पंचायत सचिवों की नई ट्रांसफर नीति / new transfer policy of panchayat secretary

मध्यप्रदेश राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर ग्राम पंचायत सचिवों की तबादला नीति में बदलाव किया है। नये सिरे से तय नीति के मुताबिक जिले में कार्यरत पंचायत सचिव की कुल संख्या के अधिकतम 10 प्रतिशत तबादले ही हर साल किये जा सकेंगे। यह कार्रवाई 15 जून से 15 जुलाई तक की जायेगी।


नीति में यह प्रावधान भी है कि जिले में तय संख्या से ज्यादा तबादलों के लिये कलेक्टर का पूर्व अनुमोदन लेना होगा। लेकिन, यह तादाद 15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी। यह तबादला संबंधित सचिव के निवास वाली या सीमावर्ती पंचायत में नहीं किया जायेगा।

आपसी तबादले की स्थिति में दोनों सचिवों के लिखित आवेदन पर संबंधित जनपद पंचायत अध्यक्ष या मुख्य कार्यपालन अधिकारी की सिफारिश जरूरी होगी। इसके बाद जिला पंचायत की सामान्य प्रशासन समिति में निर्णय लेकर आदेश जारी किया जायेगा।

जिलों के भीतर ऐसे सभी तबादले जिला पंचायत की सामान्य प्रशासन समिति की पूरे कोरम वाली बैठक में अनुमोदन के बाद जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी करेंगे।

शिकायत पर हटाये सचिवों का तबादला पूर्व जगह पर नहीं

नीति में साफ किया गया है कि शिकायत के आधार पर किसी स्थान से हटाये गये सचिव को भविष्य में फिर कभी पूर्व पदस्थापना वाले स्थान पर पदस्थ नहीं किया जायेगा। यह प्रावधान आपसी तबादले के मामले में भी लागू होगा।

नई नीति में गंभीर बीमारियों कैंसर, हृदय, किडनी आदि के मामले में सक्षम चिकित्सक के प्रमाण-पत्र पर अन्य जिले में रिक्त पद पर तबादला करने का प्रावधान किया गया है। यह भी साफ किया गया है कि 40 प्रतिशत से ज्यादा नि:शक्तता वाले सचिवों का सामान्य तौर पर तबादला नहीं किया जायेगा। लेकिन, स्वेच्छा या शिकायत वाले ऐसे मामले में आवेदन पर ग्राम पंचायत की आपसी सहमति से रिक्त पद पर यह तबादला हो सकेगा।

विधवा, परित्यक्तता, नि:शक्तों को वरीयता

नये बदलाव में विधवा, परित्यक्ता और नि:शक्तों को तबादले को लेकर वरीयता दी गई है। इसी तरह विवाह के बाद किसी सचिव के आवेदन पर उसका तबादला पति-पत्नी के कार्य-स्थल के निकट की ग्राम पंचायत में रिक्त पद पर किया जा सकेगा।

अन्य प्रावधान

  1. अनुसूचित क्षेत्रों की पंचायत में न्यूनतम तीन वर्ष से सेवा के बाद ही तबादला।
  2. अनुसूचित क्षेत्र से गैर-अनुसूचित क्षेत्र की ग्राम-पंचायत में स्थानांतरित सचिव अन्य द्वारा वहाँ कार्य-भार संभालने के पूर्व भार-मुक्त नहीं होंगे।
  3. नक्सल और दस्यु प्रभावित क्षेत्र में तबादले के चलते पद खाली नहीं रहेगा।
  4. सचिव के रिश्तेदार का उसी पंचायत में सरपंच, उप-सरपंच या पंच चुने जाने पर वहाँ से उसका अनिवार्यत: अन्यत्र तबादला।
  5. तय अवधि के बाद शिकायत या प्रशासनिक आधार पर तबादला कलेक्टर की सिफारिश पर आयुक्त पंचायत के अनुमोदन के बाद।
  6. एक से दूसरे जिले में तबादला दोनों जिला पंचायत की सामान्य प्रशासन समिति की सिफारिश पर संभाग आयुक्त करेंगे। ऐसे सचिव की वरीयता स्थानांतरित किये जाने वाले जिले में कनिष्ठता की होगी।
  7. राज्य सरकार विशेष परिस्थिति में कभी भी तबादले कर सकेगी।
  8. तबादले के बाद कार्य-भार ग्रहण करने की अवधि सात दिन रहेगी।