही हो जाऐंगी। जो कानून आमजन से खिलवाड़ करें ऐसे कानून की क्या आवश्यकता।
राजकुमार शर्मा राजू
जागरूक नागरिक
निवासी विष्णु मंदिर के पीछे शिवपुरी