शिवपुरी कलेक्टर की कलेक्टरी फैल...!

लचर कार्यप्रणाली के कारण हुआ कई सवालों का जन्म
स्वतंत्र लेखनी-ललित मुदगल
 शिवपुरी. कलेक्टर राजकुमार पाठक के रिटार्यमेंट के पश्चात जिले की कमान का दायित्व युवा कलेक्टर ए.आर.जॉन किंग्सली को मिला। दक्षिण भारत की फिल्मों नायक से दिखने वाले इस युवा कलेक्टर ने जिले की प्रथम प्रशासनिक बैठक में जो तेवर दिखाये। उसे देखकर जिले की जनता को ऐसा प्रतीत हुआ कि प्रशासनिक ढांचे में कसावट अवश्य होगी।

मात्र 10 रूपये जनता से मांगने पर डाकिया पर कलेक्टर शिवपुरी ने कार्यवाही की एवं पदभार संभालने के पश्चात आज कोई आदिवासी की जमीन की बिक्री की परमीशन की स्वीकृति न होना वहीं एक भी बंदूक लायसेंस की स्वीकृति ना देना भी चर्चा का विषय बना रहा। इससे शिवपुरी की जनता को ऐसा लगा कि अब ये कलेक्टर साहब समाज के सबसे अंतिम आदमी के हितों के साथ-साथ न किसी के भी प्रभाव में आकर कोई गलत कार्य स्वयं ने नही किया है।
सिक्के के दो पहलू होते है एक पहलू यह कि जिले के जनमानस को दिखाई हो, दूसरा पहलू वह जो कलमवीरों को दिखता है। कलेक्टर महोदय कुछ सीधे सवाल आप से- आदिम जाति कल्याण विभाग के हटाए गए संयोजक एल.आर.मीणा ने अपनी करतूतों के माध्यम से कई अवैध नियुक्तियां कर डाली। जिसका परिणाम उन्हें विधानसभा में उठे प्रश्रों से भुगतना पड़ा। इनके इस अवैध नियुक्ति काण्ड को बार-बार मीडिया उठा रही थी जब आपने कार्यवाही के नाम पर केवल जांच ही बिठाई सीधे कार्यवाही क्यों नहीं की।

आदिवासी बालक व कन्या आश्रम सुभाषपुरा में छात्र संख्या 40 पर जहां दो शिक्षक पूर्व में तैनात थे वहीं 2 और अतिथि शिक्षक नियुक्त कर दिए गए। इसी प्रकार आदिवासी बालक आश्रम सुभाषपुरा में ही छात्र संख्या 100 की उपस्थिति दशाई जबकि उपस्थित 20 से 30 पाए गए यहां भी 3 शिक्षक पूर्व से तैनात थे वहीं दो अतिथि शिक्षक और नियुक्त किए गए। आदिवासी कन्या आश्रम सुभाषपुरा में छात्र संख्या 40 उपस्थित 15 यहां 2 पूर्व में पदस्थ 3 और अतिथि शिक्षक नियुक्त किए, आदिवासी बालक आश्रम डबिया में छात्र संख्या 50 उपस्थिति नगण्य यहां भी पूर्व में एक शिक्षक पदस्थ था जबकि 2 और अतिथि शिक्षक नियुक्त किए गए। आदिवासी बालक आश्रम खैरोना में छात्र संख्या 50 उपस्थिति 5 की है यहां पूर्व में एक शिक्षक पदस्थ है जबकि दो अतिथि शिक्षक और पदस्थ किए गए।

इसी प्रकार आदिवासी बालक आश्रम कोटा यहा छात्र संख्या 50 उपस्थित 15 और 1 शिक्षक पूर्व में पदस्थ था जबकि 2 और अतिथि शिक्षक पदस्थ किए गए। आदिवासी बालक आश्रम पीपलखेड़ा यहां छात्र संख्या 50 जबकि उपस्थित 15 यहां भी पूर्व में एक शिक्षक पदस्थ तो वहीं दो और अतिथि शिक्षकों को नियुक्त किया गया। आदिवासी कन्या आश्रम लुकवासा में छात्र संख्या 40 उपस्थित 10 यहां भी दो शिक्षक पूर्व से पदस्थ है जबकि दो और अतिथि शिक्षकों को तैनात किया गया। आदिवासी बालक आश्रम दुहानी में छात्र संख्या 40 उपस्थित 5 यहां भी पूर्व में 3 शिक्षक पदस्थ जबकि दो अन्य अतिथि शिक्षक नियुक्त किए गए। आदिवासी बालक आश्रम अंग्रेजी माध्यम शिवपुरी में छात्र संख्या 50 उपस्थित 25 जबकि यहंा भी 3 शिक्षक पूर्व में पदस्थ है और तीन अन्य अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई। ये नियुक्तियां द.भास्कर.कॉम ने पूर्व में भी प्रकाशित की थी। जब जिला संयोजक मीणा ने इन नियुक्तियों की जानकारी विधानसभा को गलत भेज दी जब आपने इन संविदा शिक्षकों से रूबरू होकर मीणा पर तत्काल कार्यवाही क्यों नहीं की।

कलेक्टर महोदय आपकी लचर कार्यप्रणाली उस समय सामने आई जब आपकी क्लास प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी ले डाली। यहां मुख्यमंत्री ने जिला कलेक्टरों के द्वारा योजनाओं की समीक्षा के दौरान शिवपुरी में भू-अर्जन के अवार्ड पारित होने के बाबजूद मुआवजा नहीं मिलने का मामला सामने आया। जिस पर मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लिया और जांच कराकर उत्तरदायित्व निर्धारित करने के आदेश दिए। इस कार्यप्रणाली से भी आपके कार्यों पर ऊंगली उठी। क्या कारण रहे कि समय पर आपने मुआवजा क्यों नहीं बांटा।
राशन वितरण एवं घोटालें में भी  आपकी कार्यवाही आमजन  व मीडियाकर्मीयों की समझ से परे रही। जहां पोहरी व पिछोर में राशन के इतने बड़े घोटाले समय-समय पर उजागर होते रहे। हमेशा की तरह जांच की बात अवश्य कलेक्टर साहब ने कही है कि वह हर मामले को समझकर जांच कराऐंगे और जांच के निष्कर्ष के बाद कड़ी कार्यवाही करेंगे। तत्काल आपने गरीबों के मुंह के निवालों को खाने वालों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर करवाकर जेल क्यों नहीं भेजा। जिससे और कई राशन माफिया सबक लेते।

आपके कार्यों पर उंगली तो तब भी उठी थी जब शहर के एक कोने में पहुंचकर हिटैची और प्रशासनिक अमले ने एसडीएम की निगरानी में फक्कड़ कॉलोनी को तहस नहस कर दिया। आखिर इन गरीबों का क्या कसूर था जो शहर से दूर छोर झोंपड़ों में रहने वाले की खुशी आपके मन को नहीं भाई जबकि अतिक्रमण की खुली नजीर तो पूरे शहर भर में कहीं भी देखी जा सकती है। ऐसे में इस तरह की कार्यवाही करना आपकी कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा करती है।
आपके कार्यकाल में पहली बार शिवपुरी के इतिहास में आम जनता के आक्रोश का सामना भी आप ना कर सके और जनता पर हमला करने के आदेश देकर शासकीय नियमों की धज्जियां भी उड़ाई गई। आखिर क्या कसूर था उन गरीब परिवारों का जिन्होंने बमुश्किल दो वक्त की रोटी के साथ अपना आशियाना बनाया परन्तु यह खुशी जिला प्रशासन बर्दाश्त ना कर सका और उनके झोंपड़े उजाड़ दिए। अब उनके झोंपड़े उजड़े तो आलीशान कोठियों में रहने वालों पर क्यों कार्यवाही नहीं की गई, बस इसी को लेकर इन गरीबों ने अपनी आवाज बुलंद की और उन्हें दबाने का प्रयास जिला प्रशासन द्वारा किया गया। जिसमें कई बेगुनाहों को जेल की हवालात भी खानी पड़ी। आपके दरबार में क्या गरीब और अमीरों में फर्क है?

आखिर इन सवालों के जन्म से ज्ञात होता है कि कलेक्टर शिवपुरी की कार्यप्रणाली से शिवपुरी कलेक्टर की यह कलेक्टरगिरी फैल है, क्योंकि इन्हीं की लचर कार्यप्रणाली के कारण यहां कई सवालों का जन्म हुआ जिनका जबाब ना तो जिला प्रशासन दे पाएगा और ना ही आवाम को कहीं कुछ नजर आएगा। इसलिए यहां से कहीं अन्यत्र पहुंचा जाए तो शायद इस समस्या का हल निकाला जा सकता है। अंदर के सूत्र तो यही बताते है कि अपने कार्यकाल के दौरान इतने सारे कारनामों को होते देख कलेक्टर साहब को शिवपुरी रास नहीं आ रही है और वह शीघ्र अतिशीघ्र अपना बोरिया बिस्तर बांधकर जाने की फिराक में है।