अपर ककेटो डैम के नाम पर हो रहा किसानों का शोषण

अपर ककेटो डैम का रूका हुआ निर्माण कार्य

अपर ककेटो डैम से किसानों की पीड़ा का विशेष कवरेज
अशोक सम्राट
शिवपुरी. प्रदेश सरकार द्वारा ग्वालियरवासियों को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध हो इसके लिए अति महत्वपूर्ण परियोजना अपर ककेटो डैम का निर्माण कार्य बीते 15 दिनों से बंद पड़ा है। इस कार्य के बंद होने का प्रमुख कारण किसान की मुआवजा राशि की मांगें है जिन्हें शासन अथवा प्रशासन मंजूर करने में आनाकानी कर रहा है जबकि किसानों की यह मागें जायज है वहीं जिला कलेक्टर श्योपुर द्वारा इन किसानों के प्रति हठधर्मिता पूर्ण व्यवहार दर्शाते हुए किसानों पर दबाब बनाने के लिए 22 किसानों के शस्त्र लायसेंस निरस्त कर दिए गए।


वहीं श्योपुर की ही महिला तहसीलदार ने भी इन किसानो के प्रति पारदर्शिता ना बरतते हुए इन पर अत्याचार किए और इनके आन्दोलन को अपने पैरों तले दबाने के लिए धरना प्रदर्शन के रूप में मौजूद टैंट को न केवल उखाड़ फेंका बल्कि टैंट में आग तक लगा दी। किसानों ने इसका घोर विरोध किया और मौके से इन्हें हटाने के लिए किसान भाई बल का प्रयोग करने आगे आए इसके पहले ही महिला तहसीलदार अपने पुलिस बल के साथ मौके से भाग खड़ी हुई। लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए है और वह मुआवज राशि न मिलने तक आन्दोलन से पीछे नहीं हटेंगे। इस दौरान निर्माण स्थल पर कार्य रूक पड़ा है जिससे योजना धूमिल हो रही है।

यहां बता दें कि प्रदेश सरकार द्वारा 183 करोड़ रूपए की लागत से अपर ककेटो डैम का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए इस क्षेत्र के आठ ग्रामों के किसानो की भूमि इस डैम निर्माण में आड़े आ रही है। जिसके लिए प्रशासन ने प्रति बीघा 90 हजार रूपए मुआवजा राशि देने की बात कही लेकिन इतनी कम राशि से किसान संतुष्ट नहीं है और पूर्ण मुआवजा के रूप में इस डैम निर्माण में आने वाले ग्राम फरारा, खुरर्का, सेहुला, नेहरखेड़ा, विनेगा, धोबनी, बूड़दा एवं सिद्धपुरा के लगभग 700 किसानों ने इस निर्माण का विरोध करते हुए मोर्चा खोल दिया। किसानों की मांग है कि उन्हें प्रति हैक्टेयर भूमि की राशि 5 लाख रूपए दिया जाए, वहीं शासन द्वारा किसानों की रेट ज्यादा लग रही है तो किसान जमीन तय करें उस जगह इन किसानों की जितनी जमीन है उतना ही पटटा दिया जाए और शासन रेट का मुआवजा दिया जाए, वहीं शासन द्वारा रोजगार गारंटी में एक कुंआ दो लाख छ: हजार रूपये में बनाती है तो उसी रेट का मुआवजा दिया जाए, एक टयूबवैल की राशि दो लाख रूपए मुआवजा दिया जाए.
निर्माणाधीन डैम व किसानों के टैंट में लगाई आग से टूटा पड़ा टैंट

एक कमरा शासन द्वारा 10 बाई 10 यदि 50 हजार रूपय में मिटटी का तैयार करती है तो मकान के क्षेत्रफल द्वारा सर्वे के आधार पर राशि दी जाए, बसाहट बनवाने में कोई किसान मंजूरी नहीं रखता, यदि शासन हम किसानों की अपर ककेटो में ग्वालियर पानी देने के लिए भूमि को ले रहा है तो ग्वालियर की मेगनेट सिटी में 40 बाई 50 का प्रत्येक परिवार को प्लाट दिया जाए। शिक्षित बेरोजगार मे प्रत्येक परिवार को योग्यतानुसार नौकरी दी जावे, आठ गांवों के किसानों के नामांतरण व बंटवारे के बाद नोटिस जारी किए जाऐं, ग्राम फरारा व खुरर्का को डूब क्षेत्र से गुमराह कर रहे इन्हें डूब क्षेत्र में लिया जाए आदि इन सभी मांगों को पूर्ण कराने के लिए निर्माण स्थल ककेटो डैम पर किसान माता-बहिनों व बच्चों के साथ हड़ताल पर बैठे हुए है। इन सभी मांगां को पूर्ण कराने के लिए हड़ताल निरंतर जारी है। 

इन ग्रामों के हरिचरण सिंह, भरत, कमलकिशोर, राजेन्द्र, कप्तान सिंह,रघुनंदन, अशोक, नीलम, मलिखान सिंह, कालू, जसराम सिंह, लीला बाई, अनीता देवी, रूपो बाई आदि सहित सैकड़ों किसानों की मांग है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती तो वह यह निर्माण कार्य नहीें होने देंगे। वहीं 183 करोड़ रूपए की लागत से बनने वाली इस परियोजनाको पूर्ण करने का इंतजार तो निर्माण करा रही कंपनी भी कर रही है लेकिन बीते 15 दिनों से जारी हड़ताल के कारण काम रूका पड़ा है इससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह परियोजना एक तरह से ठप्प पड़ी है और इसे पूर्ण कराने में प्रशासन भी कोई रूचि नहीं ले रहा और ना ही स्थानीय जनप्रतिनिधि इन किसानों की सुध ले रहे है। जिससे किसानों में शासन की नीतियों के प्रति काफी रोष व्याप्त है।

 
किसानों को ढांढस बंधाते पूर्व विधायक एवं बीज निगम के उपाध्यक्ष बाबूलाल मेवरा
 मुख्यमंत्री को समस्या से कराऐंगे अवगत: मेवरा  
किसानों के हितैषी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे कि किसान किसी भी प्रकार  की समस्या से पीडि़त है। किसानों के साथ हुए अन्याय को मैंने स्वयं मौके पर जाकर उनसे जानकारी एकत्रित की है मुझे समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला कि 22 किसानों के शस्त्र लायसेंस निरस्त किए गए है। जिस पर मैंने सभी किसानों को आश्वास्त किया है कि सभी किसानों के लायसेंसों को निरस्त नहीं किया जाएगा इसके लिए मैं स्वयं किसानों को भोपाल लेकर जाउंगा और रही बात किसानों को मुआवजे की तो इसके लिए भी प्रयास किए जाऐंगे कि किसानों को किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े। 

इस योजना के मुताबिक किसानो को जो मुआवजा तय किया गया है वह तो उन्हें मिलेगा ही साथ ही यदि इसमें कोई समस्या आ रही है तो इसके लिए स्वयं मुख्यमंत्री को मामले से अवगत कराकर इस समस्या का समाधान भी निकाला जाएगा। यह आश्वासन दे रहे थे अपर अकेटो डैम पर पहुंचे पूर्व विधायक विजयपुर व वर्तमान में वन निगम के उपाध्यक्ष बाबूलाल मेवरा जो परियोजना के निर्माण स्थल पर पहुंचकर किसानों की समस्या से अवगत हो रहे थे और हर समस्या के समाधान की बात कही। श्री मेवरा के आश्वासन के बाद भी किसानो ने अपनी हठ नहीं छोड़ी और पर्याप्त मुआवजा राशि मिलने के बाद ही वह हड़ताल से हटेंगे अन्यथा यह आन्दोलन जारी रहेगा भले ही इसमें उनके प्राण क्यों ना चले जाए।

 

कुंवर प्रताप सिंह राजपूत
 किसानों की समस्या दूर कराकर ही दम लेंगे: कुंवर प्रताप सिंह राजपूत 
स्थानीय ककेटो डैम पर करोड़ों रूपये की लागत से बन रही परियोजना में यदि किसानों को पर्याप्त मुआवजा राशि प्रशासन अथवा शासन ने नहीं दी तो निश्चित रूप से हम इस मुआवजा राशि को लेकर ही दम लेंगे भले ही इसके लिए राष्ट्रीय भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति के एक-एक कार्यकर्ता को अपने प्राणों का न्यौछावर ही क्यों ना देना पड़ें। क्योंकि अन्नदाता किसानों पर शासन के जुल्म को सहन नहीं किया जाएगा और यह तो पर्याप्त मांगे है क्योंकि 90 हजार रूपये प्रति बीघा से किसान दर-दर की ठोंकरें खाने को मजबूर होगा यदि उसे पर्याप्त मुआवजा राशि व जो जायज मांगें है उन्हें पूर्ण कर लिया जाए तो वह ना केवल आत्मनिर्भर बनकर स्वयं पुन: स्थापित होगा बल्कि वह प्रदेश के विकास में सहभागी भी बनेगा। यह विचार व्यक्त किए राष्ट्रीय भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति के प्रदेशाध्यक्ष कुंवर प्रताप सिंह राजपूत जो कि निर्माण स्थल पर जारी किसानों की हड़ताल का समर्थन कर उनकी समस्या के प्रति आश्वास्त थे कि वह किसानों के साथ समस्या हल कराने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा देंगे। इस आश्वासन के बाद किसानों ने भी श्री राजपूत का साथ दिया और वह हड़ताल पर बैठे हुए है।
क्या कहा कलेक्टर ने-
किसानों की भूमि का मूल्यांकन करके ही उन्हें मुआवजा दिया गया है और इनमें से कुछ किसान तो इस मुआवजे से संतुष्ट भी है जिन्हें मुआवजा दे भी दिया है। रही बात किसानों के शस्त्र लायसेंस निलंबित की तो हमारे पास ठेकेदार व इब्ल्यडी निर्माण शाखा द्वारा शिकायत आई थी जिसके तहत 22 किसानों के शस्त्र लायसेंस अभी निलंबित किए गए है क्योंकि इन्होंने ठेकेदार को निर्माण कार्य रोकने के साथ-साथ शासकीय कार्य में बाधा डाली है अगर यह नहीं मानें तो इनके लायसेंस निरस्त भी किए जा सकते है।
जी.बी.पाटिल
कलेक्टर, श्योपुर

क्या कहते है किसान-हमें जब तक हमारी भूमि का पर्याप्त मुआवजा नहीं मिल जाता हम यहां से हटेंगे नहीं क्योंकि इसी से तो हमारा जीवन है यदि यही नहीं तो फिर हम क्या करेंगे। सरकार को हमारी आवाज सुननी ही पड़ेगी।
श्रीमती लीला बाई
पीडि़त महिला अपर ककेटो डैम

तहसीलदार ने ठेकेदार के आदेश पर हमारे द्वारा की जा रही हड़ताल पर पुलिस वाले भेजे और यहां लगा टैंट भी जला दिया। इससे इन अधिकारियों के रवैये का भी पता चलता है कि यह अपनी मनमर्जी पर उतारू है तभी तो 22 किसानों के भी शस्त्र लायसेंस निरस्त किए गए। हम यह अंधेरगर्दी चलने नहीं देंगे।
हरिचरण सिंह पीडि़त किसान अपर ककेटो डैम

 
 यह सही है कि किसानों के उपर जो जुल्म ढाए जा रहे है वह प्रशासन के द्वारा ही हो रहे है जबकि किसान तो अपनी मांगों को पूर्ण कराने के लिए धरने पर बैठा है और यदि यहां प्रशासन अपना हठधर्मी रवैया अपनाता रहा तो भारतीय किसान संघ भी इस आन्दोलन में कूदेगा और किसानों को न्याय दिलाने के लिए अपने हक की लड़ाई लड़कर इन्हें मुआवजा दिलाकर ही दम लेगा।
तारा सिंह ब्लॉक अध्यक्ष गसवानी
भारतीय किसान संघ