अजय वर्मा
भोपाल. मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के प्रावधानों पर पुनर्विचार का अनुरोध किया है। श्री चौहान ने इस संबंध में पत्र भेज कर प्रधानमंत्री से कहा है कि नए अधिनियम के नियमों और विनियमों में सम्मिलित कई प्रावधान अति अव्यवहारिक हैं जिनके क्रियान्वयन से छोटे खाद्य व्यवसायियों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और वे बेरोजगार होने पर मजबूर हो जायेंगे।
श्री चौहान ने कहा कि अधिनियम तथा इसके अंतर्गत प्रसारित ऐसे नियमों और प्रावधानों पर, जिनका संबंध छोटे खाद्य व्यवसायियों से है, एक निश्चित समयावधि में पुनर्विचार किया जाए और आवश्यक संशोधन किए जाएं। उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि जब तक पुनर्विचार की कार्रवाई पूरी नहीं करा ली जाती, तब तक इन प्रावधानों के क्रियान्वयन पर रोक लगाई जाए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपने पत्र में अधिनियम के द्वारा आमजन के लिए स्वस्थ और सुरक्षित खाद्य पदार्थ की उपलब्धता की व्यवस्था व्यवहारिकता की परिधि के भीतर रखकर कराने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है कि केन्द्र सरकार की मंशा आमजन को स्वस्थ, सुरक्षित खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने की है, न कि छोटे व्यवसायियों को बेरोजगार करने की।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपने पत्र में अधिनियम के द्वारा आमजन के लिए स्वस्थ और सुरक्षित खाद्य पदार्थ की उपलब्धता की व्यवस्था व्यवहारिकता की परिधि के भीतर रखकर कराने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है कि केन्द्र सरकार की मंशा आमजन को स्वस्थ, सुरक्षित खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने की है, न कि छोटे व्यवसायियों को बेरोजगार करने की।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस संबंध में अधिनियम के अव्यवहारिक प्रावधानों के प्रति प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट करते हुए बताया है कि सड़क पर हाथ ठेला इत्यादि लगाकर जीवन-यापन करने वाले छोटे व्यवसायियों पर भी अधिनियम के प्रावधान के अनुसार पंजीयन नहीं कराने की स्थिति में दो लाख रुपये का जुर्माना किया जा सकता है। ऐसे प्रावधानों से हाथ ठेले वाले, कचौरी-समोसा, पोहा आदि से लेकर मिठाई, नमकीन, किराना, मसाला, कन्फेक्शनरी, दूध व्यवसायियों जैसे छोटे-छोटे खाद्य व्यवसायियों को भविष्य में अपना कारोबार जारी रखना मुश्किल हो जाएगा।
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