अभिसंवर्धन का कवि सम्मेलन

शिवपुरी-अभिसंवर्धन समाज सेवी संस्था द्वारा लागातार छठवें वर्ष नूतन वर्ष के स्वागत में आयोजित किया गया कवि सम्मेलन भोर तक हजारों श्रोताओं को बांधने में सफल रहा।

मौसम में अचानक आए बदलाव के कारण हालांकि रात में ठंड काफी बढ़ गई थी, लेकिन इसके बावजूद श्रोता पूरी मस्ती में सराबोर कहे तथा ठहाका लगाते रहे। दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ संयोजक धैर्यवर्धन ने किया। कानपुर से पधारी कवियत्री श्रीमती भावना तिवारी ने मात शारदे ऐसा वर दे, चहुं दिस गूंजे जय कल्याणी के गायन के साथ मधुर स्वर में माता सरस्वती की भावपूर्ण स्तुति की इसके पूर्व स्थानीय बालिका तोषी गुप्ता नैनसी ने भी शास्त्रीय गायन एवं नृत्य प्रस्तुत कर देवि अर्चना की। 

भोपाल से आये राकेश वर्मा हैरत ने मस्त कर देने वाली पैरोड़ी होली कैसे खेलूं के कन्हाई, सूखी है नल की टोटियां के साथ आने वाले ग्रीष्म कालीन पेयजल संकट का चित्रण किया। उन्होंने राजनीति, केन्द्र सरकार, फिल्मी पर्दे की नायिकाओं के पहनावे एवं दैनिक घरेलू खट-पट को बहुत ही रोचक अंदाज में पढ़ा। अमीर खुसरों की जन्म स्थली से पधारे वीर रस के कवि लंकेश पटियालवी ने माहौल में जोश भरने का प्रयास किया। स्थानीय कोर्ट रोड़ पर संपन्न हुए इस कवि स्म्मेलन में नवरत्न कवि एवं कवियत्रियों की उपस्थिति थी परंतु कोटा से पधारे कुंअर जावेद एवं इटारसी के राजेन्द्र मालवीय ने सर्वाधिक वाह-वाही बटोरी। 
 
दोनों कवियों के सम्मान में श्रोताओं की तालियों रूकने का नाम नहीं ले रही थी। कार्यक्रम में स्थानीय कवि अरूण अपेक्षित ने भी कविता पाठ किया। लोकप्रिय गीतकार कुंअर जावेद ने कुरान का हवाला देते हुए कहा कि पैंगबर साहब तक ठंडी हवा के झोंके भेजने वाला भारत का जर्रा-जर्रा पूजनीय है। उन्होंने कहा कि मै शिवपुरी के मुसलमानों को यह याद दिलाने आया हूं कि हम 8-10 पीढ़ी पहले हिन्दू ही थे और  इस प्रकार हमारा खून का नाता है। उन्होंने उग्रवाद इस्लाम परस्ती का रूप देने वालों को जमकर आड़े हाथ लिया। कुंअर जावेद ने दूसरे दौर में उच्च कोटि का श्रंगार पढ़ते हुए कहा कि सुबह बनारस रक्खूं या फिर रखंू अवध की शाम क्या रक्खू तेरा नाम, तथा गीत अमर कर दे ऐसे अल्फाज कहां से लाऊं, जो तुमको भाता हो वैसा अंदाज कहां से लाऊं, सोच रहा हूं तुम जैसी मुुमताज कहां से लाऊं।