जिला-स्तर पर अधिकारियों तथा कर्मचारियों की स्थानांतरण नीति-2012-13 मंजूर

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज भोपाल मैं सम्पन्न मंत्रि-परिषद की बैठक में राज्य एवं जिला-स्तर पर अधिकारियों तथा कर्मचारियों की स्थानांतरण नीति-2012-13 को मंजूरी दी गई। नीति के तहत एक मई से 15 जून तक स्थानांतरण हो सकेंगे।
स्थानांतरण नीति के अनेक प्रावधान पिछले वर्ष की नीति के अनुसार ही हैं। नये प्रावधानों में यह शामिल है कि गृह तहसीलों में पदस्थ राजस्व निरीक्षकों तथा पटवारियों का स्थानांतरण कर उन्हें उसी जिले विशेष की तहसीलों में पदस्थ किया जायेगा। स्थानांतरण के लिये पद/संवर्ग में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या के आधार पर अधिकतम स्थानांतरण का कोई बंधन नहीं होगा।

नीति में प्रावधान किया गया है कि तबादला आदेश जारी होने के एक सप्ताह के भीतर संबंधित अधिकारी/कर्मचारी को कार्य मुक्त किया जाना अनिवार्य होगा। स्थानांतरण आदेश जारी करने वाला अधिकारी लिखित में कार्यमुक्त होने की अवधि को विशेष परिस्थितियों में 10 दिन तक बढ़ा सकेगा। ऐसी बढ़ी हुई अवधि तक ही स्थानांतरित व्यक्ति को पूर्व पद-स्थापना पर रोका जा सकेगा।

कार्य मुक्ति के संबंध में यह प्रावधान किया गया है कि एक सप्ताह की सामान्य समयावधि अथवा बढ़ी हुई समयावधि बीत जाने पर सक्षम प्राधिकारी या उससे वरिष्ठ स्तर का अधिकारी स्थानांतरित अधिकारी-कर्मचारी को कार्य मुक्त करेगा। इस अवधि में ऐसा नहीं होने पर उसे एक-तरफा कार्य मुक्त किया जायेगा। एक-तरफा कार्य मुक्त करने की तिथि से स्थानांतरण आदेश क्रियान्वित होना माना जायेगा। वेतन आहरण पूर्व पदस्थापना से बंद हो जायेगा और कार्य मुक्त होने के बाद स्थानांतरित व्यक्ति का वेतन नवीन पद-स्थापना से ही आहरित होगा। उसे अवकाश की स्वीकृति भी नये पद-स्थापना स्थान से ही मिलेगी। स्थानांतरण आदेश न मानने वाले पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी।

नीति के अंतर्गत सामान्यतः स्थानांतरण द्वारा रिक्त होने वाले पद की पूर्ति उसी पद के समकक्ष अधिकारी की पद-स्थापना से की जायेगी। नियमित अधिकारी/कर्मचारी का स्थानांतरण कर उस पद का प्रभार कनिष्ठ अधिकारी को नहीं दिया जायेगा।

समग्र सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम

मंत्रि-परिषद ने सामाजिक सुरक्षा संबंधी योजनाओं को एक छत्र के अंतर्गत लाने के उद्देश्य से ‘समग्र सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम’ संकल्प-37 को मंजूरी दी। वर्तमान में राज्य में श्रमिक वर्ग, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों, वृद्धजन, कन्याओं, विधवाओं, परित्यक्ताओं तथा निःशक्तजन के कल्याण से संबंधित विभिन्न योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। पिछले 5 वर्षों में आयोजित विभिन्न पंचायतों की अनुशंसाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा संबंधित प्रशासकीय विभागों के माध्यम से अनेक नई योजनाएँ प्रारंभ की गई हैं।

समग्र सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के माध्यम से राज्य शासन द्वारा संचालित योजनाओं की हितग्राहियों तक पहुँच को सहज और सरल बनाया गया है। इनके लक्षित परिणामों को भी अधिक प्रभावी किया गया है।

समग्र सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम लागू हो जाने पर शासन की सभी जन-कल्याणकारी योजनाओं यथा प्रसूति व्यय सहायता, प्रसूति अवकाश सहायता, चिकित्सा सहायता, छात्रवृत्ति, शिष्यवृत्ति एवं शिक्षा प्रोत्साहन, पेंशन, विवाह प्रोत्साहन, बीमा एवं अनुग्रह तथा अंत्येष्टि का लाभ आदि एक ही स्थान पर मिल सकेगा।

कार्यक्रम के लागू होने से विभिन्न विभागों द्वारा संचालित योजनाओं तथा उनके तहत दी जाने वाली सहायता की दरों का युक्तियुक्तकरण होगा। योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये संचालित नियम एवं प्रक्रिया सरल हो जायेगी। क्रियान्वयन में और अधिक पारदर्शिता आयेगी तथा कम्प्यूटरीकृत जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध हो सकेगी।

तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक बढ़ा

मंत्रि-परिषद ने तेंदूपत्ता संग्राहकों का पारिश्रमिक 650 रुपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 750 रुपये प्रति मानक बोरा करने का निर्णय लिया। वर्ष 2012 में 23 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का अनुमान है। संग्रहण-दर में वृद्धि से लगभग 23 करोड़ की अतिरिक्त राशि संग्राहकों को पारिश्रमिक के रूप में प्राप्त होगी।

उल्लेखनीय है कि तेंदूपत्ता व्यापार से अर्जित समस्त शुद्ध लाभ भी संग्राहकों को प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में दिया जाता है। प्रदेश में 1066 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों में तेंदूपत्ता संग्राहकों की संख्या लगभग 31 लाख है।

मनोरंजन कर से छूट

मंत्रि-परिषद ने संरक्षित क्षेत्रों (राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों) में पर्यटकों से संगृहीत प्रवेश-शुल्क पर मध्यप्रदेश विलासिता वस्तु, मनोरंजन, आमोद एवं विज्ञापन कर अधिनियम-2011 के अंतर्गत देय कर से भूतलक्षी प्रभाव से छूट देने का निर्णय लिया। इससे वन्य-प्राणियों के संरक्षण की दिशा में लाभ होगा और जनता में वन्य-प्राणियों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।

दमोह-कटनी मार्ग

मंत्रि-परिषद ने दमोह-कटनी मार्ग (राजमार्ग-14) को बीओटी (टोल) योजना में विकसित करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी। कुल 117.93 किलोमीटर लम्बे इस मार्ग के विकास पर 272 करोड़ 7 लाख रुपये की लागत आयेगी। इस मार्ग की कन्सेशन अवधि 30 वर्ष होगी, जिसके दौरान कन्सेशनायर निर्धारित दरों पर टोल वसूल करेगा। इस मार्ग पर टोल टैक्स से छूट नियमानुसार दी जायेगी।

मुख्यमंत्री ग्राम-सड़क योजना

मंत्रि-परिषद ने मुख्यमंत्री ग्राम-सड़क योजना में आवश्यकता अनुसार सभी आकार की पुल-पुलिया बनाकर गाँवों को ग्रेवल मार्ग से जोड़ने का निर्णय लिया। वर्तमान में इस योजना में 6 मीटर स्पान तक की पुल-पुलिया निर्माण का प्रावधान है।

यह भी निर्णय लिया गया कि प्रदेश के जिन जिलों में श्रमिक उपलब्धता कम है, वहाँ योजना अवधि में सड़कें और पुल-पुलिया का काम पूरा करने के उद्देश्य से पूर्ण न हो पाने वाले कार्य को निविदा पद्धति से ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पूर्ण करवाया जायेगा। इसके लिये आवश्यक अतिरिक्त राशि 1542 करोड़ 50 लाख की राशि ग्रामीण विकास विभाग को उपलब्ध करवाई जायेगी।

स्वेच्छानुदान राशि में वृद्धि

मंत्रि-परिषद ने वर्ष 2011-12 के लिये मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान की वार्षिक सीमा को 30 करोड़ से बढ़ाकर 37 करोड़ रुपये निर्धारित किये जाने का अनुमोदन दिया।

मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालक) (संशोधन) विधेयक-2012 पर विचार कर एक नवीन निजी विश्वविद्यालय टेक्नो ग्लोबल यूनिवर्सिटी सिरोंज, जिला विदिशा के संबंध में प्रस्तुत संशोधन विधेयक को विधानसभा में प्रस्तुत करने की अनुमति दी।