23 फरवरी 2011 को भाजपा कार्यालय पर आयोजित प्रेस को संबोधित करते हुए प्रदेश मंत्री ओमप्रकाश खटीक ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री सिंधिया द्वार अमोलपठा मार्ग का भूमिपूजन करना भी नियमों के विपरीत आता है यहां ना तो भूमिपूजन के अवसर पर क्षेत्रीय सांसद यशोधरा राजे सिंधिया को बुलाया और ना ही विधायक रमेश खटीक को आमंत्रित किया गया है केवल नाम पट्टिका पर विधायक का नाम जरूर अंकित करा दिया। इसलिए इस रोड़ का भूमिपूजन स्थानीय सांसद यशोधरा राजे सिंधिया के द्वारा पुन: कराया जाएगा। श्री खटीक ने बताया कि इस भूमिपूजन को लेकर कलेक्टर को भी शिकायत की गई है।
हालांकि यह मामला प्रोटोकॉल के नाम पर उठाया गया, लेकिन इसके पीछे की कहानी बहुत स्पष्ट समझी जा सकती है। खुलकर बात करें तो अब ज्योतिरादित्य सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया के बीच खुली जंग शुरू हो गई है। यशोधरा निष्ठ ओमप्रकाश खटीक द्वारा ज्योतिरादित्य भक्तों पर हमला करना मूलत: प्यादों से राजा पर हमले की शुरूआत है। कहना जरूरी नहीं कि बिना यशोधरा राजे सिंधिया की अनुमति के ओमप्रकाश खटीक इस संदर्भ में प्रेसकान्फरेंस तो क्या, अनौपचारिक बयान भी नहीं दे सकते थे और और गुरु तो दशकों से जी महाराज । सवाल यह भी किया जा सकता है कि जब भूमिपूजन की घोषणा हुई थी और आयोजन चल रहा था तब भाजपाई क्या सोए हुए थे, विरोध क्यों नहीं किया, काले झण्डे क्यों नहीं दिखाए, लेकिन असलियत सभी जानते हैं। तब तक अनुमति नहीं मिली थी। अब मिल गई तो हो गई प्रेस कान्फरेंस। देखते हैं सिंधिया राजघराने की यह अंतर्कलह और क्या क्या रंग दिखाती है।
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