शिवपुरी-बहू जो पूरे घर का ख्याल रखती है और वही बहू अपनी प्रतिभा से न केवल घर का बल्कि परिवार, समाज और शहर सहित देश का नाम भी रोशन करती है। कुछ ऐसा ही किया है कि शिवपुरी में स्थित ऋषीश्वर कॉलोनी निवासी गंगाचल गैस एजेंसी के संचालक राकेश शर्मा की अनुज वधू भारती शर्मा पति राघवेन्द्र शर्मा ने, जिन्होनें अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए परिवार वालों का साथ लेकर खूब मेहनत की और जो सपना भारती ने देखा तो वह सच करके दिखा दिया।
श्रीमती भारती ने अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करते हुए लगातार चार सालों से रसायन विषय में शोध करते हुए सागर के केन्द्रीय विश्वविद्यालय डॉ.हरिसिंह गौर से डॉक्टर की उपाधि को पाया है।
अपनी इस उपलब्धि पर संक्षिप्त रूप से बताते हुए श्रीमती भारती ने बताया कि मेरी शुरू से ही रसायन विषय में रूचि थी और यही कारण रहा है कि अपनी इस शिक्षा को मैंने अपने ससुरालियों को बताया जिस पर मेरे ज्येष्ठ राकेश शर्मा का विशेष सहयोग मुझे प्राप्त हुआ और मैंने घर से बाहर निकलकर सागर में रहते हुए चार साल के रसायन विभाग में शोध करते हुए (पीएचडी) डॉक्टरी की उपाधि पाई।
अपनी इस उपलब्धि पर संक्षिप्त रूप से बताते हुए श्रीमती भारती ने बताया कि मेरी शुरू से ही रसायन विषय में रूचि थी और यही कारण रहा है कि अपनी इस शिक्षा को मैंने अपने ससुरालियों को बताया जिस पर मेरे ज्येष्ठ राकेश शर्मा का विशेष सहयोग मुझे प्राप्त हुआ और मैंने घर से बाहर निकलकर सागर में रहते हुए चार साल के रसायन विभाग में शोध करते हुए (पीएचडी) डॉक्टरी की उपाधि पाई।
श्रीमती भारती ने बताया कि उन्होनें इस उपलब्धि के लिए शोध के रूप में ब्रडेलिया कैलेबिंशिया(पीला हींगरोज), वर्टीनोडिश(काली झिरी) एवं भ्रूनिया लसेरा(जंगली मूली) के पौधों को लेकर अपना शो किया। जिसमें मेरे मार्गदर्शक प्रो. आर.एन.यादव रसायन विभाग रहे जिनके मार्गदर्शन में अपने शोध को आगे बढ़ाया। इस शोध से पहले हमने बैक्टीरिया व वायरस पर कई परीक्षण किए और इससे कई बीमारियों पर सफलता पाई।
इस शोध में लगातार चार वर्षों के बाद मुझे परीक्षकों के प्रतिवेदन पर विचार करते हुए डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी से संबंधित अध्यादेश क्रमांक-34 के परिप्रेक्ष्य में मप्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 तदुपरांत केन्द्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 की धारा 11(3) के अंतर्गत कुलपति ने कार्य परिषद की शक्तियों का प्रयोग करते हुए डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की उपाधि प्रदान की। श्रीमती भारती ने अपने शोध के बारे में कई शोध भी लिखे जो चाईना के ग्वाजाऊ व भारत में कलकत्ता, कोयम्बटूर, इन्दौर, उदयपुर आदि जगहों पर पढ़़े जा सकते है। श्रीमती भारती डॉक्टर ऑफ फिलसफी की उपाधि मिलने पर परिजनों, मित्रों व सहयोगियों ने हर्ष व्यक्त करते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की है।
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