कोलारस जनपद में कागजों पर लिखी जा रही है विकास की इबारत

शिवपुरी, कोलारस. केन्द्र सरकार द्वारा शुरू की गई निर्धन गरीब दलितों के हितार्थ शुरू की गई इंदिरा आवास योजना में भ्रष्टाचार का घुन लग जाने के बाद कोलारस जनपद पंचायत क्षेत्र में शुरू की गई मुख्यमंत्री आवासा योजना में भी सरकारी मशीनरी से लेकर पंचायतों के तथाकथित सरपंच-सचिवों ने भ्रष्टाचार करने की तैयारी कर रखी है। यदि जिला प्रशासन में बैठे आला अधिकारियों ने कोलारस जनपद की ओर ध्यान नहीं दिया तो इंदिरा आवास की तरह मुख्यमंत्री आवास योजना भी कागजी मकडज़ाल में उलझकर रह जाएगी।


 कोलारस जनपद पंचायत क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में संचालित इंदिरा आवास योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना, कपिलधारा, महात्मागांधी रोजगार गारंटी आदि योजनाओं के योजनाओं के जमीनी क्रियान्वयन एवं विकास कार्यो की मानीटरिंग के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार के पैनल के अलावा जिला स्तरीय एवं ब्लाक स्तरीय पैनल स्थापित किए गए हैं। यही नहीं समय-समय पर आडिट का कार्य भी करवाया जाता है। लेकिन यह सब दावे कोलारस जनपद पंचायत की ग्राम पंचायतों में हवा हवाई सावित हो रहे हैं। कोलारस विधानसभा क्षेत्र में इन योजनाओं का क्रियान्वयन एवं ग्रामीणों को लाभ दिलाना महज कागज के फूलों को सजाना है। यहां गौरतलव है कि कोलारस जनपद की अधिकांश पंचायतों में विकास की इबारत मात्र कागज पर लिखी जा रही है।

इन सभी योजनाओं के वास्तविक कर्ताधर्ता सरपंच-सचिव हैं। इसके प्रति असली जबावदेही इन्ही की बनती है लेकिन कोलारस जनपद पंचायत की लगभग दो दर्जन ग्राम पंचायतों में परिणाम ठीक इसके विपरीत निकले और बास्तविकता उलट गई। हद तो तब हो गई जब सरपंच और सचिव शासन एवं प्रशासनिक मशीनरी पर हावी हो गए। कोलारस जनपद की करीब दो दर्जन पंचायतों में आमजन का सबसे बड़ा रोना सरपंच और सचिव द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार को लेकर है। हालत यह हैं कि इनके खिलाफ शिकायतें किए जाने के बावजूद कार्रवाई जांच के नाम पर ठंडे बस्ते में डली हुई है।
 
चहेतों को दिए जा रहे हैं मुख्यमंत्री आवास 
कोलारस जनपद में अंधा बांटे रेबड़ी-चीन्ह-चीन्हकर दे वाली कहावत के चरितार्थ होने से अपनों को उपकृत किए जाने के तहत आवास आवंटित किए जाते हैं चाहे वह आवास की बुनियाद ही न खोदे। कोलारस जनपद में वर्ष 2010-11 हेतु इंदिरा आवास योजना के तहत 114 आवास स्वीकृत किए गए थे। प्रति आवास 45 हजार रूपए प्रति हितग्राही दिए जाते हैं। परन्तु दुखत एवं हैरानी भरी बात यह है कि 114 आवासों में से 14 आवास भी बास्तविकता के धरातल पर नहीं बनाए जा सके हैं। एक सैकड़ा से अधिक आवासों के लिए आवंटित लगभग 50 लाख रूपए का बंदरवॉट कर दिया गया। कोलारस जनपद क्षेत्र के हरिजन आदिवासी एवं गरीब लोगों के सिर पर आज भी छत की छाया नहीं है। गांवों में आदिवासी आज भी घास-फूस के कमजोर टपरों में रहने को मजबूर हैं। जबकि हर वर्ष ही केन्द्र सरकार इदिरा आवास योजना के तहत कोलारस जनपद को आधा करोड़ रूपए देती चली आ रही है। जिस तरह इंदिरा अवास योजना का कागजीकरणी कर कागज पर आवास निर्माण दर्शाए जा रहे हैं कुछ ऐसा ही हाल मुख्यमंत्री आवास योजना का होने वाला है। यहां बताना लाजिमी होगा कि मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत कोलारस जनपद के लिए इस बार 80 आवास स्वीकृत किए गए हैं। प्रति आवास 70 हजार रूपए दिए जाने का प्रावधान है। जिसमें से 35 प्रतिशत हितग्राही को अनुदान के रूप में दिए जाते हैं। कोलारस की अधिकांश पंचायतें ऐसी हैं जहां इंदिरा आवास नहीं बने हैं और उन्हीं पंचायतों को कमीशन के लालच में मुख्यमंत्री आवास स्वीकृत किए गए हैं।
 
हितग्राहियों के साथ हो रहा है छलाबा 
 इंदिरा आवास योजना में हितग्राहियों के साथ छलाबा करने वाले सरपंच-सचिव एवं सरकारी मशीनरी अब सीएम आवास योजना में भी छलाबा करने का षडय़ंत्र रच रही है। ग्राम पंचायत गणेशखेड़ा में वर्ष 2010-11 में सात कुटीर आवंटित की गईं परन्तु पंचायत क्षेत्र में सरपंच-सचिव की बदनियती के चलते एक भी कुटीर का निर्माण हितग्राही नहीं कर सका। गांव की सरकार के मुखियाओं की मनमानी एवं भ्रष्ट नीतियों के चलते ग्राम पंचायत बैढ़ारी में गरीब आदिवासियों को कुटीर न देकर ऐसे लोगों के नाम कुटीरें दी जिनके पहले से ही मकान बने हैं। पड़ोरा सड़क में पिछले साल दो कुटीर दी गईं मगर एक भी नहीं बनी। राई पंचायत के बूढ़ी राई गांव में दो कुटीरों को मंजूर किया पर कमीशनखोरी के चलते कुटीर जमीन पर नहीं बन सकीं। सरजापुर पंचायत में सचिव की मनमानी से दोनों कुटीरें कागज पर बन गईं।
 
लेवा पंचायत में 2011 में चार कुटीरों को स्वीकृत किया परन्तु सरपंच-सचिव की भ्रष्ट कारगुजारियों से एक भी कुटीर का निर्माण नहीं हो सका। आखिर सीईओ, पंचायत इंस्पैक्टर से लेकर सबइंजीनियर किस बात की नौकरी कर रहे हैं। लेबा पंचायत में सरकारी योजनाओं की सबसे अधिक दुर्गति हो रही है। मोहरा पंचायत में रोजगार गारंटी योजना से लेकर इंदिरा आवास योजना का बुरा हाल है। मोहरा में सरपंच महिला है लेकिन सरकारी कामों में उसके पति की तूती बोलती है।  ग्राम पंचायत उन्हाई, साखनौर, टीला, अटामानपुर, देहरोद, धुंआ, रूहानी, खैरोना, बेंहटा, कुमरौआ, रांछी बिजरावन, गुढ़ा, दीगोदी के सेजवाया में कुटीरें मंजूर हुई लेकिन सरपंच-सचिव की हिटलरशाही के चलते हितग्राहियों को छला गया। अब मुख्यमंत्री आवास योजना में भी तथाकथित चालबाज भ्रष्टचार में लिप्त सरपंच-सचिव धांधली करने की तैयारी कर रहे हैं।
 
कमीशन का बोलबाला 
ग्राम पंचायत डंगौरा, खैरोना, चिलावद, चकरा, अटारा, पहाड़ी, दीगोद, मोहरा, कार्या, गढ़, राई, चेननी, पचावला, सिंघराई एवं बैराढ़ी पंचायतों में महात्मागांधी ग्राम रोजगार गारंटी योजना रोजगार गारंटी विहीन योजना बनकर रह गई है। इन पंचायतों में फर्जी जाबकार्ड तो बनाए ही गए हैं साथ ही मजदूरों को स्वयं अपने साथ बैंकों में लाया जाता है और पैसे निकलवाकर मजदूरों से पैसे ले लिया करते हैं। खरंजा , रपटा निर्माण से लेकर कपिलधारा योजना के कुंओं के निर्माण में भी भारी भ्रष्टाचार के बोलबाले की शिकायतें निरंतर मिल रही हैं। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री आवास योजना, इंदिरा गांधी आवासीय योजना हो या मनरेगा सहित तमाम संचालित योजनाओं में मची कमीशनखोरी के कारण गांवों के विकास की इबारत सिर्फ कागजों पर लिखी जा रही है।