आखिर अपनी ही सरकार में क्यों अपमानित हो रहे भाजपा विधायक !

ललित मुद्गल
शिवपुरी. जनता की सेवा का दंभ भरने वाले जनप्रतिनिधियों को उनकी ही सरकार में छीछलेदारी का सामना आए दिन करना पड़ रहा है। ऐसे कई उदाहरण शिवपुरी की राजनीति में देखने को मिल जाऐंगे। जहां पूर्व की बात की जाए तो विधानसभा शिवपुरी के माखन लाल राठौर जहां वर्तमान में दालमिल को लेकर असमंजस की स्थिति में तो है।


वहीं पूर्व में इन्होंने भी अपना अपमान तत्कालीन कलेक्टर राजकुमार पाठक के द्वारा किए गए अपमान को सहकर घूंट पी लिया और मान मनोब्बल के बाद शांत हो गए। ऐसा ही हुआ पोहरी विधायक प्रहलाद भारती के साथ जिन्होंने कोलारस में एक जनसेवक के नाते कृषक को जमीनी हक दिलाने के लिए एसडीएम से भिड़ बैठे और काफी हंगामा होने के बाद एसडीएम और विधायक के मामले में भी विधायक को अपना अपमान झेलकर शांतिपूर्वक ही रहना पड़ा। 

कोलारस विधायक देवेन्द्र जैन तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र प्रसाद वाहन मामले में जमकर लज्जित कर चुके हैं। तो उनके छोटे भाई जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू की तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. एके दीक्षित  ने जननी एक्सप्रेस मामले में जमकर अनदेखी की। 

अब इसके बाद यदि बात की जाए तो गत सोमवार के दिन करैरा विधायक रमेश खटीक का कलेक्टर किंग्सली ने सेटलमेंट आवास योजना के तहत कुटीरें आवंटित न करते हुए आगामी समय में विधायकों को इस योजना के लिए आयोजित बैठक में आमंत्रित नहीं करने तक के निर्देश दे दिए। जिससे कलेक्ट्रेट में हुए हंगामे की तो यहां जो शिवपुरी की राजनीति में उबाल देखने को मिला उससे कहा जा सकता है कि अब शिवपुरी में विधायकों को अपनी ही सरकार में अपमान का दंश झेलना पड़ रहा है। आखिर ऐसे क्या कारण रहे जिससे यहां के जनप्रतिनिधियों की छवि धूमिल हो रही है? इसके अलावा भाजपा के छोटे मोटे नेताओं की तो शायद हर रोज किसी न किसी कार्यालय में जमकर अनदेखी की जाती है और यह पूरी तरह असहाय नजर आते हैं।
 
यहां बता दें कि गत दिवस सोमवार के दिन शिवपुरी जिले के लिए सेटलमेंट आवास योजना के तहत एक बैठक कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित की गई। इस बैठक में पदेन सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग एल.आर.मीणा ने विधिवत शिवपुरी जिले के जनप्रतिनिधियों में शामिल विधायकों को आमंत्रित किया और सेटलमेंट आवास योजना के तहत क्रियान्वयन करने के लिए बैठक आहूत की। लेकिन बैठक शुरू हो पाती उससे पूर्व ही हंगामा शुरू हो गया। इस हंगामे की शुरूआत की करैरा विधायक रमेश खटीक ने जिन्होंने अपनी विधानसभा को दो भागों में बांटते हुए सेटलमेंट आवास योजना के तहत आदिवासियों को कुटीर बनाकर 4 कॉलोनीयों की मांग कर डाली। लेकिन बैठक में मौजूद कलेक्टर जॉन किंग्सली ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए बताया कि सेटलमेंट योजना का विकास वहां किया जाएगा। जहां 25-15 आदिवासी बाहुल गांव इस श्रेणी में आते होंगे जबकि करैरा एवं नरवर में क्रमश: 18 एवं 36 गांव ही आदिवासी बाहुल है। 

इसलिए इस योजना के तहत यह कॉलोनी की आवश्यकता नहीं बनती फिर भी कलेक्टर ने एक कॉलोनी के तहत कुटीर आवंटन को स्वीकृति दी लेकिन यह सुन करैरा विधायक भड़क उठे और उन्होंने बैठक में ही अपना अपमान महसूस करते हुए कुटीरें लेने से साफ-साफ मना कर दिया और बैठक को छोड़कर बाहर चलने लगे। मामला बिगड़ते देख बैठक में मौजूद अन्य विधायक व जिला पंचायत जितेन्द्र जैन ने काफी समझाईश का प्रयास किया लेकिन कलेक्टर के तेवरों को देखते हुए भाजपाई विधायकों व जनप्रतिनिधियों ने बैठक का बहिष्कार कर इस पूरे मामले में से मुख्यमंत्री को अवगत कराने की चेतावनी बैठक में ही दे डाली। 

काफी हो-हंगामा होने के बाद भी कलेक्टर अपनी बात पर अडिग रहे और इस बैठक के संदर्भ उन्होनें आदिम जाति कल्याण विभाग के संयोजक व पदेन सचिव सेटलमेंट आवास योजना एल.आर.मीणा से जानना चाहा कि क्या संबंधित विधायकों को इस बैठक में आमंत्रित किया जाता है? इस पर श्री मीणा ने कहा कि ट्राईबल विधायक को बुलाया जाता है। ऐसे में कलेक्टर ने भी मौके पर ही श्री मीणा को आदेश दे दिया कि भविष्य में आयोजित होने वाली बैठकों में विधायकों को शामिल न किया जाए। ताकि योजना के शासन के मुताबिक क्रियान्वित किया जा सके। इतना सब होने के बाद जो हालात उत्पन्न हुए उससे प्रतीत होता है कि शिवपुरी की राजनीति में भाजपा विधायकों की असुनवाई और अनदेखी के कारण ऐसे हालात उत्पन्न हो रहे है। सेटलमेंट आवास योजना के तहत कई बार जनप्रतिनिधियों से भी स्थानीय आदिवासियों ने भी मांग की थी जिसके तहत उन्होंने आवाज तो बुलंद की लेकिन उन्हें अब इस ओर मुंह ताकते ही रहना पड़ सकता है।

इन मामलों में भदद्द पिटी भाजपाईयों की 
ऐसे कई मामले देखने को मिल जाऐंगे जब भाईपाईयों की भदद् पिटी है उनमें यदि देखा जाए तो तत्कालीन डीपीसी डॉ. अनिल कुशवाह ने जिला पंचायत की तमाम बैठकों में भाजपाई जन प्रतिनिधियों द्वारा मांगी गई जानकारी की अनदेखी की और कई बार तो वे बैठकों में ही अनुपस्थित रहे। अंतत: अपनी अनदेखी व अप्रत्यक्ष रूप से की जा रही बेइज्जती से तंग आकर भाजपाई जन प्रतिनिधियों ने महिला जिला पंचायत सदस्य नवप्रभा पडरया से उनका श्याम मुख करवा दिया। हाल ही में आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक एलअर मीणा भी पिछली कई बैठकों से इन जन प्रतिनिधियों की अनदेखी करने के मामले में निंदा प्रस्ताव झेल चुके हैं। 

जिसकी कार्रवाई अभी लंबित पड़ी हुई है। इसी तरह जनपद पंचायत शिवपुरी में भी अध्यक्ष गगन खटीक सहित अन्य जन प्रतिनिधियों की पिछली कई बैठकों से खूब अनदेखी की जा रही है। हालात यह हैं कि अधिकारी, कर्मचारी बिना किसी पूर्व सूचना के बैठकों से नदारद हैं और जनपद पंचायत के जन प्रतिनिधियों द्वारा भी इन अधिकारियों के विरूद्ध निंदा प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। इसके अलावा भाजपा के प्रदेश पदाधिकारी रह चुके धैर्यवर्धन शर्मा को तो विरोध स्वरूप शहर के ह्रदय स्थल पर भूख हड़ताल पर बैठना पड़ गया। 

जबकि प्रदेश का नेतृत्व कर चुके इन नेताजी को अपनों ही दगा दिया और मामले से दूरी बनाए रखी आखिर धैर्य के धैर्य ने धारण करते हुए इस जीत को पाया और प्रशासन ने आश्वासन देकर उनका अनशन तुड़वाया। यह सभी मामले इस बात के द्योतक हैं कि भले ही भाजपा के शासन को प्रदेश में 8 साल बीत चुके हैं और 2013 में भी भाजपाई पूरी तरह आश्वस्त हैं कि उन्हीं की सरकार आने वाली है। बावजूद इसके अधिकारियों द्वारा भाजपाई जन प्रतिनिधियों को किसी भी तरह की कोई तबज्जो न दिया जाना विचारणीय पहलू है। 

आखिर क्या कारण है कि अपने समर्थकों के नियमों से हटकर होने वाले काम तो दूर नियमानुसार ही काम करवा पाने में विधायक व अन्य जन प्रतिनिधि स्वयं को असमर्थ महसूस कर रहे हैं? प्रशासनिक स्तर पर विधायक व अन्य जन प्रतिनिधियों की अनदेखी के पीछे उनकी अंदरूनी कलह भी कारण बनी हुई है। अपने वर्चस्व को कायम करने के लिए संगठन के पदाधिकारियों के साथ-साथ विधायकों के समकक्ष सपना देखने वाले भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं द्वारा भी सुनियोजित ढंग से अपने ही पार्टी के लोगों को लज्जित कराए जाने में किसी भी तरह की भूमिका से गुरेज दिखाई नहीं पड़ता। अरविंद मेनन के सामने यदि यह सब मामले उजागर होते हैं तो उन्हें संगठनात्मक चर्चा करने से पहले जिले की मशीनरी को चुस्त दुरूस्त करने के लिए कोई बुनियादी पहल पर विचार अवश्य करना पड़ेगा। 

अब तो ऐसा ही प्रतीत होता है कि भाजपाई जनप्रतिनिधि प्रदेश संगठन मंत्री अरविंद मेनन के सामने यह बात उठाई जा सकती है लेकिन समस्या यह है कि प्रदेश हाई कमान द्वारा तय की गई गाइड लाइन के अनुसार इस तरह के मामलों को संगठन की बैठक में उठाए जाने पर पाबंदी लगा दी गई है। तो इससे यह जान पड़ता है कि आज भी जन प्रतिनिधियों की आवाज उनकी ही पार्टी की बैठक में घुटकर रह जाएगी।

40 करोड़ 40 लाख की योजना है सेटलमेंट आवास योजना  
कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित सेटलमेंट आवास योजना की यदि बात की जाए तो ऐसी क्या स्थिति बनी की बैठक में हंगामा मचना शुरू हो गया। यहां बताना मुनासिब होगा कि करैरा विधायक रमेश खटीक अपने विधानसभा क्षेत्र को दो भागों में बांटकर आदिवासियों के नामों पर कुटीरें लेना चाहते है जबकि हकीकत में यदि अन्य विधानसभाओं को भी देखा जाऐ तो वहां आदिवासी की संख्या काफी अधिक पाई जाएगी। 

योजना के तहत आवंटित राशि 40 करोड़ 40 लाख रूपये भी इस बैठक में हंगामे की स्थिति को बयां करती है जहां सभी जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्र में सहरियों को विकास की लाईन में खड़े कर उनके लिए सेटलमेंट योजना, एकीकृत आवास एवं सामूहिक सिंचाई हेतुहैण्डपंप खनन कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बना सके। इसके लिए आए अच्छे खासे बजट को अपने विधानसभा में पारित कराने के लिए सभी विधायकों ने अपनी स्वेच्छा से योजना के तहत आदिवासियों की न केवल संख्या बताई बल्कि उन्होंने उसी के तहत योजना के विस्तारीकरण की मांग भी की। इस बैठक में एक अच्छी खासी आवंटित राशि को ठिकाने लगाने की जद्दोजहद भी बैठक में हंगामे का कारण नजर आती है।

यह है सेटलमेंट योजना 
सहरियाओं को विकास उत्थान व विकास के लिए उन्हें एकीकृत आवास एवं सामूहिक सिंचाई हेतु हैण्डपंप खनन कर सेटलमेंट योजना को क्रियान्वित करना है। इस योजना के तहत जिले में पूर्व से सहरिया बहुल चिह्नित गांवों में से तय किए ग गांव में एक साथ 25 आवास स्वीकृत किए जाते है इन आवासों के जरिए गांव में सहरिया कॉलोनी विकसित की जाती है। आदिम जाति कल्याण विभाग के अधीन होने वाले इस कार्य को स्वीकृति कलेक्टर की मौजूदगी में विधायक, जनपद अध्यक्षों की समिति देती है। इस योजना के तहत होने वाले निर्माण कार्यों एवं आवास हेतु 40 करोड़ 40 लाख रूपये राशि आवंटित की गई है। जिसे सहरियों के विकास में लगाया जाएगा।

क्या कहते है जनप्रतिनिधि-
 
जितेन्द्र जैन
सेटलमेंट आवास योजना के तहत आयोजित बैठक में कलेक्टर का व्यवहार ठीक नहीं था योजना का लाभ हर कोई चाहता है  और यही कारण रहा कि विधायक रमेश खटीक ने विधानसभा में योजना का क्रियान्वयन चाहा वैसे बैठक के माहौल को कलेक्टर ने ही बिगाड़ा।।
 
जितेन्द्र जैन गोटूअध्यक्ष
जिला पंचायत शिवपुरी

 

 
देवेन्द्र जैन

कलेक्टर को जनप्रतिनिधियों से किस प्रकार से व्यवहार किया जाता है इसका उन्हें ज्ञान नहीं है एक उच्च पद पर बैठे अधिकारी का यह रवैया बर्दाश्त योग्य नहीं।
 
देवेन्द्र जैन विधायक कोलारस

 




 मैंने विधानसभा के अनुसार दो कॉलोनियों की मांग की थी जिस पर कलेक्टर ने बैठक में ही कह दिया कि इस बैठक में क्या विधायकों को बुलाया जाना चाहिए, इस तरह बैठक में मौजूद रहकर हमारा अपमान हो तो हम कैसे सहन कर सकते है इसलिए बैठक छोड़कर चल दिए।

रमेश खटीकविधायक करैरा

 
माखन लाल राठौर

बैठक में सबकुछ ठीक ठाक था और मुझे कुछ ऐसा नजर नहीं आया इसलिए मेरा कुछ भी कहना नहीं है हां इस बारे में चर्चा जरूर की जाएगी कि आगे इस तरह की स्थिति न बन पाए।

माखन लाल राठौर विधायक शिवपुरी

 




 
प्रहलाद भारती

बैठक बहिष्कार जैसा तो कुछ नहीं था और इसके लिए विधायक रमेश खटीक को लेने जिला पंचायत अध्यक्ष गए थे जहां तक योजना की बात है तो योजनानुरूप कार्य तो होने ही चाहिए हमनें भी अपनी विधानसभा से कुछ बिन्दु कलेक्टर के समक्ष रखे जिस पर विचार किया जाना है।
 
प्रहलाद भारतीविधायक पोहरी